कानपुर के लोगों के लिए खुशखबरी, मोतीझील से सेंट्रल स्टेशन तक 12 मिनट में पहुंची मेट्रो
कानपुर में मोतीझील से सेंट्रल स्टेशन तक सड़क मार्ग से 45 मिनट लगने वाले सफर को मेट्रो ट्रेन ने सिर्फ 12 मिनट में तय किया। 40.8 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी यात्रियों को गर्मी नहीं लगी। करिश्मा गुप्ता और ज्योति सिंह ने ट्रेन का संचालन किया। भूमिगत और एलिवेटेड रूट से गुजरते हुए यात्रियों को बेहतर अनुभव मिला। जल्द ही शहर के लोगों को इस यात्रा का आनंद मिलेगा।

जागरण संवाददाता, कानपुर। सड़कों पर अवैध कब्जे, अतिक्रमण, ध्वस्त यातायात व्यवस्था, खोद कर छोड़ दी गई सड़कों वाले शहर में मोतीझील से कानपुर सेंट्रल स्टेशन तक बाइक, आटो, कैब, कार या बस से पहुंचने में कम से कम पौन घंटा लगता है। इसी दूरी को बुधवार को मेट्रो ट्रेन ने 12 मिनट में पूरा किया। बाहर का तापमान 40.8 डिग्री सेल्सियस होने के बाद भी गर्मी नहीं लगी।
इतना ही नहीं उसने भूमिगत और एलिवेटेड दोनों ही रूट का अहसास भी दिलाया। कानपुर सेंट्रल मेट्रो स्टेशन पर ट्रेन उतर कर भूमिगत मार्ग से ऊपर जाते ही सामने ही रेलवे स्टेशन की सीढ़ियों से सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म तक पहुंच गए।
करिश्मा गुप्ता और ज्योति सिंह ने किया ट्रेन का संचालन
मेट्रो चुन्नीगंज से कानपुर सेंट्रल स्टेशन तक के भूमिगत रूट के लिए तैयार है। इस विशेष यात्रा में लोको पायलट करिश्मा गुप्ता और ज्योति सिंह ने ट्रेन को संचालित किया। करीब 50 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चली मेट्रो में बायीं तरफ बृजेंद्र स्वरूप पार्क का नजारा था, वहीं इसके बाद सीसामऊ नाला पार करती हुई मेट्रो भूमिगत रूट पर उतरती चली गई। इसके बाद सुरंग का अंधेरा था और बीच-बीच जलती कुछ लाइट थीं जो तेज रफ्तार ट्रेन से पीछे छूटती जा रही थीं।
ट्रेन का हर स्टेशन पर 15 सेकेंड तक रहा स्टॉपेज
ट्रेन के अंदर तो रोशनी थी लेकिन बाहर सिर्फ तभी कुछ दिख रहा था जब किसी स्टेशन पर ट्रेन पहुंच रही थी। इस रूट में ट्रेन के हर स्टेशन पर स्टापेज भी 15 सेकेंड के आसपास रहा। हर स्टेशन के प्लेटफार्म पर तो नहीं लेकिन कानकोर्स पर आर्ट वर्क मनमोह रहा था। सेंट्रल स्टेशन पर घंटाघर की चित्रकारी थी तो नवीन मार्केट में गंगा आरती की। चुन्नीगंज में लाल इमली की पेंटिंग की गई है।
नयागंज स्टेशन पर स्क्रीन भी लगाकर रखी गई थी जिससे लाइव प्रसारण देखा जा सके। वहीं कानपुर सेंट्रल पर शहर की सामान्य बोलचाल में प्रयोग किए जाने वाले शब्दों को लिखा गया है। अब बस देरी है, इसके उद्घाटन की और शहर के लोगों को ट्रेन की यात्रा का आनंद दिलाने की।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।