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    घुंघरू की झंकार से तलवार की धार अपनाकर अंग्रेजों के नाश में जुट गईं थीं अजीजन बाई, पढ़ें - यह खास खबर

    By Shaswat GuptaEdited By:
    Updated: Fri, 22 Jan 2021 07:26 AM (IST)

    आज के दिन हुआ अजीजन बाई का जन्म नानाराव पेशवा की सेना में बनाई थी महिलाओं की टुकड़ी। अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध में कौशल दिखाने के साथ स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए उत्साहित करती थीं। अजीज बाई 22 जनवरी को मध्य प्रदेश के मालवा में जन्मी थीं।

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    अजीजन बाई के पास बड़ी संख्या में अंग्रेज भी आते थे।

    कानपुर, जेएनएन। आजादी की जंग के इतिहास के पन्नों में 1857 का वो दौर बहुत महत्वपूर्ण है जब क्रांति की चिंगारी ज्वाला बन अंग्रेजों के खिलाफ फूट पड़ी थी। नाना साहब, तात्या टोपे, टिक्का सिंह और अजीमुल्ला खां... ऐसे कई बड़े नाम थे जो तब क्रांति के नायक हुआ करते थे। अंग्रेज इनके नाम भर से कांपते थे। मगर, एक नाम और भी था जो क्रांति की मशाल थामे आजादी की राह को रोशन कर रहा था। खास यह कि इस शख्सियत के पीछे महिलाएं भी योद्धा बनकर अंग्रेजों का सामना करने से पीछे नहीं थीं। यह थीं अजीजन बाई। नाच-गाने के लिए पहचान रखती थीं, मगर देश के लिए घुंघरू उतार तलवार को थाम लिया और अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए। अजीजन बाई ने नाना साहब और तात्या टोपे को बचा खुद का बलिदान दे दिया।

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    ऐसा था अजीज बाई का व्यक्तित्व  

    अजीज बाई 22 जनवरी को मध्य प्रदेश के मालवा में जन्मी थीं। वह कानपुर आ गईं। वह मूलगंज में नाच-गाना कर सबका दिल बहलाती थीं। अजीजन बाई के पास बड़ी संख्या में अंग्रेज भी आते थे। इसकी जानकारी तात्या टोपे को हुई तो उन्होंने अजीजन बाई को बुलाया। उन्होंने अजीजन बाई को अंग्रेजों की सूचना देने की बात कही। वह तात्या टोपे के करीब आईं तो सैनिक का रूप ले लिया। इसके बाद अजीजन ने अपने साथ रहने वाली युवतियों को भी सैनिक बनाकर टोली बना ली। यह टोली हमेशा पुरुषों की वेशभूषा में ही रहती थी। घोड़ों पर बस्तियों से गुजरती यह टोली लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए उत्साहित करती थीं। एक जून 1857 को नाना साहब, तात्या टोपे, टिक्का ङ्क्षसह अजीमुल्ला खां, आदि ने गंगाजल को मस्तक पर लगाते हुए अंग्रेजों को उखाड़ फेंकने की शपथ ली। इस समय तक अजीजन बाई तात्या टोपे की काफी विश्वास पात्र हो चुकी थीं। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वह इस मौके पर इतने प्रमुख लोगों के साथ मौजूद थीं।

    इनका ये है कहना 

    डीएवी कॉलेज में इतिहास के विभागाध्यक्ष डॉ. समर बहादुर सिंह के मुताबिक जब उन्हें जनरल हेनरी हैवलाक के सामने पेश किया गया तो अजीजन बाई से अजीमुल्ला का पता बताने के लिए कहा। अंग्रेज जनरल ने उनकी सुंदरता को देखते हुए जानकारी देने पर उन्हें छोड़ देने का भी प्रस्ताव दिया, लेकिन अजीजन बाई ने इन्कार कर दिया। इसके बाद उन्हें गोली मारने के आदेश दे दिए गए। आदेश मिलते ही अंग्रेजों ने उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया।