कर, ब्याज या अर्थ दंड की राशि बाकी है तो नहीं मिलेगा रिफंड, जानिए क्या है जीएसटी की नई व्यवस्था
जीएसटी में अभी तक व्यवस्था है कि इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर का रिफंड कोई उद्यमी लेना चाहता है और उस पर कोई टैक्स ब्याज या अर्थ दंड की राशि बाकी नहीं होनी चाहिए। ऐसे में उसके रिफंड लेने की सुविधा तब तक के लिए रोक दी जाती है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) में अभी तक किसी उद्यमी पर यदि कर, ब्याज, अर्थ दंड की राशि बाकी थी तो उसे इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर का रिफंड नहीं मिलता था लेकिन अब किसी भी तरह की बकायेदारी पर सभी रिफंड रोक दिए जाएंगे। कारोबारियों के लिए ये संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं।
जीएसटी में अभी तक व्यवस्था है कि इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर का रिफंड कोई उद्यमी लेना चाहता है और उस पर कोई टैक्स, ब्याज या अर्थ दंड की राशि बाकी नहीं होनी चाहिए। ऐसे में उसके रिफंड लेने की सुविधा तब तक के लिए रोक दी जाती है जब तक कि वह इनका भुगतान नहीं कर देता या अधिकारी उसके कैश लेजर में मौजूद रकम से वसूली नहीं कर लेते। इसमें उद्यमियों को यह सुविधा मिली थी कि यदि टैक्स, ब्याज या अर्थदंड की अपील हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में है तो उसे नहीं रोका जाएगा। अब नई प्रस्तावित व्यवस्था में कहा गया है कि रिफंड चाहे इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर का हो या निर्यात या फिर किसी अन्य तरीके का, अगर कोई टैक्स, ब्याज, अर्थ दंड बाकी है तो उसका रिफंड नहीं दिया जाएगा।
क्या है इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर
कोई उद्यमी कच्चा माल खरीदते समय टैक्स की ज्यादा दर का भुगतान करता है लेकिन जब वह अपना उत्पाद बनाता है तो उसके टैक्स की दर कम होती है। यह जो अंतर होता है, उसका इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत उद्यमी को रिफंड किया जाता है। यह व्यवस्था सिर्फ निर्माता इकाइयों को ही मिलती है।
बोले जिम्मेदार : पहले सिर्फ इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में किसी राशि के बकाया होने पर रिफंड नहीं मिलता था। अब किसी भी चीज का रिफंड हो, अगर टैक्स, ब्याज या अर्थ दंड बकाया है तो रिफंड नहीं मिलेगा। - संतोष कुमार गुप्ता, टैक्स सलाहकार
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