Artificial Hand: एचबीटीयू में आटोरोब टीम के आठ छात्रों ने आठ हजार में तैयार किया कृत्रिम हाथ
Artificial Handहरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी की आटोरोब टीम ने पांच महीने की कठिन मेहनत के बाद ऐसा कृत्रिम हाथ तैयार किया है जो पांच से आठ हजार रुप ...और पढ़ें

अखिलेश तिवारी, कानपुर। हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी की आटोरोब टीम ने पांच महीने की कठिन मेहनत के बाद ऐसा कृत्रिम हाथ तैयार किया है जो पांच से आठ हजार रुपये में ही तैयार किया जा सकेगा। सेंसर के साथ ही यह हाथ रोजमर्रा के सभी काम करने में सक्षम है। आटोरोब के अनुसंधान को केंद्र सरकार के स्मार्ट इंडिया हैकाथान में भी संस्थान का सर्वश्रेष्ठ प्रोजेक्ट चुना गया है।
एचबीटीयू की आटोरोब टीम ने कृत्रिम हाथ तैयार करने में थ्रीडी प्रिटिंग तकनीक का प्रयोग किया है। इसकी वजह से हाथ का निर्माण लोगों की जरूरत और आकार के अनुसार किया जाना संभव हो सका है। इससे दुबले -पतले या मोटे शरीर के लोगों को हाथ उनके शरीर के अनुरूप ही उपलब्ध कराया जाना संभव हो सका है।
आटोरोब के मेंटर और एचबीटीयू के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. एसकेएस यादव बताते हैं कि कुलपति प्रो. समशेर सिंह ने चिकित्सा क्षेत्र में रोबोटिक्स प्रयोग से लोगों की जरूरत के उपकरण तैयार करने के उद्देश्य से आटोरोब का गठन किया है। इसमें इलेक्ट्रानिक्स, कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं को शमिल किया गया है।
कृत्रिम हाथ तैयार करने वाली टीम में आठ विद्यार्थी है। आटोरोब टीम के अध्यक्ष वरुण जैन ने कहा कि बाजार में मौजूद कृत्रिम हाथ की कीमत बहुत ज्यादा है। विदेशी कंपनियों के एक लाख और देशी कंपनियों के कृत्रिम हाथ की कीमत 50 हजार से भी ज्यादा है। हम लोगों ने अपने हाथ को तैयार करने में लागत पर बहुत ध्यान दिया है।
इसलिए अलग-अलग सांचों में बने हाथ और उनको फिट करने के लिए प्रयोग होने वाले उपकरणों के बजाय थ्रीडी प्रिंटिंग से कस्टमाइज्ड हैंड तैयार किया है। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों पर आधारित सेंसर की खूबी यह है कि हरेक अंगुली को अलग से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके साथ ही सभी अंगुलियां एक साथ कार्य करने में भी सक्षम हैं। इससे यह हाथ भी सामान्य हाथों की तरह ही काम करते हैं।
हाथ को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वह पांच से छह किलोग्राम का भार भी उठा सके। थ्रीडी प्रिटिंग की वजह से अंगुलियों की डिजाइन भी ऐसी है कि उसमें किसी भी आकार- प्रकार की वस्तु जैसे गेंद को भी आसानी से पकड़ा जा सकता है। कृत्रिम हाथ को सस्ता बनाने का लक्ष्य रखा है। इसमें उपकरण ज्यादा नहीं लगाए हैं। बच्चों के लिए हाथ की कीमत और भी कम होगी।
महंगे पालीमर का प्रयोग न करने से भी हाथ की कीमत कम पांच से आठ हजार रुपये रखने में सफलता मिली है। स्मार्ट इंडिया हैकाथान में इसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने की संभावना है। - प्रो एसकेएस यादव, मेंटर आटोरोब सेंटर इस टीम ने किया काम वरुण जैन, अमृतेश सिंह, स्नेहा अग्रवाल, प्रज्ञा सिंह, जपनीत कौर, शौर्य शुक्ल , आर्यन सिंह, नमो नारायण विश्वकर्मा

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