हाईकोर्ट का आदेश, विधायक अशोक सिंह चंदेल समेत दोषियों की जल्द कराएं गिरफ्तारी
पांच लोगों की सामूहिक हत्या के मामले में अशोक सिंह चंदेल समेत 10 को उम्रकैद की सजा हो चुकी है।
हमीरपुर, जेएनएन। सामूहिक हत्याकांड में विधायक अशोक सिंह चंदेल समेत 10 लोगों को उम्रकैद की सजा के आदेश की प्रति स्थानीय सत्र न्यायालय पहुंच गई है। विशेष संदेशवाहक के जरिए भेजे गए आदेश में हाईकोर्ट ने स्थानीय अदालत को त्वरित अनुपालन के निर्देश दिए हैं। अब सत्र न्यायालय को सजायाफ्ता विधायक समेत दोषियों की गिरफ्तारी का आदेश देना है।
पीडि़त पक्ष के अधिवक्ता निषेंद्र सिंह ने बताया कि 22 वर्ष पूर्व मुख्यालय के बाजार में स्थानीय निवासी राजीव शुक्ला के भाइयों व भतीजे सहित पांच लोगों की गोली मारकर सामूहिक हत्या कर दी गई थी। इस मामले में बीती 19 अप्रैल को उच्च न्यायालय ने सदर विधायक अशोक ङ्क्षसह चंदेल सहित 10 लोगों को उम्रकैद दी गई थी। हालांकि हाईकोर्ट का आदेश स्थानीय अदालत में न आने के कारण इनकी गिरफ्तारी नहीं की गई। उन्होंने बताया कि विशेष संदेशवाहक के माध्यम से हाईकोर्ट ने आदेश के त्वरित अनुपालन कराने के निर्देश स्थानीय सत्र न्यायालय को भेजे हैं। अब स्थानीय अदालत सभी सजायाफ्ता लोगों की गिरफ्तारी के आदेश जारी कर सकती है। मामले के वादी राजीव शुक्ला ने बताया कि आदेश जारी होते ही सभी सजायाफ्ता लोगों की गिरफ्तारी होगी।
एक आरोपित की अलग से सुनवाई
अधिवक्ता निषेंद्र सिंह ने बताया कि मामले में कुल 12 आरोपित थे। रुक्कू नामक युवक को स्थानीय अदालत से उम्रकैद की सजा हुई थी। इस वजह से उसके मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में अलग से होगी वहीं एक आरोपित झंडू सिंह की मौत हो चुकी है।
22 साल पहले हुई थी ये वारदात
वादी राजीव शुक्ला ने 26 जनवरी 1997 को तहरीर देकर पुलिस को बताया था कि घटना के दिन शाम साढ़े सात बजे वह सामान लेने अपने नौकर लल्लन के साथ बाजार गए थे। उनके बड़े भाई राकेश शुक्ला अपने दो बेटों गुड्डा, चंदन व उनके बेटे विपुल को लेकर श्रीकांत व वेद प्रकाश के साथ कार से सुनरही गली निवासी बड़े बहनोई के घर से वापस लौट रहे थे। नसीम बंदूक वाले की दुकान के पास उन्हें व लल्लन को देखकर परिवारीजन गाड़ी रोककर बात करने लगे। इस बीच नसीम बंदूक वाले के घर से पूर्व विधायक अशोक सिंह चंदेल, श्याम सिंह निवासी सुमेरपुर, साहब सिंह झंडू सिंह व अशोक चंदेल का ड्राइवर रुक्कू रायफलें लेकर निकले और जान से मारने की नीयत से फायर करने लगे।
फायरिंग की आवाज सुनकर बाजार की तरफ से विधायक के पक्ष से ही रघुवीर सिंह, उनका बेटा आशुतोष सिंह उर्फ डब्बू, प्रदीप सिंह, उत्तम सिंह व भान सिंहगाड़ी से आ गए और बंदूकों-रायफलों से फायर करने लगे। इससे गाड़ी बैठे भाई राकेश, गुड्डा, विपुल व चंदन के गाड़ी में पीछे बैठे वेद व श्रीकांत को गोली लग गई, वह गाड़ी में ही गिर गए। फायरिंग से भगदड़ के बाद बाजार बंद हो गया। सूचना पाकर राकेश के बड़े भाई राजेश शुक्ला मोहल्ले के अन्य लोगों के साथ मौके पर पहुंचे।
