गाजियाबाद-कानपुर कारिडोर यानी फर्रुखाबाद से मात्र दो घंटे का सफर, व्यापार को भी मिल सकती रफ्तार
फर्रुखाबाद जनपद से गाजियाबाद ग्रीन कॉरिडोर गुजरने से दिल्ली और कानपुर का सफर सुगम हो सकता है। इसके अलावा जनपद को व्यापार शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में फायदा हो सकता है। अभी सफर में 5-6 घंटे लगते हैं तो कॉरिडोर बनने से तीन घंटे लगने की उम्मीद है।
फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता। कम चौड़े और गड्डायुक्त सड़कों पर सफर कर रहे फर्रुखाबाद के लोगों के लिए गाजियाबाद-कानपुर कारिडोर एक नई उम्मीद लेकर आया है। यदि यह कारिडोर बनता है तो फर्रुखाबाद के व्यापार को गति मिल सकती है। इतना ही नहीं, यहां से चिकित्सा और शिक्षा के लिए कानपुर या गाजियाबाद दिल्ली जाने वालों के लिए भी सफर सुगम बन सकता है। जनपद के लोग कानपुर और दिल्ली पर ही निर्भर हैं। अभी कानपुर और दिल्ली जाने में कई घंटों का सफर करना मजबूरी है लेकिन कॉरिडोर के बनने से कम समय में गंतव्य पहुंचना आसान हो सकता है।
आसान हो सकता है सफर : गाजियाबाद-कानपुर कॉरिडोर बनता है परिवाहन की समस्या से जूझ रहे फर्रुखाबाद के लोगों को सबसे ज्यादा फायद मिल सकता है। यहां से लोग व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य की जरूरतों के लिए दिल्ली और कानपुर की ओर रुख करते हैं, जिसके लिए एकमात्र जीटी रोड ही है। अभी तक जीटी रोड जर्जर और संकरा हो जाने के कारण जाम की समस्या से जूझना नियति बन चुका है।
प्राइवेट वाहन से अभी कानपुर जाने में 5-6 घंटे का समय लगता है, यही हालत दिल्ली के लिए भी है। दिल्ली का सफर सुगम बनाने के लिए लोग कन्नौज जाकर ग्रीन एक्सप्रेस-वे और यमुना एक्सप्रेस-वे पकड़ते हैं। वहीं, कानपुर के लिए सिर्फ जीटी रोड ही है। ऐसे में लोगों के लिए दूरी भी अधिक हो जाती है और समय भी जाया करना पड़ता है। यदि कानपुर-गाजियाबाद कारिडोर बनता है तो फर्रुखाबाद से दिल्ली-कानपुर का रास्ता सुगम हो सकता है और दो घंटे का सफर हो सकता है।
व्यापार को होगा फायदा : जरदोजी और नमकीन दालमोठ के लिए फर्रुखाबाद प्रसिद्ध है। कॉरिडोर बनने से यहां के व्यापार को बढ़ावा मिल सकता है। जरदोजी के तैयार लहंगों की सप्लाई दिल्ली का बाजार है। सीधा सुगम मार्ग न होने से व्यापारी फर्रुखाबाद आने से कतराते हैं और यहां के व्यापारी माल लेकर जाते हैं। यही हाल दालमोठ कारोबारियों का भी है। कॉरिडोर बनने से व्यापार में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
युवाओं के लिए आसान हो सकता सफर : शिक्षा और रोजगार के लिए युवाओं और चिकित्सा के लिए मरीजों की दौड़ दिल्ली-कानपुर रहती है। संकरे और गड्डा युक्त जीटी रोड पर साधन होने से समस्या रहती है। शिक्षा और चिकित्सा के लिए भी फर्रुखाबाद के लोग कानपुर पर ही निर्भर हैं। अभी आपात स्थिति में कानपुर पहुंचने तक मरीजों की जान पर बन आती है, कारिडोर बनने से लाभ मिल सकता है।
कायमगंज-मोहम्मदाबाद से गुजर सकता है कारिडोर : अभी गाजियाबाद-कानपुर कारिडोर की विस्तृत कार्ययोजना तो सामने नहीं आई है, लेकिन गाजियाबाद से यह कासगंज से फर्रुखाबाद जिले में प्रवेश करता है तो कायमगंज से नवाबगंज और मोहम्मदाबाद होते हुए कानपुर की ओर बढ़ सकता है।
कहां से आई कॉरिडोर की बात : सितंबर 2019 में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गाजियाबाद को कानपुर से जोडऩे वाले आर्थिक गलियारे की घोषणा की थी। विचार दो औद्योगिक शहरों के बीच यात्रा के समय में कटौती करना था। पिछले हफ्ते गुरुवार को मंत्रालय ने इस कॉरीडोर के लिए मंजूरी दी तो संभावनाएं गोते लगाने लगी हैं। इस कॉरिडोर के 2025 तक पूरा होने की बात कही जा रही है। गाजियाबाद-कानपुर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर की लंबाई 380 किलोमीटर बताई जा रही है।
इन जिलों को मिल सकता है फायदा : गाजियाबाद- कानपुर एक्प्रेस वे गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, फर्रुखाबाद, कन्नौज, उन्नाव और कानपुर से होकर गुजर सकता है। इन शहरों में रहने वालों के लिए छह से सात घंटे का सफर कॉरिडोर बनने के बाद तीन से चार घंटे का हो सकता है। अभी एनएच-9 पर यात्रा करने वालों को आठ घंटे से ज्यादा लगते हैं। इससे इन शहरों में रहने वाले लोगों को फायदा मिल सकता है।
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