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    Guru Purnima 2022 : कानपुर के इन गुरुओं को नमन, जिनकी प्रेरणा से शिष्यों ने छुआ सफलता का आसमान

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Wed, 13 Jul 2022 07:10 AM (IST)

    कानपुर में ओईएफ से सेवानिवृत्त अधिकारी बच्चों को पढ़ाकर और शिक्षक युवाओं को पावर लिफ्टिंग में कामयाब बनाने के लिए समर्पण और त्याग की मिसाल पेश कर रहे है। नौकरी और वेतन का धन भी उन्हें निखारने में लगा रहे हैं।

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    कानपुर में ऐसे गुरुओं को नमन ।

    कानपुर, विवेक मिश्र। भारतीय परंपरा में गुरु का स्थान त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) से बढ़कर माना गया है। अबोध बच्चों के ज्ञान चक्षु खोलने वाले गुरु ही होते हैं। वह भी यही चाहते हैं कि बच्चे ज्ञान में पारंगत होकर ऊंचे ओहदे पर पहुंचें। वर्तमान समय में भी ऐसे गुरु हैं जो बिना किसी स्वार्थ के निश्शुल्क अध्यापन और खेल प्रशिक्षण देकर शिष्यों का जीवन संवारने में पूरे समर्पण भाव से जुटे हैं। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आइए आपको ऐसे ही दो गुरुओं के बारे में बताते हैं जो समर्पण व त्याग का उदाहरण पेश कर अपने शिष्यों को कामयाब बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे।

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    नौकरी में मिली राशि बच्चों को पढ़ाने में खर्च कर रहे

    हाईस्कूल व इंटर की पढ़ाई में अंग्रेजी विषय में कमजोर होने की वजह से विद्यार्थी फेल न होने पाएं, यह लक्ष्य लेकर ओईएफ से सेवानिवृत्त अधिकारी व शास्त्री नगर श्रमिक कालोनी निवासी रामजी गुप्ता अपने आवास पर ही सेंटर आफ इंग्लिश स्टडी का निश्शुल्क संचालन कर रहे हैं। रामजी गुप्ता बताते हैं कि पिता के श्रमिक होने की वजह से उन्होंने अपने छात्र जीवन में काफी संघर्ष किया।

    अंग्रेजी विषय से परास्नातक की पढ़ाई करने के दौरान संकल्प लिया था कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को पढ़ाई में नहीं पिछड़ने देंगे। ओईएफ से सेवानिवृत्ति के दौरान मिली राशि का एक हिस्सा सेंटर तैयार करने में खर्च किया। आज करीब 24 बच्चों को निश्शुल्क अंग्रेजी विषय पढ़ा रहे हैं। इस बार बोर्ड परीक्षा में बच्चों ने अंग्रेजी विषय में 88 अंक तक हासिल किए। अब एसएससी की तैयारी करने वाले बच्चों को भी अंग्रेजी पढ़ाना शुरू किया है। पूरे मोहल्ले में अब गुरुजी के नाम से जाने जाते हैं।

    वेतन के पैसे से तैयार किया प्रशिक्षण केंद्र

    साकेत नगर निवासी व लखनऊ के एक स्कूल में बतौर शिक्षक सेवाएं दे रहे राहुल शुक्ला ने बताया कि उन्हें बचपन से पावर लिफ्टिंग खेल में आगे बढ़ने की चाह रही। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए मेडल जीतने के बाद युवाओं को इस खेल में भविष्य बनाने के लिए प्रशिक्षित करने का संकल्प लिया। राहुल बताते हैं कि उन्होंने वर्ष 2015 में काकादेव में अपने वेतन के पैसे से प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया।

    पावर लिफ्टिंग में भविष्य बनाने वाले युवाओं को निश्शुल्क प्रशिक्षण देना शुरू किया। स्कूल में सेवा देने के बाद शाम को युवाओ को खेल की बारीकियां सिखाने में समय देते हैं। अब तक 50 से ज्यादा खिलाड़ियों को पावर लिफ्टिंग खेल में प्रशिक्षण दे चुके हैं। इनमें से कई खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक प्राप्त करने में सफलता पाई। वर्तमान में 21 युवा सेंटर पर निश्शुल्क प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं।

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