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    आपका बच्चा भी टकटकी लगाकर देखता है, तो ये मिर्गी का लक्षण, बरतें सतर्कता

    Kanpur News आइएमए भवन में मिर्गी के इलाज में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के प्रयोग पर भी डाक्टरों ने मंथन किया। डाक्टरों ने कहा बच्चों में ध्यान भटकना भी मिर्गी का लक्षण है। देश में 1.4 करोड़ लोग मिर्गी की समस्या से ग्रसित हैं। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। लक्षण पहचानने की जरूरत है।

    By Ankush Kumar Edited By: Anurag Shukla1Updated: Sun, 06 Jul 2025 09:52 PM (IST)
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    परेड स्थित आइएमए सभागार में आयोजित सीएमई में डा.यूके मिश्रा को स्मृति चिह्न देतीं अध्यक्ष डा.नंदिनी रस्तोगी। जागरण

    जागरण संवाददाता, कानपुर। बच्चों की छोटी-छोटी आदतों को अनदेखा करना भारी पड़ सकता है। टकटकी लगाकर देखना, ध्यान भटकने की समस्या मिर्गी के लक्षण हो सकते हैं। यह बात यह बातें रविवार को परेड स्थित आइएमए भवन में केजीएमयू मेडिकल कालेज के न्यूरोलाजी विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश वर्मा ने कही।

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    प्रो. राकेश वर्मा ने कहा, बच्चों में ध्यान भटकने की समस्या को पेटिट माल दौरा भी कहा जाता है। बच्चों में यह दौरा आमतौर पर कुछ सेकंड तक रहता है और इस दौरान बच्चा अचानक कुछ देर के लिए एकटक देखने लगता है। हालांकि यह दौरा इतना हल्का होता है, इस कारण अभिभावक का ध्यान इस ओर नहीं जाता है। इसकी अनदेखी ही उम्र के बढ़ने के साथ रोग की गंभीरता को बढ़ा देती है।

    उन्होंने कहा कि जिस भी घर में बच्चा पलकें झपकाना, होंठ चबाना, बोलते-बोलते रुक जाए आदि हरकत करने लगे। तो ऐसे में सतर्क हो जाना चाहिए। यह बच्चों में शुरुआती मिर्गी के लक्षण हो सकते हैं। इसका समय पर इलाज ही उसको सामाजिक और मानसिक दोष से बचा सकता है। उन्होंने कहा कि देश में 1.4 करोड़ लोग मिर्गी की समस्या से ग्रसित हैं, इसमें करीब 20 लाख मरीजों को दवाओं से लाभ मिल जाता है। इस बीमारी में चुनौती चिकित्सा नहीं, बल्कि सामाजिकता है।

    मिर्गी को लेकर समाज की सोच सबसे बड़ी चुनौती बन रही है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि यह छूने से फैलने वाली बीमारी है और पागलपन है। इस कारण ही मिर्गी की समस्या से ग्रसित लोग दवाओं से परहेज करते हैं। मिर्गी के इलाज में मेडिकल हिस्ट्री और क्लिनिकल समझ जरूरी है। सीएमई में मिर्गी के इलाज में मल्टीडिसिप्लिनरी टीम यानी न्यूरोलाजिस्ट, मनोचिकित्सक, हृदय और नींद विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है।

    सीएमई में मिर्गी के इलाज में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के प्रयोग पर भी डाक्टरों ने मंथन किया। इस अवसर पर आइएमए अध्यक्ष डा. नंदिनी रस्तोगी, उपाध्यक्ष डा. कुणाल सहाय, सचिव डा. विकास मिश्रा, डा. यूके मिश्रा, डा. आइएन वाजपेयी, डा. संजय महेंद्रू, डा. विकास दीक्षित, डा. गणेश शंकर आदि उपस्थित रहे।