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    महिला प्रधान गोविंदपुरी रेलवे स्टेशन विकास में रह गया पीछे, टर्मिनल का वादा अभी भी अधूरा

    By Abhishek VermaEdited By:
    Updated: Sat, 15 Jan 2022 10:53 PM (IST)

    2018 वर्ष में महिला दिवस पर गोविंदपुरी को आदर्श स्टेशन के रूप में विकसित करने की घोषणा हुई थी। इसे टर्मिनल स्टेशन बनाने की भी पहल की गई। लेकिन वक्त के साथ यह दम तोड़ती नजर आ रही है।

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    गोविंदपुरी में 23 महिलाओं का स्टाफ यहां देता है सेवा।

    कानपुर, जागरण संवाददाता। करीब चार साल पहले गोविंदपुरी रेलवे स्टेशन को महिला प्रधान आदर्श रेलवे स्टेशन (पिंक स्टेशन) के रूप में विकसित करने का सपना देखा गया। महिला दिवस पर इसे अमलीजामा भी पहना दिया गया। स्टेशन की पूरी जिम्मेदारी महिलाओं को सौंप दी गई। स्टेशन अधीक्षक, टीटीई, सुरक्षा और सफाई का जिम्मा महिला कर्मचारियों के हाथों में दे दी गई। हालांकि, यह बेहतरीन पहल वक्त के साथ दम तोड़ने लगी। खुद रेलवे ही इस आदर्श स्टेशन का विकास करना भूल गया। इसे टर्मिनल स्टेशन बनाने के वादे और दावे धरातल पर कहीं नजर नहीं आए। यहां तक कि यहां मूलभूत यात्री सुविधाओं का भी अभाव है। अधिकारी कहते हैं कि रेलवे से हरी झंडी का इंतजार है। वहां से निर्देश मिलते ही टर्मिनल शुरू हो जाएगा।

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    काम शुरू हुआ लेकिन कछुआ चाल से

    महिला दिवस पर आठ मार्च 2018 को गोविंदपुरी आदर्श स्टेशन की शुरुआत हुई। पिंक स्टेशन होने के नाते संचालन से लेकर अन्य सभी जिम्मेदारियां महिलाओं को सौंप दी गई। करीब पांच साल पहले सेंट्रल स्टेशन का लोड कम करने के लिए इसे टर्मिनल बनाने का प्रस्ताव दिया गया। इस पर काम भी शुरू हुआ लेकिन कछुआ चाल से। रेलवे ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया जिसका परिणाम यह है कि गोङ्क्षवदपुरी स्टेशन टर्मिनल के रूप में शुरू नहीं हो सका। सेंट्रल स्टेशन आज भी 250 से ज्यादा यात्री ट्रेनों का लोड अकेले उठाने को मजबूर है।

    बोले जिम्मेदार। मूलभूत यात्री सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। कई काम शेष हैं। उनके पूरा होने के बाद इसे टर्मिनल स्टेशन के रूप में शुरू करा दिया जाएगा। हिमांशु शेखर उपाध्याय, डिप्टी सीटीएम

    टर्मिनल के लिए यह सुविधाएं जरूरी

    -24 कोच की ट्रेन खड़ी करने के लिए हाईलेवल प्लेटफार्म

    -शेड से ढका हुआ प्लेटफार्म

    -फुट ओवर ब्रिज

    -बुकिंग काउंटर

    -रिटायरिंग रूम

    -वेटिंग रूम व वेटिंग हाल

    -लंबी दूरी की ट्रेनों को पानी देने के लिए वाटर हाइडेंट

    -वाशिंग लाइन

    -पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था

    -हर प्लेटफार्म पर दो सुलभ शौचालय

    -यात्रियों के खानपान की व्यवस्था

    छह ट्रेनों का होता है संचालन

    गोविंदपुरी से छह ट्रेनों का संचालन होता है। इसमें एक लंबी दूरी की एक्सप्रेस ट्रेन गांधी नगर बनारस सुपरफास्ट भी शामिल है। चार सवारी ट्रेने यहां से चलायी जा रही हैं। एक साप्ताहिक ट्रेन का भी यहां से संचालन होता है।

    23 महिलाओं का स्टाफ

    स्टेशन पर 23 महिलाओं का स्टाफ है। इसमें ग्रुप सी में 11, ग्रुप डी में आठ, आरपीएफ की चार सुरक्षाकर्मी स्टेशन की जिम्मेदारी संभालती हैं।

    यह होगा फायदा: सेंट्रल स्टेशन से कम हो जाएगा दो दर्जन ट्रेनों का बोझ सेंट्रल स्टेशन से होकर प्रयागराज जाने वाली लंबी दूरी की करीब दो दर्जन ट्रेनें हैं जिन्हें गोविंदपुरी के टर्मिनल बनने से सीधे चंदारी होते हुए आगे निकाला जा सकेगा। इससे सेंट्रल पर ट्रेनों और यात्रियों की संख्या कम हो जाएगी। वर्तमान में 24 घंटे में 250 से ज्यादा ट्रेनों का संचालन सेंट्रल स्टेशन से हो रहा है।