आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों ने बनाई ई-कोली परीक्षण किट, बताएगी- पानी पी रहे या 'जहर'
कानपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के पृथवी विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों ने पानी की जांच के लिए ई-कोली परीक्षण किट तैयार की है। इस किट पर पानी की बूंद का रंग उसमें घुलित जहरीले केमिकल की जानकारी देंगे।
कानपुर, जागरण संवाददाता। पानी जीवन की सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है। जितना शुद्ध पानी, उतना स्वस्थ जीवन। अब चंद सेकेंड में जान पाएंगे कि आप पानी पी रहे या केमिकल या जैव अशुद्धियों के रूप में जहर। इसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर इंद्रशेखर सेन के नेतृत्व में टीम ने ई-कोली जल परीक्षण किट (उपकरण) विकसित की है। यह अत्यधिक संवेदनशील है और पीने के पानी में केमिकल या जैव अशुद्धियों (सीवेज या जानवरों के अपशिष्ट) की सटीक जानकारी देगी। परीक्षण किट में बूंद का रंग पानी का हाल बता देगा।
जल जीवन मिशन के तहत विकसित की गई इस परीक्षण किट के इस्तेमाल के लिए अर्थफेस फ्लो नामक एंड्रायड एप (एप्लीकेशन) तैयार किया गया है। इस एप का उपयोग पानी के नमूनों की जांच के परिणामों को रिकार्ड करने, उसकी रिपोर्ट देने के लिए डिजिटल प्लेटफार्म के रूप में होगा। आइआइटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर के मुताबिक, इस किट का इस्तेमाल करना बेहद आसान है।
कम लागत और सटीक परिणाम होने के कारण यह अन्य उत्पादों से बेहतर है। पीने के पानी की गुणवत्ता का चंद सेकेंड में परीक्षण किया जा सकेगा। लोग शुद्ध पेयजल के मानकों की जानकारी हासिल करके पानी से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए जरूरी कदम उठा सकेंगे। निदेशक ने बताया कि हाल ही में इस पोर्टेबल डिवाइस को विकसित करने के लिए संस्थान की टीम ने राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के इनोवेशन चैलेंज को भी जीता है।
एंजाइम आधारित है किट : ई-कोली किट पूरी तरह एंजाइम (जैव उत्प्रेरक का काम करते हैं) पर आधारित है। इसमें पैडनुमा कागज पर पानी के नमूने की बूंद डाली जाती है। अगर पानी में कोई अशुद्धि होगी तो कागज में मौजूद एंजाइम से प्रतिक्रिया होने पर बूंद का रंग बदल जाएगा। रंग जितना ज्यादा गहरा होगा, अशुद्धि की मात्रा उतनी ज्यादा मानी जाएगी।
यह होता है ई-कोली : यह एक तरह का बैक्टीरिया होता है जो मनुष्यों और पशुओं के पेट में हमेशा रहता है। यह पानी में भी मिलता है। इस बैक्टीरिया के ज्यादातर रूप हानि रहित हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं, जो पेट में मरोड़ और दस्त जैसे लक्षण पैदा करते हैं। कई बार इनकी वजह से मनुष्य का गुर्दा काम करना बंद कर देता है और मृत्यु भी हो जाती है। किट के जरिये पानी में इसका पता लगेगा।