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    कानपुर में सिंदूर खेल और दर्पण विसर्जन संग भक्तों ने किया दशमी पूजन, ढाक की धमक पर हुआ नृत्य

    By Shaswat GuptaEdited By:
    Updated: Fri, 15 Oct 2021 03:47 PM (IST)

    भक्त दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया कि भक्तों ने सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों में बंगाली तर्ज पर पूजन अर्चन कर मां से सुख-समृद्धि की कामना की। अपराजिता पूजन के बाद मां की दशमी आरती का पूजन किया गया।

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    कानपुर में एक दूसरे को सिंदूर लगातीं महिलाएं।

    कानपुर, जेएनएन। आस्था के महापर्व नवरात्र में चकेरी स्थित श्री श्री कालीबाड़ी मंदिर में अपराजिता पूजन और दर पर विसर्जन के साथ सिंदूर खेला की परंपरा का पालन भक्तों ने किया। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए सीमित संख्या में भक्तों को मंदिर परिसर में प्रवेश दिया गया। महिलाओं ने पारंपारिक वेशभूषा में एक दूसरे को सिंदूर लगाकर धाक की धमक पर खूब नृत्य किया। संध्या काल में मस्कर घाट पर मां महिषासुर मर्दिनी का विधिवत पूजन अर्चन के बाद विसर्जन किया जाएगा।

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    भक्त दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया कि भक्तों ने सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों में बंगाली तर्ज पर पूजन अर्चन कर मां से सुख-समृद्धि की कामना की। अपराजिता पूजन के बाद मां की दशमी आरती का पूजन किया गया। इसके बाद महिलाओं ने दर्पण में मां का चेहरा देखकर दर्पण विसर्जन परंपरा का पालन किया। दर्पण विसर्जन के बाद बंगाली धाक की धमक पर महिलाओं ने सिंदूर खेला की परंपरा निभाई। एक दूसरे को सिंदूर लगाकर महिलाओं ने मां के भजनों का गुणगान किया। सुहागिन महिलाओं और युवतियों ने लाल बॉर्डर वाली सफेद साड़ी पहनकर एक दूसरे को सिंदूर लगाया यह मनोहारी दृश्य भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा है। मां के भजन के बीच बंगाली नृत्य भक्त करते दिखे। दशमी आरती से पहले भक्तों ने सामूहिक रूप से मां का आरती पूजन किया। भक्तों ने पुष्पांजलि कर मां से सुख-समृद्धि की कामना की। महिलाओं ने सिंदूर खेला के बाद एक दूसरे को मां पर अर्पित पकवान की खिलाया।उन्होंने बताया कि संध्याकाल में मां की आरती पूजन के बाद मस्कर घाट ले जाकर मां का विसर्जन किया।