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    जीएसवीएम मेडिकल कालेज देगा रोशनी, देश में पहली बार स्टेम सेल से होगा रतौंधी का इलाज

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Sat, 13 Nov 2021 08:52 AM (IST)

    जीएसवीएम मेडिकल कालेज में ही लाइलाज जन्मजात रोग का पहले पीआरपी से इलाज खोजा गया था अब स्टेम सेल से रतौंधी का इलाज किए जाने से देश में एक और उपलब्धि दर्ज होगी। चिकित्सकों ने शत-प्रतिशत इलाज का दावा किया है।

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    जीएसवीएम मेडिकल कालेज के नाम एक और उपलब्धि।

    कानपुर, जागरण संवाददाता। आंखों की जन्मजात लाइलाज बीमारी रतौंधी का इलाज प्लेटलेट््स रिच प्लाज्मा (पीआरपी) से करने की खोज देश में पहली बार करने वाले जीएसवीएम मेडिकल कालेज के नाम अब एक और उपलब्धि जुडऩे जा रही। यह भी देश में पहली बार ही होगा, जब जीएसवीएम स्टेम सेल से रतौंधी का इलाज करेगा। दावा है कि इससे इलाज में शत-प्रतिशत सफलता मिलेगी। रतौंधी से पीडि़तों को बीमारी से पूरी तरह निजात मिल जाएगी। एथिक्स कमेटी से मंजूरी मिल जाने के बाद अब मरीजों पर ट्रायल करने की तैयारी है, जो इस सप्ताह शुरू होगा।

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    जीएसवीएम मेडिकल कालेज के नेत्र रोग विभाग में लाइलाज बीमारी रतौंधी से पीडि़तों पर प्लेटलेट््स रिच प्लाज्मा (पीआरपी) पर रिसर्च हुआ है। अब तक तीन सौ से अधिक मरीजों पर पीआरपी थेरेपी देकर उसका असर देखा गया है, जिसके परिणाम उत्साहजनक मिले हैं। स्वयं के खून से तैयार पीआरपी का इंजेक्शन विशेष प्रकार की निडिल तैयार करके आंख के पर्दे (रेटीना) पर लगाया, जिससे रेटीना से जुड़ी रेड व कोन कोशिकाओं (सेल) में लगाने से जान आ गई। पहले जिन्हें कुछ नहीं दिखता था, उनकी 80 फीसद तक रोशनी आ गई। नेत्र रोग विभागाध्यक्ष के कार्य से उत्साहित मेडिकल कालेज के प्राचार्य ने रतौंधी के इलाज में स्टेम सेल पर रिसर्च का प्रस्ताव तैयार कराया है, जिसे एथिक्स कमेटी से अनुमति भी मिल गई है।

    यह होती है समस्या : रतौंधी में रेटीना की कोशिकाएं अपनी आप मरने लगती हैं, जिससे आंखों की नस सूखने लगती है। उसके बाद आंखों की रोशनी कम होती जाती है। रोशनी पांच से 10 वर्ष की उम्र तक पूरी तरह से चली जाती है।

    इसे भी जानें : आंख की रोड और कोन कोशिकाओं में फोटोपिगमेंट््स केमिकल (रसायन) होते हैं जो किसी भी चीज की पहचान कर मस्तिष्क को संदेश देता है। रोड सेल्स में रहोडोपसिन नामक फोटोपिगमेंट होता है, जो रात में अच्छी रोशनी के लिए जरूरी है।

    -रतौंधी पीडि़तों पर पीआरपी के रिजल्ट बेहतर मिले हैं। इसे देखते हुए स्टेम सेल थेरेपी पर रिसर्च शुरू किया गया है। सभी औपचारिताएं पूरी कर पहले रतौंधी के मरीज पर स्टेम सेल थेरेपी दी जाएगी। उसके बाद असर पर अध्ययन किया जाएगा। - प्रो. परवेज खान, विभागाध्यक्ष, नेत्र रोग, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।

    -देश में रतौंधी के इलाज में स्टेम सेल थेरेपी कहीं नहीं दी जा रही है। जीएसवीएम देश का पहला संस्थान होगा, जहां रतौंधी के मरीजों पर स्टेम सेल का ट्रायल किया जाएगा। -प्रो. संजय काला, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।