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    अगर दिल का आकार बढ़ गया है और सांस लेने में दिक्कत है तो अब चिंता करने की जरूरत नहीं... Kanpur News

    By AbhishekEdited By:
    Updated: Mon, 01 Jul 2019 11:09 AM (IST)

    हृदयरोग संस्थान के कार्डियक सर्जन की ऑपरेशन की तकनीक को अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशन के लिए भेजा गया है।

    अगर दिल का आकार बढ़ गया है और सांस लेने में दिक्कत है तो अब चिंता करने की जरूरत नहीं... Kanpur News

    कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। अगर दिल का आकार बढ़ गया है, सांस लेने में दिक्कत है तो अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। ऐसे हृदय रोगियों का इलाज अब लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलॉजी) में संभव है। यहां के चीफ कार्डियक सर्जन प्रो. राकेश वर्मा ने हार्ट का आकार छोटा कर वॉल्व प्रत्यारोपण की नई तकनीक ईजाद की है। वह तीन साल में 260 मरीजों को स्वस्थ जिंदगी दे चुके हैं, अब उनके अध्ययन को अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशन के लिए भेजा गया है।

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    ये होती है दिक्कत

    दिल में दो चेंबर, लेफ्ट एर्टियम (बायां आलिंद) तथा राइट एर्टियम (दाहिना आलिंद) होते हैं। इनका आकार बढऩे पर हार्ट के लेफ्ट वेंटकिल और राइट वेंटकिल पर दबाव बढ़ता है, इससे हार्ट की पंपिंग प्रभावित होती है, लेफ्ट तथा राइट एर्टियम में खून जमा होने से थक्के बनने लगते हैं। शरीर के दूसरे हिस्सों में खून का संचार प्रभावित होता है और हार्ट का आकार बढऩे लगता है।

    12-14 सेंटीमीटर तक बढ़ जाते हार्ट चेंबर

    दिल के रोगियों के दोनों हार्ट चेंबर का आकार 12-14 सेंटीमीटर (सीएम) तक बढ़ जाता है जबकि सामान्य व्यक्ति के हार्ट चेंबर का आकर 3.5 सीएम होता है।

    बगैर कांट-छांट के छोटे किए चेंबर

    प्रो. वर्मा ने इन मरीजों की ओपेन हार्ट सर्जरी की। फिर मॉडिफाइड एलए रिडेक्शन ऑफ द चेंबर तकनीक से बगैर कांट-छांट किए दोनों चेंबर छोटे किए। उसके बाद वॉल्व प्रत्यारोपण किया। इससे दोनों चेंबर का आकार 4 सेंटीमीटर तक हो गया। हार्ट छोटा होने से पंपिंग ठीक हो गई। लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान में कार्डियक थेरोसिक वैस्कुलर सर्जरी के विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश वर्मा का कहना है कि जिन मरीजों के हार्ट का आकार बढ़ जाता है, उनके लिए मॉडिफाइड तकनीक ईजाद की है। इससे तीन साल में 260 आपरेशन कर चुके हैं। सूबे के किसी संस्थान में ऐसी सर्जरी नहीं होती।

    अब तक 260 रोगियों के आपरेशन

    138 पुरुष हृदय रोगी

    122 महिला हृदय रोगी

    136 मरीजों में एक वॉल्व प्रत्यारोपण

    124 मरीजों में दो वॉल्व प्रत्यारोपण

    160 मरीजों एक चेंबर छोटा किया

    100 मरीजों के दोनों चेंबर छोटे किए

    यह होती है दिक्कत

    -दिल की मांसपेशियां फैल जाती।

    -चलने में सांस फूलना।

    -दिल की धड़कन बढऩा।

    -शरीर की रक्त आपूर्ति में असर।

    -पैरालिसिस (लकवा) अटैक का खतरा।