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    मलेरिया समेत कई मर्जों की हाथों-हाथ होगी जांच, IIT कानपुर के वैज्ञान‍िकों ने तैयार की बेहद सस्‍ती ड‍िवाइस

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 04:46 PM (IST)

    आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी डिवाइस तैयार की है जिसकी मदद से रक्त मूत्र पसीने और लार से की जाने वाली मलेरिया जैसे विभिन्न रोगों की जांच तत्काल की जा सकेगी। पोर्टेबल डिवाइस होने की वजह से गांव या सुदूर क्षेत्र में भी मौके पर ही जांच की जा सकेगी और तत्काल रिपोर्ट भी प्राप्त हो जाएंगी।

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    पोर्टेबल डिवाइस, प्रो. संतोष कुमार मिश्र (बीएसबीई विभाग, आईआईटी कानपुर)।

    अखिलेश तिवारी, जागरण, कानपुर। आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी डिवाइस तैयार की है जिसकी मदद से रक्त, मूत्र, पसीने और लार से की जाने वाली मलेरिया जैसे विभिन्न रोगों की जांच तत्काल की जा सकेगी। पोर्टेबल डिवाइस होने की वजह से गांव या सुदूर क्षेत्र में भी मौके पर ही जांच की जा सकेगी और तत्काल रिपोर्ट भी प्राप्त हो जाएंगी। इस डिवाइस की मदद से मिट्टी में प्रदूषण या पेय पदार्थों में गड़बड़ी की जांच भी की जा सकती है। करीब ढाई हजार रुपये में तैयार होने वाली डिवाइस से की जाने वाली जांच भी बेहद सस्ती है। जांच के लिए कागज से बनी चिप का प्रयोग डिवाइस में किया जाता है।

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    मलेरिया जैसी बीमारियों की जांच के लिए अभी रक्त सैंपल को पैथालोजी लैब की मशीनों तक ले जाना पड़ता है, इस दौरान इसके दूषित होने का खतरा बना रहता है। जांच मशीनें भी बेहद महंगी हैं। आइआइटी के बायो साइंस एंड बायो इंजीनियरिंग विभाग में तैयार डिवाइस की कम होने के साथ आकर में भी छोटी है जिससे इसे कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है। पैथोलाजी लैब में होने वाली जांच रिपोर्ट के लिए घंटो इंतजार करना होता है और कई बार दो से तीन दिन बाद रिपोर्ट मिलती है लेकिन इस डिवाइस में प्रयोग होने वाले कागज के चिप से जांच परिणाम तुरंत पाये जा सकते हैं। जांच प्रक्रिया तत्काल पूरी किए जाने से रक्त, मूत्र या लार के नमूनों के दूषित या बिगड़ जाने का खतरा भी खत्म हो जाता है ।

    आइआइटी के बायो साइंस और बायो इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. संतोष कुमार मिश्र के मार्गदर्शन में शोध छात्र अनिमेष कुमार सोनी व नेहा यादव द्वारा तैयार डिवाइस को पोर्टेबल रीडआउट यूनिट फार केमिरसिस्टव सेंसर नाम दिया गया है। उसकी मदद से बायोलाजिकल और केमिकल दोनों तरह के मालिक्यूल की जांच की जा सकती है। इसका पेटेंट आवेदन भी स्वीकृत हो चुका है। अनिमेष ने बताया कि कागज की चिप और डिवाइस सेंसर को अलग-अलग रसायनों की जांच के लिए विशेषीकृत किया गया है। हर जांच के लिए अलग-अलग डिवाइस और चिप का प्रयोग किया जाएगा। जांच लागत कम होने डिवाइस का आकार पोर्टेबल होने की वजह से इसकी उपयोगिता सर्वाधिक है।

    स्वास्थ्य क्षेत्र में आएगा क्रांतिकारी बदलाव

    चिकित्सा क्षेत्र में डिवाइस की मदद से क्रांतिकारी बदलाव हो सकेंगे। अभी तक मरीजों की जांच करने वाले डाक्टर को पैथालोजी जांच की संस्तुति करनी होती है। पैथालोजी सेंटर से जांच रिपोर्ट मिलने में 24 घंटे तक लगते हैं। डिवाइस को कोई भी डाक्टर क्लीनिक पर रख सकता है। अनिमेष सोनी के अनुसार कागज पर ही कार्बन इलेक्ट्रोड चिप बनाई गई है जिसे डिवाइस में लगाया जाता है। हर रोग की जांच के लिए एक डिवाइस का इस्तेमाल हो सकेगा और चिप की मदद से जांच रिपोर्ट तुरंत मिल जाएगी। चिप की लागत 15 से 20 रुपये है। डिवाइस का प्रयोग दूरदराज के क्षेत्रों और ऐसे इलाकों में लाभकारी होगा, जहां पैथालोजी जांच केंद्र नहीं हैं और रिपोर्ट भी देर से मिलती है।

    पोर्टेबल रीडआउट यूनिट फॉर केमिरसिस्टव सेंसर के जांच परिणाम सटीक पाए गए हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र के अलावा इसकी मदद से खेतों की मिट्टी और पेय पदार्थों में मौजूद रसायनों की पहचान भी की जा सकती है इससे दूध और शीतल पर पदार्थ की गुणवत्ता जांच भी की जा सकेगी। इस डिवाइस को बाजार में पहुंचाने के लिए तकनीक हस्तांतरण की दिशा में काम हो रहा है।- प्रो. संतोष कुमार मिश्र, बीएसबीई विभाग आईआईटी कानपुर