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    Kanpur News: माइनर विषयों का सिलेबस अलग न होने से आ रही दिक्कतें, सुधार के लिए विशेषज्ञों ने दिए ये सुझाव

    कानपुर के पीपीएन महाविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पांच वर्ष पूरे होने पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने नीति के लाभों और कमियों पर बात की और सुधार के सुझाव दिए। छात्रों के विकास कौशल विकास और सेमेस्टर सिस्टम पर जोर दिया गया। समर्थ पोर्टल की समस्याएं और डिजिटल सेल की आवश्यकता भी उठाई गई।

    By vivek mishra Edited By: Ashish Mishra Updated: Thu, 28 Aug 2025 01:30 PM (IST)
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    माइनर विषयों का सिलेबस अलग न होने से आ रही दिक्कतें। जागरण फोटो

    जागरण संवाददाता, कानपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के पांच वर्ष पूरे होने पर बुधवार को पीपीएन महाविद्यालय परेड में एक महत्वपूर्ण चर्चा सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में महाविद्यालय के विशेषज्ञों ने नीति के प्रभाव और दुष्प्रभावों पर विचार करते हुए सुधारात्मक सुझाव प्रस्तुत किए।

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    महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. अनूप कुमार सिंह ने बताया कि एनईपी विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जिससे वोकेशनल कोर्स के माध्यम से स्थानीय कौशल विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।

    छात्र कल्याण अधिष्ठाता बादल बासुदेव विश्वास ने माइनर विषयों को पहले और तीसरे सेमेस्टर में रखने से उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए अलग सिलेबस बनाने और विद्यार्थियों के समर्थ पोर्टल पर डाटा भरने में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए कन्वीनर नियुक्त करने का सुझाव दिया।

    डॉ. काशिफ इमदाद ने सीएसजेएमयू में डिजिटल सेल की स्थापना की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. धनंजय सिंह ने इग्नू की तर्ज पर सेमेस्टर सिस्टम की बात की, जबकि डॉ. धर्मेंद्र पांडेय ने कौशल विकास के लिए अलग प्रशिक्षण केंद्र की आवश्यकता जताई।

    डॉ. सतीश चंद्र ने को-करिकुलर और वोकेशनल कोर्सेज के लिए शिक्षकों की नियुक्ति की आवश्यकता बताई। डा. आभा सिंह ने कहा कि एनईपी के अनुरूप आधारभूत संरचना के बिना नीति के मूल उद्देश्य की पूर्ति संभव नहीं है।