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ओमिक्रोन का असर बेहतर इम्युनिटी वालों पर कम, आइआइटी के प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल ने दी नई थ्योरी

आइआइटी के प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल ने दक्षिण अफ्रीका के आंकड़ों के आधार पर एक बार फिर से जानकारी दी है। उनका कहना है कि नेचुरल इम्युनिटी के कारण ओमिक्रोन लोगों के स्वास्थ्य पर ज्यादा नकारात्मक प्रभाव नहीं डाल पाया है।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Thu, 23 Dec 2021 08:39 AM (IST)Updated: Thu, 23 Dec 2021 05:33 PM (IST)
आइआइटी के प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल ने ओमिक्रोन पर दी जानकारी।

कानपुर, जागरण संवाददाता। दक्षिण अफ्रीका और अन्य देशों से अब तक वायरस फैलने का जो डाटा सामने आया है, उसके आधार पर यही कहा जा सकता है कि वहां नेचुरल इम्युनिटी (प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता) की वजह से अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या कम रही है। नेचुरल इम्युनिटी की वजह से ओमिक्रोन लोगों के स्वास्थ्य पर ज्यादा नकारात्मक प्रभाव नहीं डाल पाया है।

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आइआइटी कानपुर के पद्मश्री प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल ने बताया कि ओमिक्रोन वायरस को रोका नहीं जा सकता। इससे बचने के लिए हमको खुद ही तैयारी करनी पड़ेगी। दक्षिण अफ्रीका में वायरस फैलने के अब तक के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि बेहतर इम्युनिटी वाले लोगों पर यह कम प्रभाव डाल पाया है। दक्षिण अफ्रीका में अस्पतालों में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या कम रही है। हालांकि ओमिक्रोन वायरस डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा तेजी से फैल रहा है। जिन लोगों की इम्युनिटी का स्तर कम है, उन पर ओमिक्रोन का असर ज्यादा हो सकता है, इसलिए लोग भीड़ वाली जगह पर मास्क जरूर पहनें। वैक्सीन की दोनों डोज जरूर ले लें, इम्युनिटी बूस्टर भी ले सकते हैं। संयमित मात्रा में खानपान भी जरूरी है।

प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका की ही तरह भारत में अधिकतर राज्यों में लोगों के अंदर नेचुरल इम्युनिटी विकसित हो चुकी है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 80 प्रतिशत से ज्यादा लोगों में नेचुरल इम्युनिटी है यानीवे कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर ठीक हो चुके हैं, इसलिए उन पर वायरस का असर ज्यादा नहीं होगा। इस वायरस के फैलने के संबंध में पूरे आंकड़े सामने आने के बाद ही अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकेगा।


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