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    अंग्रेज अफसर ने अपनी प्रेयसी के लिए बनवाया था बीबीघर, यहां रखे थे 73 अंग्रेज महिलाएं व 124 बच्चे

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Sun, 08 Aug 2021 01:59 PM (IST)

    कानपुर में जहां फूलबाग है वहां पर अंग्रेज अफसर ने बीबीघर बनवाया था। क्रांति के समय यहां रहने वाला यूरेशियन परिवार चला गया था । इसके बाद अंग्रेजों ने भवन ढहा दिया था और कुआं पाट दिया था।

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    कानपुर में क्रांति के समय की यादें।

    कानपुर, आलोक शर्मा। भारत की आजादी का इतिहास भारतीयों की देशभक्ति, त्याग व बलिदान की अमिट कहानियों से भरा पड़ा है, लेकिन सत्तीचौरा घाट और बीबीघर की घटना इस इतिहास के दो ऐसे अध्याय हैं जिस पर इतिहासकारों को सवाल उठाने का अवसर मिल ही जाता है। भले ही यह घटनाएं भय और आक्रोश में की गई हों। बीबीघर की घटना भी ऐसी ही थी। कानपुर पर दोबारा कब्जा करने के बाद अंग्रेजों ने इसे ढहा दिया था।

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    शहर में जहां आज फूलबाग है, वहां पर बीबीघर नाम का एक छोटा सा भवन था। इसे एक अंग्रेज अफसर ने अपनी हिंदुस्तानी बीबी (प्रेयसी) के लिए बनवाया था, जिसे बाद में लोग बीबीघर कहने लगे। इसमें छह गज लंबा आंगन था। इसके दोनों ओर 20 फीट लंबे व 16 फीट चौड़े दो कमरे थे। इन कमरों के सामने बरामदे थे। कमरों के दोनो ओर स्नानघर बने थे। इसके परिसर में ही एक कुआं भी था।

    1857 की क्रांति से पहले तक बीबीघर में एक यूरेशियन परिवार रहता था जो विद्रोह का बिगुल बजते ही चला गया था। इससे बीबीघर पूरी तरह खाली हो चुका था। 27 जून 1857 को सत्तीचौरा घाट हत्याकांड मे बचाए गए सवा सौ अंग्रेज स्त्रियां व बच्चे सवादा कोठी से लाकर बीबीघर में रखे गए। विद्रोही सैनिकों ने फतेहगढ़ से आ रही नावों को पकड़ा था, जिसमें अंग्रेज अफसर स्त्रियां और बच्चे थे। उन्हें भी यहीं लाकर रखा गया। इतिहासकारों के मुताबिक उस समय बीबीघर मे तीन अंग्रेज अफसर, 73 महिलाएं व 124 बच्चे थे। इनकी देखभाल और सुरक्षा का जिम्मा पेशवा बाजीराव द्वितीय के आश्रय में रहीं बेगम हुसैनी खानम को सौंपा गया। अंग्रेजों की सुरक्षा के लिए नाना साहब पेशवा के सैनिकों का पहरा लगा दिया गया।

    उधर, 15 जुलाई 1857 को जनरल हैवलाक सेना के साथ कानपुर पहुंचा तो क्रांतिकारियों के पैर उखडऩे लगे। 17 जुलाई 1857 को अंग्रेजी फौजों ने कानपुर पर पूरी तरह कब्जा कर लिया। नाना साहब 16 जुलाई की रात में ही कानपुर से पलायन कर गए। इसी रात बेगम हुसैनी खानम ने कई जल्लाद बुलाए और बीबीघर में बंद अंग्रेजों का कत्ल करा दिया। सभी के शव अहाते के कुएं मे डलवा दिए गए। इसके बाद अंग्रेजों ने बीबीघर को ढहा दिया और कुएं को पाट दिया। वर्तमान में यहां तात्याटोपे की प्रतिमा स्थापित है।