Post Covid: कोरोना से उबरने के बाद बढ़ रहे हैं दिल के मरीज, धड़कन बढ़ने और सांस फूलने की हो रही समस्या
कोरोना की दूसरी लहर के संक्रमण से उबरने वालों पर सर्दी भारी पड़ रही है। इनमें उलझन सांस फूलने और दिल की धड़कन बढ़ने जैसे पोस्ट कोविड लक्षण सामने आ रहे हैं। अस्पताल पहुंचे पोस्ट कोविड लक्षण वाले 40 प्रतिशत मरीज दिल से जुड़ी बीमारियों से परेशान हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर: कोरोना की दूसरी लहर के संक्रमण से उबरने वालों पर सर्दी भारी पड़ रही है। इनमें उलझन, सांस फूलने और दिल की धड़कन बढ़ने जैसे पोस्ट कोविड लक्षण सामने आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद अस्पताल पहुंचे पोस्ट कोविड लक्षण वाले 40 प्रतिशत मरीज दिल से जुड़ी बीमारियों से परेशान हैं। जांच के बाद पता चला है कि इनके दिल में खून का थक्का जमने लगा है। ऐसे में इन्हें खून पतला करने वाली दवाएं दी जा रही हैं। इनमें युवा से लेकर बुजुर्ग और महिलाएं तक शामिल हैं। लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान की ओपीडी व इमरजेंसी में मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
पोस्ट कोविड बीमारियों के लक्षण
रेल बाजार के 21 वर्षीय अनुराग को 2021 में कोरोना संक्रमण हुआ। अब सर्दी में सांस फूलने व धड़कन बढ़ने से रात भर बेचैनी रहती है। पैरों में सूजन भी है। जांच में हार्ट फेल्योर की स्थिति पाई गई। किदवई नगर के 53 वर्षीय विपिन साहू मधुमेह से पीड़ित हैं, जुलाई 2021 को कोरोना की चपेट में आए थे। इससे उबरने के बाद से दिल की धड़कन बढ़ गई है, घबराहट रहती है। हमीरपुर की 39 वर्षीय महिला को मई 2021 में कोरोना का संक्रमण हुआ। उबरने के बाद से हाथ-पैर ठंडे और घबराहट रहती है।
युवा और बुजुर्गों की संख्या अधिक
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस समय 40 प्रतिशत मरीज पोस्ट कोविड लक्षण के साथ हृदय रोग संस्थान में रोज पहुंचते हैंl इनमे से 20 प्रतिशत युवा पोस्ट कोविड व 12 प्रतिशत बुजुर्ग पोस्ट कोविड लक्षण के होते हैं। वहीं 08 प्रतिशत महिलाएं पोस्ट कोविड लक्षण की पहुंचती हैं।
कोरोना वायरस दिल की मांसपेशियों को करता है कमजोर
लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान में कार्डियो वैस्कुलर एंड थोरेसिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश वर्मा का कहना कि कोरोना वायरस दिल की मांसपेशियों में पहुंच कर कमजोर कर देता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत और हार्ट फेल्योर की स्थिति बनती है। हार्ट की छोटी-छोटी नसों में थक्के बनने से सूजन आ जाती है और रक्त संचार प्रभावित होने से हाथ-पैर ठंडे पड़ जाते हैं। इसमें लापरवाही जान पर भारी पड़ती है।
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