बेसिक में शिक्षकों की बढ़ी धुकधुकी, दिव्यांग शिक्षकों की भी मांगी गई जानकारी
एसआइटी संपूर्णानंद संस्कृत विवि वाराणसी से पूर्व मध्यमा (10वीं) उत्तर मध्यमा (इंटरमीडिएट) समेत शास्त्री (स्नातक)बीएड के अंकपत्र प्रमाणपत्रों का सत्यापन करेगी। इस बाबत जिलेवार शिक्षकों की सूची मांगी गई है। उन्नाव में सिकंदरपुर सरोसी सुमेरपुर बिछिया ब्लाक में कुछ शिक्षक जांच घेरे में हैं।
कानपुर, जेएनएन। फर्जी अंकपत्रों व दिव्यांगता प्रमाणपत्र के दम पर परिषदीय स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ी हैं। डॉ. बीआर आंबेडकर (आगरा) और लखनऊ विवि से बीएड डिग्री धारकों में कुछ फर्जी मिले शिक्षकों की जांच बाद विशेष जांच दल ने संपूर्णानंद संस्कृत विवि से डिग्रीधारी शिक्षकों की भी जांच को तेज किया है। इसमें दिव्यांग शिक्षकों को भी तलाशा जा रहा है। जिला बेसिक शिक्षा कार्यालय से शिक्षकों के नामों व शैक्षिक योग्यता की रिपोर्ट तलब की गई है। संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी व इससे संबद्ध कालेजों से पूर्व और उत्तर मध्यमा, शास्त्री व बीएड करने वाले वर्ष 2004-2014 के बीच चयनित शिक्षकों की जानकारी जुटाई जा रही है। जिले में तीन ब्लाक से कुछ शिक्षकों के नाम सामने आए हैं।
एसआइटी संपूर्णानंद संस्कृत विवि वाराणसी से पूर्व मध्यमा (10वीं), उत्तर मध्यमा (इंटरमीडिएट) समेत शास्त्री (स्नातक),बीएड के अंकपत्र प्रमाणपत्रों का सत्यापन करेगी। इस बाबत जिलेवार शिक्षकों की सूची मांगी गई है। उन्नाव में सिकंदरपुर सरोसी, सुमेरपुर, बिछिया ब्लाक में कुछ शिक्षक जांच घेरे में हैं।
मानव संपदा पोर्टल पर शिक्षक, कर्मचारियों का डाउनलोड किया गया डाटा भी एसआइटी के लिए कहीं न कहीं सहायक बना है। दिव्यांगता के आधार पर स्कूल व कार्यालय में नियुक्त शिक्षक-शिक्षणेत्तर कर्मी के नामों की सूची मुख्यालय से मांगी गई है। दिव्यांगता प्रमाण पत्रों की जांच मेडिकल बोर्ड लखनऊ की टीम करेगी। बीएसए प्रदीप कुमार पांडेय का कहना है कि एसआइटी से मांगी गई जानकारी के मद्देनजर ब्लॉकवार बीईओ (खंड शिक्षाधिकारी) को निर्देश जारी किया गया है।
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