आरक्षण के लिए शेख से बने थे मुस्लिम कायस्थ, अब छिनेगी प्रधानी, जानिए क्या है मामला
प्रधान बनने के लिए नवाज शरीफ ने शेख जाति बदलकर मुस्लिम कायस्थ बना ली। प्रमाणपत्र हासिल कर आरक्षण का लाभ उठाया और प्रधान की कुर्सी में काबिज हो गए। जांच में फर्जीवाड़ा खुला तो प्रशासन ने प्रमाण पत्र निरस्त करते हुए कुर्सी छीनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

फतेहपुर, जागरण संवाददाता। प्रधान की सीट कुबेर के खजाना से कम नहीं है, प्रधान बनने को लोग कैसे-कैसे तिकड़म करते हैं, इसकी बानगी भिटौरा ब्लाक के सेनपुर-मातिनपुर ग्राम सभा में मिली है। यहां प्रधान बनने के लिए नवाज शरीफ ने दादा, परदादा की पहचान मिटाते हुए खुद की शेख जाति बदलकर मुस्लिम कायस्थ बना ली। अफसरों को धोखे में रखकर पिछड़ी जाति का प्रमाणपत्र हासिल कर आरक्षण का लाभ उठाया और प्रधान की कुर्सी में काबिज हो गए। अब जांच में फर्जीवाड़ा खुला तो प्रशासन ने इनका जाति प्रमाण पत्र निरस्त करते हुए प्रधान की कुर्सी छीनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
भिटौरा ब्लाक की सेनपुर-मातिनुर ग्राम सभा वर्ष 2021 में पंचायत चुनाव में पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित थी, शेख विरादरी के नवाज जो सामान्य जाति में आते हैं को अंदेशा पहले था कि कहीं आरक्षण तैयारी पर पानी न फेर दे। इसलिए उसने फरवरी 2021 में ही मुस्लिम कायस्थ जाति दिखाकर तहसील से पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र जारी करा लिया था। इसी प्रमाणपत्र के बूते नवाज ने नामांकन कराया और चुनाव जीत कर कुर्सी भी हासिल कर ली। शिकायत कर्ता की तरफ से अधिवक्ता शाश्वत गर्ग ने सबूतों के साथ मामला जांच कमेटी के समक्ष के रखा तो सच्चाई सामने आ गई।
यूं उठा मामला और शुरू हुई जांच
25 मई 2021 को नए प्रधानों को शपथ लेनी थी, लेकिन सेनपुर-मातिनपुर के जितेंद्र कुमार पुत्र रामस्वरूप पाल ने 24 मई को नवाज शरीफ के प्रमाणपत्र सवाल खड़े करते हुए डीएम से शिकायत की। इसके बाद डीएम ने एसडीएम को जांच सौंपी। शिकायतकर्ता ने जांच अधिकारी को 12 ऐसे लोगों के शपथ पूर्वक बयान दिलाए जो नवाज को सामान्य जाति का बता रहे थे। वहीं खतौनी, राशन कार्ड व परिवार के अन्य सदस्यों के वह दस्तावेज भी दिखाए जिनमें जाति शेख दर्ज है।
कमेटी ने दोनों पक्षों को सुना तब हुई कार्रवाई
डीएम अपूर्वा दुबे की अध्यक्षता में बनी कमेटी में एडीएम, एसडीएम, जिला पिछड़ावर्ग कल्याण अधिकारी दोनों पक्षों सबूत व साक्ष्य देखे। नवाज शरीफ की तरफ से छह लोगों ने उसे पिछड़ी जाति का मुस्लिम बताया, जबकि शिकायत कर्ता की तरफ से 12 लोगों ने उसे मुस्लिम की सामान्य जाति शेख करार दिया। दस्तावेजी रिकार्ड में भी शेख मिलने पर कमेटी ने तत्काल प्रभाव से 15 फरवरी 2021 को जारी जाति प्रमाणपत्र क्रमांक 422213003399 को निरस्त कर दिया।
बोले जिम्मेदार: कूटरचित फर्जी दस्तावेज तैयार करना या कराना आपराधिक कृत्य है। क्योंकि, उक्त व्यक्ति ने सामान्य होते हुए पिछड़ी जाति के हिस्से का लाभ लिया, इसलिए यह पिछड़ी जाति के व्यक्तियों के अधिकारों का हनन है। जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया गया है। अन्य कार्रवाई भी नियमानुसार की जाएंगी। - अपूर्वा दुबे, डीएम
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