इटावा में दहेज हत्या के मामले पर पति को सुनाई फांसी की सजा, साढ़े पांच साल पहले जलाकर की थी हत्या
आरोपितों के अधिवक्ता सुभाष त्रिपाठी ने सास-ससुर के दोषमुक्त होने की अपील करते हुए कई दलीलें प्रस्तुत कीं जिसके आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश शीरीन जैदी ने उपरोक्त निर्णय सुनाया जिससे दहेज की खातिर उत्पीड़न करने वालों में कानून का भय व्याप्त हुआ।

इटावा, जागरण संवाददाता। दहेज हत्या में आरोपित पति को अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट शीरीन जैदी ने दोषी मानकर उसे फांसी की सजा सुनाई। जनपद में दहेज हत्या के मामले में पहली फांसी की सजा हुई है। इसी मामले में आरोपित सास-ससुर को दोष मुक्त कर दिया गया है। साढ़े पांच साल में निर्णय होने से मृतका के पिता ने राहत महसूस की।
जिला शासकीय अधिवक्ता शिवकुमार शुक्ल ने बताया कि 17 मई 2016 को थाना बकेवर क्षेत्र के गांव नगला मोतीराम कुशगवा अहिरान में करीब 25 वर्षीय सुगम की आग से जलकर मृत्यु हो गई थी। सुगम के पिता मुनीम सिंह गांव टिटावली थाना सहसों ने सुगम के पति यशपाल सिंह, सास मिथलेश कुमारी तथा ससुर राजेंद्र सिंह के खिलाफ दहेज हत्या का अभियोग दर्ज कराया था। कहा गया था कि पुत्री सुगम की 11 मई 2013 को शादी की थी जिसमें खूब दान-दहेज दिया था। इसके बावजूद दहेज में तीन लाख रुपये की अतिरिक्त मांग करने लगे। असमर्थता प्रकट करने पर उपरोक्त तीनों आरोपित पुत्री का उत्पीड़न करने लगे। इसके तहत मारपीट करते हुए पुत्री को जलाकर मारडाला। तत्कालीन सीओ भरथना राघवेंद्र सिंह ने तीनों के खिलाफ आरोपपत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया था। शासकीय अधिवक्ता तरुण कुमार शुक्ल ने पुलिस द्वारा एकत्रित जुटाए गए तथा अन्य साक्ष्यों को प्रस्तुत करके कड़ी सजा दिए जाने की अपील की। आरोपितों के अधिवक्ता सुभाष त्रिपाठी ने सास-ससुर के दोषमुक्त होने की अपील करते हुए कई दलीलें प्रस्तुत कीं जिसके आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश शीरीन जैदी ने उपरोक्त निर्णय सुनाया जिससे दहेज की खातिर उत्पीड़न करने वालों में कानून का भय व्याप्त हुआ।

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