उन्होंने मामूली चोट होने के चलते चंदन व विपुल को घर भेज दिया जबकि बाकी घायलों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने लगे तभी पर्मा पंडित के घर के पास आरोपितों ने फिर अधाधुंध फायरिंग की गई। जिससे बड़े भाई राजेश, रविकांत पांडेय व उन्हें गोली लग गई और वह गिर पड़े। मची भगदड़ में सभी लोग यहां वहां छिप गए। बड़े भाई राजेश पिता के नाम की लाइसेंसी रायफल लिए थे, आरोपित उसे भी छीन ले गए। हमलावरों के जाने के बाद देखा तो उनके भाई राकेश, राजेश और भतीजे गुड्डा ने मौके पर ही दम तोड़ दिया जबकि श्रीकांत, वेद को अस्पताल ले जाया गया, वहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
इनके खिलाफ दी गई थी तहरीर
तहरीर में अशोक सिंह चंदेल, श्याम सिंह, साहब सिंह, झंडू सिंह, ड्राइवर रुक्कू, सरकारी गनर, रघुवीर सिंह, डब्बू सिंह, प्रदीप सिंह, उत्तम सिंह, भान सिंह, नसीम व अन्य के खिलाफ थाने में तहरीर दी गई थी। उनके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर सरकारी गनर को छोड़ शेष 11 के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की थी। मामले के एक आरोपित झंडू सिंह की मौत हो गई। विधायक अशोक सिंह चंदेल नवंबर 1998 को लाव-लश्कर के साथ कोर्ट में हाजिर हुए थे। जहां उन्हें तत्कालीन न्यायाधीश आरबी लाल ने तुरंत जमानत दे दी थी।
छात्रसंघ अध्यक्ष की हत्या बनी थी वजह
मुख्यालय के रमेड़ी मोहल्ला निवासी व घटना के वादी राजीव शुक्ला ने बताया कि वर्ष 1995 में सुमेरपुर कस्बे में छात्रसंघ अध्यक्ष शिवनारायण मिश्रा व उनके साथी संजय शुक्ला की हत्या हुई थी जिसमें सुमेरपुर कस्बे के श्याम सिंह आदि का नाम आया था। शिवनारायण व संजय की ओर से उनके भाई अधिवक्ता राकेश शुक्ला व श्रीकांत के भाई रमाकांत पांडेय एडवोकेट ने पैरवी की थी जबकि विधायक अशोक चंदेल ने श्याम सिंह आदि का साथ दिया था। राजीव ने बताया कि चुनाव के दौरान अशोक चंदेल का विरोध भी किया था। इसको लेकर अशोक चंदेल, रघुवीर सिंह व श्याम सिंह रंजिश मानते थे।
निचली अदालत से एक को हुई थी उम्रकैद
15 जुलाई 2002 को सुनवाई करते हुए तत्कालीन एडीजे अश्विनी कुमार ने दस आरोपितों को दोष मुक्त कर दिया था जबकि एक आरोपित रुक्कू ङ्क्षसह के हाजिर न होने के चलते उस पर आरोप चलता रहा। इसके बाद 12 मई 2003 को रुक्कू कोर्ट में हाजिर हुआ और उसकी सुनवाई करते हुए स्थानीय अदालत में दो वर्ष पूर्व 12 अप्रैल 2017 को उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
गलत निर्णय पर अधिकारी को किया था टर्मिनेट
वारदात में जान गंवाने वाले श्रीकांत पांडेय के भाई अधिवक्ता रमाकांत पांडेय ने बताया कि सरेआम हुए हत्याकांड के जिस तरह आरोपित छोड़ दिए गए थे। उससे काफी हताशा हुई थी लेकिन भरोसा तब जागा, जब गलत निर्णय देने वाले न्यायाधीश अश्विनी कुमार को हाईकोर्ट ने बर्खास्त कर दिया। आज हाईकोर्ट के निर्णय से भरोसा बढ़ा है कि जीत हमेशा सत्य की होती है।
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