Kanpur में बड़े प्रोजेक्ट की डील और फंस गए साइबर ठग के झांसे में, कंपनी का एमडी बन ठगे 1.97 करोड़
कानपुर में बड़े प्रोजेक्ट के चक्कर में एक कंपनी के अधिकारी ने 1.97 करोड़ गवां दिए। रविवार को कंपनी के अधिकारी को फर्जी वाट्सएप अकाउंट पर मैसेज आया। प्रोफाइल फोटो में कंपनी के एमडी की फोटो लगी थी। एक बड़े प्रोजेक्ट की डील का झांसा देकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया गया।

जागरण संवाददाता, कानपुर। कानपुर में बड़ी साइबर ठगी की वारदात हुई। चर्चित कंपनी यदुपति ट्रेड बिज्ज प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि अधिकारी से एक करोड़ 97 लाख रुपये की ठगी कर ली गई। साइबर ठगों ने उन्हें बड़े प्रोजेक्ट की डील का झांसा दिया था।
यदुपति ट्रेड बिज्ज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक बन साइबर अपराधी ने दूसरे निदेशक से नए प्रोजेक्ट के लिए कांट्रैक्टर साइन करने की बात कह रुपये ट्रांसफर करने की बात कही। इस पर कोलकाता की एक कंपनी के बैंक खाते में 1.97 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए गए। बाद में जब उन रुपयों को किस मद में डालने के लिए निदेशक से बात की गई तो ठगी का पता चला। मामले में नेशनल क्राइम रिकार्ड पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई तो जिस बैंक खाते में रुपये ट्रांसफर किए गए थे, उसे सीज कराया गया। उस समय तक खाते में 1.28 करोड़ रुपये खाते में बचे हुए थे। इसके बाद साइबर क्राइम थाने में धोखाधड़ी और आइटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया है।
कमला टावर द्वारिकाधीश रोड पर यदुपति ट्रेड बिज्ज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है, जिसके निदेशक राघवपत सिंहानिया हैं। कंपनी के दूसरे निदेशक अनिल अग्रवाल ने बताया कि रविवार को वाट्सएप पर एक मैसेज आया, जिसमें फोटो राघवतपत सिंहानिया की लगी थी। मैसेज में लिखा था कि मेरा नया नंबर है, इसे सेव कर लीजिए। अब इसी पर बात होगी। सोमवार सुबह मैसेज आया कि आफिस पहुंच गए हैं। जब उन्होंने हां बताया तो दूसरा मैसेज आया कि मीटिंग के बाद बुलाता हूं।
कुछ देर बाद फिर मैसेज आया कि एक प्रोजेक्ट की डील हो रही है, कांट्रैक्ट साइन करना है, क्या बैंक खाते में रुपये हैं। अनिल अग्रवाल के मुताबिक उन्होंने जवाब दिया कि रुपये नहीं हैं तो इंतजाम हो जाएगा। इसके बाद मैसेज पर कोलकाता की मां तारा फर्म के बैंक खाते की जानकारी भेजी और 1.97 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहा। उन्होंने रुपये ट्रांसफर करा लिए। इसके कुछ देर बाद राघवपत सिंहानिया से बात हुई तो पूछा कि रुपये ट्रांसफर कर दिए हैं, उसे किस मद में डाला जाए।
तब राघवपत सिंहानिया ने कहा कि उन्होंने रुपये ट्रांसफर करने को कहा ही नहीं। तब उन्हें ठगी का पता चला। उन्होंने फौरन नेशनल क्राइम रिकार्ड पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई। इस बीच में 15 से 20 मिनट में साइबर ठग ने चार-चार, पांच-पांच लाख रुपये करके करीब 15 खातों में रुपये ट्रांसफर कर दिए थे। वह बैंक खाता सीज कर दिया गया। उस समय खाते में 1.28 करोड़ रुपये बचे हुए थे। उनके मुताबिक वह दिल्ली में थे। दिल्ली में बताया गया कि बैंक खाता भी कानपुर में है और मामला भी कानपुर से जुड़ रहा है, इसलिए कानपुर में रिपोर्ट कराए। इस पर उन्होंने कानपुर के साइबर क्राइम थाने में धोखाधड़ी और आइटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया।
एसीपी साइबर क्राइम श्वेता सिंह ने बताया कि कंपनी के निदेशक बनकर साइबर ठग ने 1.97 करोड़ रुपये ठगे थे, लेकिन सही समय पर आनलाइन शिकायत दर्ज कराने पर रुपये ट्रांसफर होने वाले खाते में 1.28 करोड़ रुपये फ्रीज हो गए हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।