एचबीटीयू की खोज, अब काजू के छिलके से बनेंगे हेलमेट, फ्रिज, कूलर और कुर्सी Kanpur News
एचबीटीयू के प्रोफेसर ने काजू के छिलके से प्लास्टिक तैयार की है जो ज्यादा मजबूत और टिकाऊ होगी।
कानपुर, [जागरण स्पेशल]। प्लास्टिक और फाइबर से निर्मित हो रहे हेलमेट, फ्रिज, कूलर और कुर्सी अब काजू के छिलके से भी बनाई जा सकेंगी। यह सुनकर भले ही अटपटा लग रहा हो लेकिन एचबीटीयू के एक प्रोफेसर ने ऐसी ही खोज की है। उन्होंने काजू के छिलके से प्लास्टिक का विकल्प तलाश लिया है, जो इको फ्रेंडली है।
पर्यावरण को नहीं पहुंचाएगा नुकसान
हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) ने अब काजू के छिलके से प्लास्टिक का विकल्प तलाशा है। यह प्लास्टिक की तुलना में मजबूत होने के साथ टिकाऊ व सस्ता होगा और पर्यावरण के लिए नुकसानदेह नहीं होगा। इतना ही नहीं इसेे री-साइकल करके दोबारा उत्पाद बनाए जा सकेंगे। एचबीटीयू में प्लास्टिक विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दीपक श्रीवास्तव ने दो वर्षों के शोध के बाद प्लास्टिक की तरह काम करने वाले इस पदार्थ को तैयार किया है।
फिनॉल का प्राकृतिक विकल्प किया विकसित
वर्तमान में ग्लास फाइबर व फिनॉल नामक रसायन से प्लास्टिक बनाई जा रही है। फिनॉल से पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचता है। प्रो. दीपक ने बताया कि उन्होंने काजू के छिलकों से फिनॉल का प्राकृतिक विकल्प विकसित किया है। चूंकि काजू के छिलके में 80 फीसद तेल होता है, जिसके इस्तेमाल से यह मजबूत पदार्थ बनाया गया है। एचबीटीयू प्रयोगशाला में इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है। भविष्य में प्लास्टिक के इस विकल्प से हेलमेट, फ्रिज, कूलर व कुर्सी की बॉडी बनाई जा सकेगी।
अंतिम परीक्षण के बाद बाजार में उतारने की तैयारी
प्रो. दीपक श्रीवास्तव ने बताया कि काजू के छिलके से बनी इस प्लास्टिक का कॉमर्शियल इस्तेमाल के लिए अंतिम परीक्षण किया जाना बाकी है। प्लास्टिक की तुलना में यह थर्मोसेट मैटीरियल 20 फीसद सस्ता होगा। उन्होंने अपनी इस खोज के अंतर्गत काजू के छिलकों में पाए जाने वाले तेल की रासायनिक संरचना का डिजिटल अध्ययन करके फिनोल का विकल्प कॉर्डेनॉल तलाशा। भूरे रंग के इस पदार्थ से हार्ड मैटेरियल बनाया जा सकता है।
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