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    योगी से मिलकर पूरा हुआ खुशी का 5 साल पुराना सपना, घर छोड़कर सीएम से मिलने पहुंची थी लखनऊ 

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 04:57 AM (IST)

    मूक-बधिर खुशी का सपना बुधवार को पूरा हो गया। वह पाँच साल से अपनी बनाई पेंटिंग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेंट करना चाहती थी, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण परिवार उसे रोकता था। बीते शनिवार खुशी अकेले ही लखनऊ पहुंच गई, हालांकि उस दिन वह मुख्यमंत्री से नहीं मिल पाई। मंगलवार रात डीएम कार्यालय से परिवार को फोन आया कि मुख्यमंत्री ने उसे मिलने के लिए बुलाया है।    

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    जागरण संवाददाता, कानपुर। मूक-बधिर खुशी की इच्छा बुधवार सुबह पूरी हो गई। अपने हाथों से बनाई पेंटिंग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेंट करने के लिए वह पांच साल से जिद कर रही थी, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता उसे टाल देते थे। पिछले शनिवार वह अकेले ही लखनऊ पहुंच गई। उस दिन तो वह मुख्यमंत्री से नहीं मिल पाई, लेकिन मंगलवार रात डीएम कार्यालय से परिवार के पास फोन आया कि मुख्यमंत्री ने उसे बुलाया है।

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    बुधवार को वह परिवार संग मुख्यमंत्री के सामने पहुंची तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पिता बोले बेटी कभी भी स्कूल नहीं गई, लेकिन उसने अपने दृढ़ संकल्प से अपने सपने को पूरा किया। मुख्यमंत्री ने भी बेटी की छोटी सी इच्छा को बड़े संकल्प में बदल दिया। ग्वालटोली के अहिराना के मरकरी चौराहे से 100 मीटर दूरी पर कल्लू गुप्ता किराये के कमरे में रहते हैं। परिवार में पत्नी गीता देवी, 20 वर्षीय मूक-बधिर बेटी खुशी गुप्ता, 15 वर्षीय बेटा जगत गुप्ता है।

    काम छूटा तो चलाने लगे ई-रिक्शा 

    कल्लू मेट्रो में सिक्योरिटी गार्ड थे, लेकिन काम छूटा तो ई-रिक्शा चलाते हैं। उन्होंने बताया कि बेटी लगभग आठ सालों से स्केच से पेटिंग बना रही है। लगभग पांच साल से वह टीवी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जब भी देखती तो उनकी पेंटिंग बनाने लगती थी। उसने मुख्यमंत्री की दर्जनों पेंटिंग बनाईं। कुछ सालों से वह मुख्यमंत्री से मिलने की जिद करने लगी। उसे काफी समझाया, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं थी।

    मना किया तो वह गुमसुम रहने लगी और शनिवार सुबह बिना बताए घर से निकल गई। बाद में पता चला कि वह लखनऊ पहुंच गई है। बुधवार सुबह मजिस्ट्रेट लिखी कार आई और पूरा परिवार उसमें बैठकर लखनऊ मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचा। लगभग साढ़े नौ बजे मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई तो बेटी चहक उठी। वह भले ही बोल और सुन नहीं पा रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री के इशारों से पूछे गए सवालों को भलीभांति समझकर जवाब दे रही थी। उसने स्केच से बनाई पेटिंग मुख्यमंत्री को भेंट की।