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    उरई की ऐतिहासिक मीनार का अद्भुत रहस्य.., यहां लड़का-लड़की के साथ जाने पर हो जाते सात फेरे

    By Akash DwivediEdited By:
    Updated: Thu, 19 Aug 2021 08:14 AM (IST)

    बाबू मथुरा प्रसाद निगम लंकेश ने सन 1875 में इसका निर्माण कराया था। 25 वर्षों में लंका मीनार का निर्माण पूरा हुआ था। लंकेश के वंशज विवेक कुमार निगम बताते है कि लंका मीनार में ऊपर चढऩे के लिये सात गोल फेरों से होकर जाना पड़ता है

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    उरई में स्थित एतिहासिक लंका मीनार का दृश्य

    उरई, जेएनएन। ऐतिहासिक व पौराणिक नगर कालपी में कई ऐसे स्थान है जिनके बारे में जानकार लोग आश्चर्य चकित रह जाते हैं इन स्थानों पर अलग अलग किवदंतियां प्रचलित है जो बेहद रोमांचकारी व दिलचस्प हैं, जिन्हें सुनते ही उनके विषय में जानने की जिज्ञासा और प्रबल हो जाती है नगर का ऐसा ही एक स्थान है लंका मीनार जहां पर भाई बहन आदि रिश्तों के लोग साथ चढऩे पर पति पत्नी हो जाते है ।

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    शादी के सात फेरों से जोड़कर देखा जाता इसे : नगर की लंका मीनार एक ऐसा स्थान है जहां पर भाई बहन मामा भांजी चाचा भतीजी आदि साथ में मीनार पर नहीं चढ़ सकते हैं। क्योंकि इसमें चढऩे के लिए सात गोल चक्कर हैं जिन्हेंं शादी के सात फेरों से जोड़कर देखा जाता है। कहा जाता है यदि उक्त रिश्ते वाले लोग यदि बिना ध्यान दिये लंका में चढ़ जाते हैं तो उन्हेंं पति पत्नी माना जाता है। इसकी जानकारी पहले लंका मीनार के बाहर भी लिखी थी।

    25 वर्षों में मीनार का हुआ था पूरा निर्माण : नगर के मोहल्ला रावगंज स्थित लंका मीनार का निर्माण बाबू मथुरा प्रसाद निगम लंकेश ने सन 1875 में कराया था। 25 वर्षों में लंका मीनार का निर्माण पूरा हुआ था। लंकेश के वंशज विवेक कुमार निगम बताते है कि लंका मीनार में ऊपर चढऩे के लिये सात गोल फेरों से होकर जाना पड़ता है इसलिये यहां पर भाई बहन चाचा भतीजी मामा भांजी आदि रिश्तों को ध्यान में रख कर लोग लंका मीनार पर चढ़ते हैं लंका मीनार के सात फेरों को शादी के सात फेरों से जोड़ कर देखा जाता है। यदि उक्त रिश्ते के लोग साथ मे लंका मे चढ़ते हैं तो उन्हेंं पति पत्नी मान लिया जाता है । हालांकि यह बात कहीं इतिहास में दर्ज नही है। यह केवल किवदंती मात्र है ।

    रावण का पूरा परिवार सहित संसार के सारे देवी देवता स्थापित हैं लंका मीनार परिसर : लंका मीनार की देखरेख करने वाले विवेक निगम बताते हैं कि लंका मीनार परिसर में रावण के पूरे परिवार के लोगों की मूर्तियां स्थापित हैं। रामचरित मानस के अयोध्याकाण्ड में जितने भी देवी देवताओं का वर्णन मिलता है सभी के चित्र लंका मीनार में स्थापित है वहीं रावण की विशाल काय प्रतिमा के सन्मुख चित्रगुप्त का मंदिर है। इस मंदिर को कुछ इस तरीके से बनाया गया है कि 12 मास 24 घंटे रावण की दृष्टि शिवलिंग पर पड़ती है इसी मंदिर मे संसार के सभी देवी देवता की प्रतिमा स्थापित है

    कौड़ी, केसर, शीप, दाल, गुड़ आदि के मिश्रण से हुआ था निर्माण : विवेक कुमार निगम बताते हैं कि इस मीनार का निर्माण कौड़ी, केसर, शीप, उर्द की दाल, गुड़ और चूने आदि का प्रयोग करके कराया गया था। इसका निर्माण कारीगर अजीम ने किया था। लंका मीनार की लंबाई लगभग 30 मीटर है, जिसमें सात घुमावदार मोड़ हैं। वहीं लंका मीनार परिसर में रावण का पूरे परिवार का चित्रण है, जिसमें सौ फीट के कुंभकर्ण व 65 फीट ऊंचे मेघनाद की प्रतिमाएं विराजमान हैं।