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    कोरोना की लहर का कैसे किया सटीक आकलन, पढ़िए- आइआइटी प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल का खास इंटरव्यू

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Sat, 05 Feb 2022 08:52 AM (IST)

    पद्मश्री से सम्मानित आइआइटी के प्रो.मणीन्द्र अग्रवाल ने कोरोना संक्रमण की दूसरी और तीसरी लहर का गणितीय सूत्र माडल से सटीक आकलन करके दुनिया भर में देश का नाम रोशन किया है। इससे जनता को सतर्क रहने और सरकार को महामारी से निपटने में खास मदद मिली।

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    आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर ने दुनिया में रोशन किया देश का नाम।

    कानपुर, जागरण संवाददाता। पिता गणित के प्रवक्ता रहे और बेटे ने न केवल महान गणितज्ञ होने का गौरव हासिल किया बल्कि गणितीय सूत्र माडल तैयार करके कानपुर का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया। जी हां, हम बात कर रहे हैं वर्ष 2013 में पद्मश्री से सम्मानित हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल की, जिन्होंने अपने माडल से कोरोना महामारी के दौरान संक्रमण के प्रसार की रफ्तार का सटीक आकलन कर न केवल जनता को सचेत किया, बल्कि सरकार को भी संक्रमण से निपटने की तैयारी करने में मदद की। मूलरूप से प्रयागराज के चौक इलाके के रहने वाले प्रो.अग्रवाल की प्राइमरी से माध्यमिक तक की शिक्षा प्रयागराज के जीआइसी इंटर कालेज में हुई थी। उनके पिता दिवंगत सुरेंद्र प्रसाद अग्रवाल गणित के शिक्षक थे और माता जी हिमांशु बाला अग्रवाल इलाहाबाद डिग्री कालेज में शिक्षा शास्त्र पढ़ाती थीं। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कई अहम जानकारियां दीं।

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    प्रश्न -आपकी गणित में रुचि कैसे जगी?

    उत्तर- पिता गणित के अध्यापक थे और बचपन से ही उन्हें गणित पढ़ाते देखा। इसी वजह से गणित के प्रति शुरू से रुझान रहा। इंटरमीडिएट करने के बाद वर्ष 1982 से 1986 तक आइआइटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया और फिर यहीं से 1991 में पीएचडी की। वर्ष 1992 से वर्ष 1995 तक चेन्नई स्थित मैथमैटिकल इंस्टीट्यूट में अध्यापन किया। फिर ह्यूमबोल्ड्ट फेलोशिप मिलने पर जर्मनी गए। वर्ष 1996 में लौटकर आइआइटी कानपुर में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर नौकरी शुरू की थी, लेकिन गणित में रुचि के कारण ही कंप्यूटर के गणितीय आधार पर शोध कार्य किए और कराए। अब तक अपने मार्गदर्शन में आठ विद्यार्थियों को थ्योरिटिकल कंप्यूटर साइंस में पीएचडी कराई है। इस विषय में कंप्यूटर की मैथमैटिकल फाउंडेशन पर शोध होता है।

    प्रश्न - सूत्र माडल विकसित करने का ख्याल कैसे आया?

    उत्तर - वर्ष 2020 में कोरोना की पहली लहर की जब शुरुआत हुई तो भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने एक माडल चुनने के लिए 10 सदस्यीय कमेटी बनाई थी, जो कोरोना के वर्तमान और भविष्य में प्रसार का सटीक आकलन कर सके। उस कमेटी में मैं भी सदस्य था। कमेटी के सामने देश के कई गणितज्ञों ने करीब 35 माडल प्रस्तुत किए। इनमें से दो माडलों का चयन हुआ, लेकिन वह अपेक्षाओं की कसौटी पर खरे नहीं उतरे। तब मैैंने अगस्त 2020 में एसएआइआर (सस्पेक्टेड एसिंप्टमैटिक इंफेक्टेड रिकवर) दो माडल तैयार किया। उसके आधार पर यह भविष्यवाणी की गई कि कोरोना की पहली लहर सितंबर में चरम पर होगी और आकलन सही निकला। डीएसटी को यह माडल अच्छा लगा। इसके बाद उस माडल की कुछ कमियों को दूर करके दिसंबर 2020 में सूत्र (सिंप्टमैटिक अनडिटेक्टेड टेस्टेड पाजिटिव रिकवर्ड एप्रोच) माडल तैयार किया।

    प्रश्न- कैसे काम करता है सूत्र माडल?

    उत्तर - जैसे की इसके नाम में निहित है ङ्क्षसप्टमैटिक अनडिटेक्टेड टेस्टेड पाजिटिव रिकवर्ड एप्रोच (सूत्र) यानी कि संक्रमण के दौरान देश की जनसंख्या को इन चार वर्गों में विभाजित करके डेटा का आकलन किया जाता है। इसमें संक्रमण के लक्षण वाले लोगों की संख्या, ऐसे मामले जिनमें संक्रमण का पता न लगा हो, संक्रमित पाए गए लोगों की संख्या और ठीक हो चुके लोगों की संख्या के आधार पर आकलन किया जाता है। यह माडल जनवरी 2021 में फाइनल हुआ और उसकी मदद से अब दूसरी और तीसरी लहर के दौरान संक्रमण के प्रसार की गति को सटीक रूप से मापा जा रहा है।

    प्रश्न- क्या पहले भी कभी इस तरह का कोई माडल बना है?

    उत्तर- बिल्कुल, एसएआइआर या सूत्र माडल किसी वायरस के प्रसार की गति या अन्य ङ्क्षबदुओं को मापने वाला पहला माडल नहीं है। सौ वर्ष पूर्व स्पेनिश फ्लू के आने के बाद भी वहां के वैज्ञानिकों ने उसके प्रसार का आकलन करने के लिए एक गणितीय माडल का आविष्कार किया था। उस माडल का प्रयोग उसके बाद कई अन्य महामारियों के आने पर भी किया गया था और प्रसार का आकलन करके उसकी रोकथाम के उपाय किए गए थे। उन्होंने बताया कि हमारे सूत्र माडल के आधार पर भी लोगों को सचेत रहने और उसकी रोकथाम के लिए सरकारी इंतजाम दुरुस्त करने में मदद मिल रही है।

    प्रश्न- इस माडल से और क्या चीजें मापी जा सकती हैं?

    उत्तर- अगर सटीक डेटा मिले तो सूत्र माडल कई और बातों की भी जानकारी दे सकता है। यह किसी भी वायरस के प्रसार की गति और उससे प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या का आकलन कर सकता है। माडल का इस्तेमाल केवल आंकड़ों के आधार पर होता है, लिहाजा टेस्ट व प्रभावित लोगों के सही आंकड़े उपलब्ध होने चाहिए।

    प्रश्न - क्या चौथी लहर आने की भी कोई आशंका प्रतीत होती है?

    उत्तर- कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर के दौरान सामने आए संक्रमित मामलों के आधार पर तीसरी लहर का अनुमान लगाया था। जैसे-जैसे तीसरी लहर बढऩी शुरू हुई और उसके आंकड़े सामने आने शुरू हुए तो तीसरी लहर चरम पर कब-कब और कहां होगी? इसका आकलन किया गया। इसके मुताबिक इसी माह 23 से 25 जनवरी के बीच देश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर चरम पर होगी और फरवरी से संक्रमण के मामले कम होने शुरू हो जाएंगे। फरवरी के अंत व मार्च की शुरुआत में कोरोना संक्रमण कमोबेश खत्म होने के आसार हैं। चौथी लहर के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वायरस लगातार म्यूटेंट होता है।