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    नस की जगह धमनी में लगाया वीगो, अंगूठा फिर काटनी पड़ी आधी हथेली

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 23 Feb 2022 01:34 AM (IST)

    स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों की सरपरस्ती में चार साल से बिना पंजीकरण कल्याणपुर के आवास विकास में लकी हास्पिटल चल रहा है। इसका खामियाजा बुधवार को सर्जरी के लिए भर्ती बिठूर के टिकरा गांव के लोहार खेड़ा निवासी सब्जी विक्रेता को भुगतना पड़ा। सर्जरी से पहले उसके हाथ की नस (वेन) की जगह धमनी (आर्टरी) में वीगो लगा दिया गया। इससे खून की आपूर्ति बंद हो गई और गैंगरीन होने पर अंगूठा बाद में आधी हथेली भी काटनी पड़ी। शिकायत के बावजूद अधिकारी जांच के नाम पर लीपापोती कर संचालक को मरीजों की जान से खिलवाड़ करने की खुली छूट दे रहे हैं।

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    नस की जगह धमनी में लगाया वीगो, अंगूठा फिर काटनी पड़ी आधी हथेली

    जागरण संवाददाता, कानपुर : स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों की सरपरस्ती में चार साल से बिना पंजीकरण कल्याणपुर के आवास विकास में लकी हास्पिटल चल रहा है। इसका खामियाजा बुधवार को सर्जरी के लिए भर्ती बिठूर के टिकरा गांव के लोहार खेड़ा निवासी सब्जी विक्रेता को भुगतना पड़ा। सर्जरी से पहले उसके हाथ की नस (वेन) की जगह धमनी (आर्टरी) में वीगो लगा दिया गया। इससे खून की आपूर्ति बंद हो गई और गैंगरीन होने पर अंगूठा बाद में आधी हथेली भी काटनी पड़ी। शिकायत के बावजूद अधिकारी जांच के नाम पर लीपापोती कर संचालक को मरीजों की जान से खिलवाड़ करने की खुली छूट दे रहे हैं।

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    टिकरा गांव के लोहार खेड़ा निवासी 40 वर्षीय अशोक राजपूत पेट रोग से पीड़ित हैं। 17 जनवरी को कल्याणपुर आवास विकास के लकी हास्पिटल में वह इलाज के लिए पहुंचे। अस्पताल संचालक शिवकेश राजपूत ने आपरेशन के लिए 35 हजार रुपये जमा कराए। आपरेशन के उपरांत 22 जनवरी को अस्पताल से डिस्चार्ज होकर अशोक घर चले गए। बाद में, जिस हाथ के अंगूठे के पास वीगो लगा था उसमें भीषण दर्द शुरू हो गया। अंगूठा काला पड़ गया। संचालक शिवकेश को समस्या बताई। उन्होंने अंगूठा कटवा दिया, लेकिन आराम नहीं मिला। हथेली से लेकर पूरा हाथ काला पड़ने पर दूसरे डाक्टर को दिखाया। यहां पता चला कि गलत वीगो लगने से गैंगरीन हो गया है, जो बढ़ता जा रहा है। हथेली और हाथ काटना पड़ेगा जिसमें एक लाख रुपये का खर्च आएगा। बिना पैसे दिए सादे स्टांप पर लिखवाया

    पीड़ित अशोक का आरोप है कि जब संचालक शिवकेश को बताया कि एक लाख रुपये खर्च आएगा तो उन्होंने सादे स्टांप पर अंगूठा लगवा लिया। रीजेंसी हास्पिटल में हथेली काटी गई है और अब हाथ काटने की बात कह रहे हैं। दो बार गए एसीएमओ, सील नहीं कराया

    लक्ष्मणपुर कछार के मजरा गंभीरपुर निवासी बच्ची लाल के पुत्र सर्वेश कुमार के नाम पर लकी अस्पताल का पंजीकरण है। उनका निधन लगभग पांच साल पहले हो चुका है। इसके बाद शिवकेश ने अपने नाम पंजीकरण के लिए आवेदन किया है, लेकिन दो बार उसे खारिज कर दिया गया। आसपास के लोगों ने बताया कि दो बार वहां एसीएमओ डा. सुबोध प्रकाश सर्वे करने भी आए। बिना पंजीकरण चल रहे अस्पताल को आज तक सील नहीं कराया। मरीज के अंगूठे में चोट थी, वह नशे की हालत में आया था। उसका आपरेशन हुआ था। बाद में वीगो की वजह से गैंगरीन की शिकायत लेकर आया था। इलाज में लापरवाही नहीं हुई है।

    - शिवकेश राजपूत, संचालक, लकी हास्पिटल। मेरे संज्ञान में मामला आया है। झोलाछाप व अप्रशिक्षित कर्मचारी अस्पताल चला रहे हैं। उसका पंजीकरण भी नहीं होने की बात सामने आई है। बुधवार को जांच के लिए मेडिकल टीम भेजेंगे। पंजीकरण के कागजात भी चेक कराएंगे।

    - डा. नैपाल सिंह, सीएमओ।

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