हादसा होने पर यदि बीमा नहीं है तो वाहन बेचकर देनी होगी क्षतिपूर्ति
एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था फैसला, डेढ़ माह में राज्य सरकारों को कानून बनाने का दिया था आदेश।
By AbhishekEdited By: Published: Wed, 26 Dec 2018 12:52 PM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 10:56 AM (IST)
केस पड़ताल : कालपी निवासी अजमेरी (30) को ट्रक ने टक्कर मार दी थी। 6 सितंबर 2009 को हुए इस हादसे में उसका हाथ टूट गया था। न्यायालय में दुर्घटना के प्रतिकर (मुआवजे) की मांग की गई। पांच वर्ष तक सुनवाई हुई। वर्ष 2014 में तत्कालीन अपर सत्र न्यायाधीश दशम ने 2.31 लाख रुपये सात फीसद ब्याज के साथ देने के आदेश दिए। चार वर्ष बीत गए लेकिन अजमेरी को अभी तक क्षतिपूर्ति की राशि नहीं मिल सकी।
कानपुर [आलोक शर्मा]। मोटर वाहन अधिनियम से संबंधित यह केस तो महज बानगी भर है। असल में ऐसे तमाम मामले हैं जिनमें पेचीदगी के चलते हादसों के घायल या मृतक के परिजनों को क्षतिपूर्ति नहीं मिल पाती। अब ऐसा नहीं हो सकेगा। वाहन का बीमा नहीं होगा तो उसे बेचकर पीडि़त को क्षतिपूर्ति देनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि वाहन का बीमा है या नहीं यह देखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। उन्होंने डेढ़ माह में प्रभावी कानून बनाने का आदेश भी राज्य सरकारों को दिया था।
मुआवजा मिलने में आती है समस्या
जिस वाहन से दुर्घटना हुई है। उसका बीमा न होने से पीडि़त को मुआवजा मिलने में तमाम समस्याएं आती हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता कौशल किशोर शर्मा बताते हैं कि किसी वाहन से दुर्घटना में किसी 25 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो जाए और वह अपने परिवार का पालन पोषण करने वाला एक मात्र व्यक्ति है तो ऐसे मामलों में प्रतिकर की राशि दस लाख रुपये तक हो सकती है। वाहन का बीमा न होने पर यह धनराशि वाहन मालिक को देनी होती है। यदि वह धनराशि देने में अक्षम है तो उसे जेल जाना पड़ता है लेकिन धनराशि पीडि़तों को नहीं मिलती।
यह था मामला
पंजाब के बरनाला में 21 जनवरी 2015 को ऊषा देवी के पति की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी जबकि सात वर्षीय बेटा घायल हो गया था। मामला राज्य के मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल पहुंचा तो जानकारी हुई कि वाहन का बीमा नहीं है। इस पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
इस वर्ष जिले में हुए हादसे
-1480 सड़क हादसे हुए इस साल अब तक
-665 लोगों ने अपनी जान गवाईं
-1163 लोग घायल हुए
-270 हादसे उल्टी दिशा में आने से
-455 हादसे तेज रफ्तार के कारण
-133 हादसे नशेबाजी में
-622 हादसों में अन्य कारण रहे
कानपुर [आलोक शर्मा]। मोटर वाहन अधिनियम से संबंधित यह केस तो महज बानगी भर है। असल में ऐसे तमाम मामले हैं जिनमें पेचीदगी के चलते हादसों के घायल या मृतक के परिजनों को क्षतिपूर्ति नहीं मिल पाती। अब ऐसा नहीं हो सकेगा। वाहन का बीमा नहीं होगा तो उसे बेचकर पीडि़त को क्षतिपूर्ति देनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि वाहन का बीमा है या नहीं यह देखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। उन्होंने डेढ़ माह में प्रभावी कानून बनाने का आदेश भी राज्य सरकारों को दिया था।
मुआवजा मिलने में आती है समस्या
जिस वाहन से दुर्घटना हुई है। उसका बीमा न होने से पीडि़त को मुआवजा मिलने में तमाम समस्याएं आती हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता कौशल किशोर शर्मा बताते हैं कि किसी वाहन से दुर्घटना में किसी 25 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो जाए और वह अपने परिवार का पालन पोषण करने वाला एक मात्र व्यक्ति है तो ऐसे मामलों में प्रतिकर की राशि दस लाख रुपये तक हो सकती है। वाहन का बीमा न होने पर यह धनराशि वाहन मालिक को देनी होती है। यदि वह धनराशि देने में अक्षम है तो उसे जेल जाना पड़ता है लेकिन धनराशि पीडि़तों को नहीं मिलती।
यह था मामला
पंजाब के बरनाला में 21 जनवरी 2015 को ऊषा देवी के पति की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी जबकि सात वर्षीय बेटा घायल हो गया था। मामला राज्य के मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल पहुंचा तो जानकारी हुई कि वाहन का बीमा नहीं है। इस पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
इस वर्ष जिले में हुए हादसे
-1480 सड़क हादसे हुए इस साल अब तक
-665 लोगों ने अपनी जान गवाईं
-1163 लोग घायल हुए
-270 हादसे उल्टी दिशा में आने से
-455 हादसे तेज रफ्तार के कारण
-133 हादसे नशेबाजी में
-622 हादसों में अन्य कारण रहे
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