सात समंदर पार फिर भी हिंदी से है प्यार, अमेरिका-कनाडा में बसे बुंदेलखंड के दो भाइयों को बनाया खास
महोबा के चरखारी तहसील के खरेला के रहने वाले दो सगे भाई भले ही अमेरिक और कनाडा में जाकर बस गए हों लेकिन बुंदेलखंड की भाषा में बात करने के साथ साहित्य का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं और हिंदी संगोष्ठी का भी आयोजन कराते हैं।
महोबा, जागरण संवाददाता। जिसने काल को जीत लिया है.., ऐसी कालजयी भाषा है हिंदी.., सरल शब्दों में कहा जाए तो.., जीवन की परिभाषा है हिंदी...।। हिंदी की महत्ता बताने के लिए ये चार लाइनें ही काफी हैं। भले ही इंजीनियर सुशील और सुधीर रोजगार के लिए परदेस में बसे हों, लेकिन मातृभाषा का प्रेम उनके दिल में रचा-बसा है। वह हिंदी में काम करके, दूसरों को प्रेरित करने संग हिंदी साहित्य के प्रचार-प्रसार को गोष्ठियां कर उसके मान की पताका फहरा रहे हैं। चरखारी तहसील के कस्बा खरेला के लक्ष्मण सोनी के चार पुत्रों में से सुशील और सुधीर की चाहत है कि मातृभाषा हिंदी वैश्विक क्षितिज पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाए। विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) को है। इसको लेकर दोनों भाइयों के प्रयासों के बारे में आपको बताते हैं।
गांव में मिली प्राथमिक शिक्षा : गांव के प्राथमिक स्कूल में शिक्षा पाने के बाद उन्होंने हाईस्कूल भी खरेला से पास किया। वर्ष 2004 में आइआइटी रुड़की से कंप्यूटर साइंस ब्रांच से इंजीनियरिंग की। यहां के बाद वर्ष 2009 में अमेरिका की एक कंपनी में इंजीनियर हो गए। विदेश में रहते हुए भी सुशील ने भोपाल की विद्या सोनी से विवाह किया। उनके आठ साल का बेटा व छह साल की बेटी है।
अमेरिका में कराते हिंदी गोष्ठी : सुशील के पिता लक्ष्मण बताते हैं कि बेटा लगभग हर वर्ष खरेला आता है। अमेरिका में होली और दीपावली जैसे पर्व के मौके पर हिंदी साहित्य पर गोष्ठी आयोजित कराता है। इस दौरान भारतीय मूल के लोग वहां जुटते हैं। उसकी कोशिश रहती है कि अधिकांशत: वह हिंदी में बात करे और दूसरों को भी प्रेरित करे।
दूसरे बेटे सुधीर सोनी ने खरेला के काशी प्रसाद इंटर कालेज से 2000 में हाईस्कूल व कानपुर के जुगलदेवी सरस्वती शिशु मंदिर से इंटर करने के बाद नोएडा से कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग करके वर्ष 2017 से कनाडा के टोरंटो शहर की एक कंपनी के साथ काम शुरू किया। उसे भी हिंदी साहित्य से बेहद लगाव है। उसने वहां के दोस्तों का क्लब बनाया है, जहां बुंदेलखंड की भाषा में ही बात करते हैं। यहां की पुस्तकों का प्रचार-प्रसार करने के लिए साथियों में उनका वितरण करते हैं।