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    Garena Free Fire Game की लत ने ली बेटे की जान, पिता के डांटने पर छात्र ने उठाया आत्मघाती कदम

    By Shaswat GuptaEdited By:
    Updated: Fri, 10 Sep 2021 10:15 PM (IST)

    कानपुर जिले के घाटमपुर निवासी विनय कुमारी पत्नी परमबीर सिंह असोथर पीएचसी में एएनएम के पद पर कार्यरत हैं। विगत एक वर्ष से वह ललौली थाने के नवीन पीएचसी की आवासीय कालोनी में सपरिवार रहती हैं। इनका छोटा बेटा 16 वर्षीय सौम्य प्रताप सिंह हाईस्कूल का छात्र था।

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    फांसी लगाकर जान गंवाने वाले दिवंगत सौम्य प्रताप सिंह।

    फतेहपुर, जेएनएन। नवीन स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) मुत्तौर के स्टाफ क्वार्टर (कमरा) में पिता की डांट से क्षुब्ध होकर एएनएम के बेटे ने शाम को साड़ी से फंदा लगाकर जान दे दी। दरवाजा न खुलने पर पीआरवी टीम ने दरवाजा तोड़ा तो उसका शव फंदे से लटक रहा था। बताते हैैं कि बेटा फ्री फायर गेम खेलने का शौकीन था, लेकिन वह नियमित गेम खेलता था। इस पर पिता ने स्कूल में भी शिकायत कर दी थी। 

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    कानपुर जिले के घाटमपुर निवासी विनय कुमारी पत्नी परमबीर सिंह असोथर पीएचसी में एएनएम के पद पर कार्यरत हैं। विगत एक वर्ष से वह ललौली थाने के नवीन पीएचसी की आवासीय कालोनी में सपरिवार रहती हैं। इनका छोटा बेटा 16 वर्षीय सौम्य प्रताप सिंह शहर के वीआइपी रोड स्थित एक स्कूल में हाईस्कूल का छात्र था जो मोबाइल फोन में अक्सर फ्री फायर गेम खेला करता था। पढ़ाई में ध्यान न देकर गेम खेलने पर पिता ने उसे डांट दिया। इसके साथ ही स्कूल में शिक्षक से बेटे की शिकायत भी कर दी। इससे सौम्य प्रताप शुक्रवार को स्कूल भी नहीं गया था। शाम चार बजे सौम्य प्रताप ने बड़े भाई शौर्य प्रताप सिंह से कहा कि वह थक गया है, आराम करने जा रहा है। इसके बाद वह कमरे में गया और भीतर से दरवाजा बंदकर फंदा लगाकर लगाकर जान दे दी। 

    अक्सर खेला करता था फ्री फायर गेम : बड़े भाई शौर्य प्रताप सिंह ने बताया कि सौम्य अक्सर मोबाइल में फ्री फायर गेम खेला करता था। इसी वजह से पिता ने डांट दिया था। इसी वजह से वह शुक्रवार को स्कूल नहीं गया था। बस इतनी सी बात में भाई ने जान दे दी। दतौली चौकी प्रभारी सत्यपाल सिंह ने बताया कि किशोरी ने फंदा लगाकर जान दी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। 

    बच्चों को समय दें अभिभावक: जिला अस्पताल के डा. सुरेश सचान ने बताया कि आनलाइन पढ़ाई के बाद बच्चों को ज्यादा देर तक मोबाइल फोन हाथ में न दें। बच्चों को बैडमिंटन व क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित करें। उन्हें मोबाइल फोन के साथ अकेला न छोड़ें क्योंकि मोबाइल इंटरनेट में जो बताता है बच्चे वही फालो करते हैं। इसलिए बच्चों को समय देकर उनके पास ही रहें।