Move to Jagran APP

दावत-ए-इस्लामी ने 1994 से कानपुर में बनाई पैठ, हरी पगड़ी पहचान और पाकिस्तान में रहता है संस्थापक

भारत सहित पूरी दुनिया में दावत ए इस्लामी का नेटवर्क फैला हुआ है इसे देश के लिए खतरा बताया गया है। वर्ष 1989 में पहली बार पाकिस्तान से प्रतिनिधिमंडल कानपुर आया था और 1994 में इज्तेमा का आयोजन किया था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 06 Jul 2021 08:48 AM (IST)Updated: Tue, 06 Jul 2021 08:48 AM (IST)
दावत-ए-इस्लामी ने 1994 से कानपुर में बनाई पैठ, हरी पगड़ी पहचान और पाकिस्तान में रहता है संस्थापक
पाकिस्तानी संगठन पर मतांतरण का आरोप लग रहा है।

कानपुर, जेएनएन। सूफी इस्लामिक बोर्ड की ओर से मतांतरण के आरोपों के बाद प्रकाश में आए पाकिस्तानी संगठन दावत-ए-इस्लामी का नेटवर्क भारत सहित पूरी दुनिया में फैला हुआ है। इसका संस्थापक मौलाना इलियास अत्तारी पाकिस्तान में रहता है। वहीं से इसका संचालन होता है। भारत में दिल्ली और मुंबई में संस्था का हेडक्वार्टर है। वर्ष 1989 से पाकिस्तान से उलमा का एक प्रतिनिधिमंडल आया था। इसके बाद शहर में दावत-ए-इस्लामी ने पांव जमाए। 1994 में हलीम कालेज ग्राउंड में तीन दिवसीय इज्तेमा (सेमिनार) आयोजित किया गया था। इस दौरान पाकिस्तान से मौलाना इलियास कादरी ने भी शिरकत की थी। उसके बाद वर्ष 2000 में नारामऊ में बड़ा इज्तेमा किया गया था।

loksabha election banner

दावत-ए-इस्लामी पर सूफी इस्लामिक बोर्ड ने देश विरोधी गतिविधियों में चंदे का उपयोग करने और मतांतरण कराने के आरोप लगाए हैं। इसे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। दावत-ए-इस्लामी का नेटवर्क 194 देशों में फैला हुआ है। दावत-ए-इस्लामी के सदस्य हरा अमामा (पगड़ी) बांधते हैं, हालांकि अब किसी भी रंग की पगड़ी पहनने की इजाजत दे दी गई हैा। राष्ट्रीय स्तर पर संगठन की जिम्मेदारी मुंबई के सैय्यद आरिफ अली के पास है।

शहर में बदलते रहे हैं मरकज : शहर में दावत-ए-इस्लामी के मरकज बदलते रहे हैं। सबसे पहले मरकज कर्नलगंज स्थित एक मस्जिद में था। बाद में कर्नलगंज लकड़मंडी स्थित एक मस्जिद में बनाया गया। अब डिप्टी पड़ाव गुरबत उल्लाह पार्क स्थित एक मस्जिद में मरकज बनाया गया है।

मदनी चैनल से विचारधारा का प्रचार : दावत-ए-इस्लामी ने अपनी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने के लिए मदनी चैनल खोल रखा है। इस चैनल पर उर्दू के साथ अंग्रेजी व बांग्ला में भी कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। चैनल का संचालन पाकिस्तान से किया जाता है।

दावत-ए-इस्लामी व बरेलवी उलमा के बीच शुरू से मतभेद

बरेलवी उलमा और दावत-ए-इस्लामी के बीच शुरू से मतभेद चले आ रहे हैं। बरेली उलमा ने दावत-ए-इस्लामी का कई बार विरोध भी किया है। इसके खिलाफ पर्चे भी चस्पा किए जा चुके हैं। बरेली उलमा दावत-ए-इस्लामी के कार्यक्रमों में भी शिरकत नहीं करते हैं। दावत-ए-इस्लामी खुद को बरेली स्थिति खानकाह आला हजरत से जोड़ता है, वहीं बरेलवी उलमा उनको मसलक ए आला हजरत (आला हजरत की विचारधारा) से अलग मानते हैं। मदनी चैनल को भी सही नहीं मानते है।

सूफी इस्लामिक बोर्ड ने खोल रखा है मोर्चा

दावत ए इस्लामी के खिलाफ सूफी इस्लामिक बोर्ड ने मोर्चा खोल रखा है। बोर्ड का आरोप है कि दावत-ए- इस्लामी मतांतरण का काम करता है। जगह-जगह रखी गई दान पेटियों में आने वाले धन का इस्तेमाल गलत गतिविधियों में किया जाता है। बोर्ड ने कई बार अधिकारियों से शिकायत भी की है, लेकिन पुख्ता कार्रवाई नहीं हो सकी। बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता सूफी कौसर हसन मजीदी का कहना है कि दावत-ए-इस्लामी का विरोध करने पर उनको पाकिस्तान से भी धमकियां मिल रही हैं। सोमवार को डीसीपी रवीना त्यागी को ज्ञापन देकर सुरक्षा की मांग भी की है। पाकिस्तान से रविवार को आडियो क्लिप के माध्यम फेसबुक मैसेंजर पर उन्हें धमकी दी गई। धमकी देने वाला शहीर मलिक है। वह सारे भारत को मिटा देने की बात की कह रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.