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    IIT ने खोज लिया ऐसा तरीका जिससे घट जाएगा आपका बिजली बिल, घर में 10 डिग्री तक कम हो जाएगा तापमान

    Updated: Wed, 06 Aug 2025 06:50 PM (IST)

    आईआईटी कानपुर ने एक विशेष इंसुलेशन शीट विकसित की है जो इमारतों में तापमान को 8-10 डिग्री तक कम कर सकती है जिससे एयर कंडीशनर का खर्च कम हो जाएगा। यह शीट कपड़े और इंसुलेशन मटीरियल से बनी है जो वर्षा में खराब नहीं होगी और साफ करने में आसान है। बाजार में मिलने वाली शीटों की तुलना में इसकी कीमत 50-60 रुपये प्रति वर्ग फीट है

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    छत पर लगाई गई इंसुलेशन शीट .

    अखिलेश तिवारी, कानपुर। आइआइटी कानपुर ने ऐसी इंसुलेशन शीट तैयार की है, जिसे मकान की छत या इमारतों की दीवारों पर लगाकर एयर कंडीशनर का खर्चा बचाया जा सकेगा। इस शीट को विशेष तरह के कपड़े और इंसुलेशन मटीरियल से तैयार किया गया है। वर्षा में भी यह शीट खराब नहीं होगी। धूल या गंदगी इकट्ठा होने पर आसानी से साफ भी किया जा सकेगा।

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    शीट से भवनों के तापमान को आश्चर्यजनक तरीके से कम किया जा सकता है। भवनों की छत और दीवारों पर इसे लगाने के बाद आठ से 10 डिग्री तक तापमान में कमी पाई गई है। इस शीट की कीमत भी बेहद कम है। बाजार में जो इंसुलेशन शीट हैं, उनकी कीमत 100 से 200 रुपये प्रति वर्ग फीट तक है।

    उन्हें छत या दीवाल पर लगाने के लिए लोहे या लकड़ी का ढांचा तैयार करना पड़ता है। इससे यह खर्चीला भी बहुत है जबकि आइआइटी में तैयार इंसुलेशन शीट का प्रति वर्ग फीट खर्च 50 से 60 रुपये ही है। शीट को किसी भी फ्रेम पर फिट करने की जरूरत नहीं है।

    इसे दीवालों, छतों और पानी की टंकियों पर चिपका या बांध दिया जाता है। लैब टेस्टिंग के बाद आइआइटी की अनुसंधान टीम ने इसका कुछ इमारतों में प्रयोग भी किया है। अब इसे स्टार्टअप कंपनी की मदद से आम लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। इस तकनीक का पेटेंट भी एक साल पहले कराया जा चुका है।

    कपड़ा कैसे बना इंसुलेशन का जरिया

    इंसुलेशन शीट का अनुसंधान करने वाले आइआइटी के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अनिमांग्सु घटक के अनुसार इसे सिंथेटिक पालीमर की मदद से तैयार किया गया है। इसे पेपर कोटेड विद पालीमर कहा जा सकता है। विशेष प्रकार के कपड़े पर ही इस तरह से पालीमर कोटिंग की गई है कि जब इसे किसी भी सतह , छत - दीवार या पानी की टंकी पर लगाया जाता है तो यह इंसुलेशन का काम करती है।

    पालीमर कोटिंग के बीच की सतह में सामान्य वायु भर जाती है। इससे इंसुलेशन होने लगता है। बाहर से आने वाली गर्मी सीधे तौर पर इंसुलेशन शीट के दूसरी ओर नहीं जा पाती है। इंसुलेशन शीट की बाहरी सतह पूरी तरह से सफेद है इससे प्रकाश परावर्तन होता है और सूरज की सीधी गर्मी का असर नहीं होता है।

    इसके बावजूद जो गर्मी या ऊष्मा मिलती है वह कपडे और पालीमर कोटिंग के बीच की सतह में रुक जाती है। इंसुलेशन का यह सामान्य तरीका ही किसी भी स्थान या वस्तु पर गर्मी या सर्दी का सीधा असर नहीं होने देता है।

    छत, दीवार और पानी की टंकी पर हो रहा प्रयोग

    शीट का उत्पादन आइआइटी की स्टार्टअप कंपनी गिटीटेक ने शुरू कर दिया है। कंपनी के सीईओ आदित्य सिंह ने बताया कि इसे कई मकानों में लगाया भी गया है। पानी की टंकी पर इसका सर्वाधिक प्रयोग किया जा रहा है।

    इससे प्लास्टिक टैंक में रखे पानी को गर्म होने से बचाने में सफलता मिली है। इसका लाभ सर्दियों में भी मिलेगा जब टंकी में रखा पानी बहुत ज्यादा ठंडा नहीं होगा। इस शीट को मकान की दीवारों और छतों पर चिपकाया जाता है।

    इसे आसानी से साफ भी किया जा सकता है और हटाकर दूसरे स्थान पर भी लगाया जा सकता है। कानपुर शहर के औद्योगिक क्षेत्र में भी कुछ फॅक्ट्रियों में इसे लगाया गया है। इससे जून महीने में ही उनके एयरकंडीशनर के बिजली उपभाेग में 25 से 30 प्रतिशत तक कमी दर्ज की गई है। इस शीट के प्रयोग से खिड़कियों के परदे भी तैयार किए जा रहे हैं।