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    #Good News: चावला मार्केट और नंदलाल चौराहे से जाने वाले लोगों को जाम से निजात दिलाएगा फ्लाईओवर

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Wed, 07 Oct 2020 12:20 PM (IST)

    सांसद सत्यदेव पचौरी ने पिछले दिनों मंडलायुक्त से शहर के छह चौराहों पर जाम की समस्या को देखते हुए फ्लाईओवर बनाने के लिए कहा था मंडलायुक्त ने पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता दिवाकर शुक्ल की अध्यक्षता में टीम गठित की थी

    आइटीआइ चौराहे का सर्वे करते बाएं से सेतु निगम के महाप्रबंधक राकेश सिंह व अन्य अधिकारी

    कानपुर, जेएनएन। शहर में उत्तर से दक्षिण या दक्षिण से उत्तर आने जाने वालों के लिए राहत भरी खबर है। अब चावला मार्केट और नंदलाल चौराहा से गुजरने वालों को यहां के जाम में नहीं फंसना होगा। पीडब्ल्यूडी, सेतु निगम और नगर निगम के अधिकारियों ने गोविंद नगर के पुराने व नए पुल से ही एक फ्लाईओवर को जोडऩे की रूपरेखा बनाई है, जो इन दोनों चौराहों को पार करते हुए वाहन चालकों को जाम से निजात दिलाएगा।

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    सांसद सत्यदेव पचौरी ने पिछले दिनों मंडलायुक्त से शहर के छह चौराहों पांडुनगर, विजयनगर, फजलगंज, जयपुरिया क्राॅसिंग, नंदलाल चौराहा व सुजातगंज क्राॅसिंग पर जाम की समस्या को देखते हुए फ्लाईओवर बनाने के लिए कहा था। इस पर मंडलायुक्त ने पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता दिवाकर शुक्ल की अध्यक्षता में टीम गठित की थी। इसमें सेतु निगम, नगर निगम के अफसरों को रखा गया था। टीम ने मंगलवार को सभी चौराहों और क्राङ्क्षसग का निरीक्षण किया। निरीक्षण की शुरुआत पांडुनगर स्थित आइटीआइ चौराहे से हुई। इसके बाद एक-एक कर सभी जगह पुल बनने की संभावनाओं को देखा। इसमें फिलहाल चावला मार्केट और नंदलाल चौराहे पर फ्लाईओवर बनाने की रुपरेखा तैयार की गई। इसकी रिपोर्ट मंडलायुक्त के सामने दस अक्टूबर को रखी जाएगी।

    इनका ये है कहना

    चावला मार्केट और नंदलाल चौराहे पर जाम की समस्या खत्म करने के लिए गोविंद नगर पुल से दो लेन जोड़े जाएंगे। इसके बाद यह फ्लाईओवर सीधे निराला नगर तक पहुंच जाएगा। इस संबंध में प्रबंध निदेशक से चर्चा हो चुकी है। - राकेश सिंह, महाप्रबंधक सेतु निगम

    पांच वर्ष में प्रमुख चौराहे भी न पहचान सके

    अधिकारियों का काफिला जिस चौराहे पर रुकता, पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता जय सिंह मौर्य साथ चल रहे अधिकारियों से उसका नाम पूछते। साथ में चल रही विभागीय कर्मचारियों इसको लेकर अजीब सी स्थिति थी कि विभागीय अधिकारी पांच वर्ष से शहर में रहने के बाद भी प्रमुख चौराहों को नहीं पहचानते।