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    IIT Kanpur में साइबर सुरक्षा की पाठशाला में अब क्रिप्टोग्राफी भी, डिजिटल करेंसी तकनीक के एक्सपर्ट बनेंगे छात्र

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Wed, 16 Nov 2022 03:03 PM (IST)

    भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में साइबर सुरक्षा पर ई-मास्टर कोर्स जनवरी से शुरू किया जा रहा है। इसमें छात्र डिजिटल करेंसी की तकनीक सीखकर क्रिप्टोग्राफी ...और पढ़ें

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    आइआइटी में क्रिप्टोग्राफी एक्सपर्ट तैयार किए जाएंगे।

    कानपुर, जागरण संवाददाता। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) जनवरी से साइबर सुरक्षा पर ई-मास्टर प्रोग्राम शुरू कर रहा है। संस्थान के विशेषज्ञ क्रिप्टोग्राफी का भी प्रशिक्षण देंगे। यानी कि छात्र-छात्राएं डिजिटल करेंसी (आभासी मुद्रा) की तकनीक भी समझ कर उसके अनुप्रयोगों का भी प्रशिक्षण लेंगे। चूंकि देश में अगले वर्ष तक डिजिटल करेंसी शुरू हो सकती है। इससे प्रशिक्षण पाने वालों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे।

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    हैकिंग की कोशिश होते ही बिगड़ जाता है डेटा का स्वरूप

    प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल के मुताबिक क्रिप्टोग्राफी एक सुरक्षित संचार तकनीक का अध्ययन है, जो कोड के रूप में भेजे जा रहे किसी संदेश या सामग्री को केवल प्रेषक व प्राप्तकर्ता को देखने की अनुमति देती है। इसी तरह क्रिप्टोकरेंसी एक आभासी मुद्रा है जो क्रिप्टोग्राफी तकनीक से सुरक्षित होती है। इसे बनाने में ब्लाकचेन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें डेटा को विभिन्न बंडल में तैयार करके सुरक्षित किया जाता है। अगर कोई साइबर अपराधी इसे हैक करने की कोशिश करेगा तो डेटा का स्वरूप बिगड़ जाता है।

    संस्थान में शुरू हो रहा ई मास्टर प्रोग्राम

    संस्थान की ओर से साइबर सुरक्षा पर ई मास्टर प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है, जो छात्रों को विकसित और अस्थिर खतरे के माहौल के लिए क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा। साइबर सुरक्षा के तरीके व तकनीक से प्रशिक्षित करेगा। पाठ्यक्रम में क्रिप्टोग्राफी, मशीन लर्निंग, इंटरनेट आफ थिंग्स को भी शामिल किया गया है।

    साइबर खतरों के साथ बढ़ रहे नौकरियों के अवसर

    इंटरनेट के तेजी से विकास के साथ साइबर खतरे भी बढ़ रहे हैं। अमेरिया का कंपनी गार्टनर टेक्नोलाजिक रिसर्च एंड कंसल्टिंग फर्म के द्वारा कराए गए रिसर्च के अनुसार 2025 तक 45 प्रतिशत संगठनों को अपनी साफ्टवेयर आपूर्ति सेवाओं पर साइबर हमलों का सामना करना पड़ सकता है। इसी वजह से साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में नौकरियों की काफी संभावनाएं हैं।

    ऐसा माना जा रहा है कि भारत में ही 2025 तक साइबर सुरक्षा क्षेत्र में 1.5 मिलियन से अधिक रिक्तियां होने वाली हैं। इसके लिए कुशल कार्यबल की जरूरत होगी। इसी समस्या को दूर करने के लिए संस्थान छात्र-छात्राओं, उद्योगों के पेशेवरों के लिए साइबर सुरक्षा पर ई-मास्टर्स डिग्री प्रोग्राम शुरू कर रहा है।

    देश में बैंकिंग, संचार, रेलवे आदि क्षेत्रों में साइबर हमले

    आइआइटी प्रशासन के मुताबिक भारत की कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम ने 14 लाख से अधिक साइबर हमले की घटनाएं दर्ज की थीं। बैंकिंग प्रणाली, संचार, रेलवे, बिजली क्षेत्र भी साइबर खतरों से प्रभावित हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट आफ थिंग्स जैसी तकनीक के आगमन से रैनसमवेयर के खतरे भी बढ़े हैं।

    पिछले साल देश में रैनसमवेयर हमलों में 120 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। इसकी प्रमुख वजहें क्लाउड-आधारित सेवाओं का उपयोग, अनधिकृत डेटा को साझा करना, डिजिटल भुगतान प्लेटफार्मों पर वित्तीय आदान-प्रदान, इंटरनेट मीडिया संचार, नेट बैंकिंग, ई-कामर्स का ज्यादा प्रयोग हैं।