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    PTSD का शिकार हो रहा कोरोना संक्रमित का परिवार, महामारी के बाद दिखेगा ज्यादा असर

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Wed, 12 May 2021 09:50 AM (IST)

    Covid News कानपुर शहर में कोविड अस्पतालों में मरीजों के बाद अब घर वालों के दिमाग में भी कोरोना घर करने लगा है। मनोचिकित्सकों का दावा 24 फीसद मरीज और 10 फीसद तक घर वाले भी पोस्ट -ट्रैमेटिक इस्ट्रेस डिसआर्डर का शिकार हो रहे हैं।

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    संक्रमित के दिमाग के साथ अब घर में भी सेंध लगा रहा कोरोना। प्रतीकात्मक फोटो

    कानपुर, गौरव दीक्षित। कोविड अस्पतालों के आइसीयू और एचडीयू में भर्ती संक्रमित के दिमाग में घर करने के बाद अब कोरोना ने घरों में सेंध लगानी शुरू कर दी है। आईसीयू में भर्ती कोरोना संक्रमित अपना नाम, पहचान और परिवार को भूल रहे हैं तो घरों में इसका असर नजर आने लगा है। चिकित्सकों का दावा है कि इसका असर महामारी के बाद ज्यादा दिखाई देने वाला है। कोरोना के चलते केवल संक्रमित ही नहीं बल्कि उनके परिवार वाले भी मानसिक रोगी और अवसाद ग्रस्त हो रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि संक्रमित मरीजों में मानसिक रोग का औसत 24 फीसद है, वहीं दस फीसद परिवार पीटीएसडी (पोस्ट-टॉमेटिक स्ट्रेस डिसआर्डर) का शिकार हो गए हैं। इसे नीचे दिए गए दो केस से समझा जा सकता है...।

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    Case-1 : कल्याणपुर निवासी सुमित मिश्रा (परिवर्तित नाम) के घर के सामने रहने वाले पड़ोसी का कोरोना के चलते निधन हो गया। इसके बाद उनके कई रिश्तेदार भी कोरोना की चपेट में आकर नहीं रहे। सुमित का परिवार सुरक्षित है, बावजूद इसके इन खबरों ने उन्हें अवसाद का मरीज बना दिया है। हालात इतने बिगड़ गए कि उन्होंने खुद को अपने घर में कैद कर लिया। कोरोना का नाम भी वह कानों से नहीं सुनते। बाद में उन्हें डॉक्टर की सलाह लेकर दवाओं का सहारा लेना पड़ा।

    Case-2 : बर्रा निवासी सुधा (परिवर्तित नाम) की ननद का पिछले दिनों कोरोना से निधन हो गया। दो दिन बाद सुधा की मां भी कोरोना के चलते नहीं रहीं। दो दिन के भीतर दो करीबी रिश्तेदारों की मौत ने सुधा को अंदर तक झकझोर दिया। उन्हें इतना धक्का पहुंचा कि वह अवसाद का शिकार हो गईं। अनाप-शनाप बकने लगीं और पागलपन जैसा दौरा पडऩे लगा। मजबूरन स्वजन को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। अब उनकी हालत पहले से बेहतर है।

    कोविड की नकारात्मक खबरें बना रही शिकार

    मनोरोग चिकित्सक डॉ. गणेश शंकर ने बताया कि मेडिकल क्षेत्र के सबसे बड़े जर्नल में एक मई को छपे लेख के मुताबिक 2.32 लाख कोविड मरीजों का छह महीने तक अध्ययन किया गया तो सामने आया कि 24 फीसद मरीज मनोरोगी हो चुके हैं। डॉ. गणेश के मुताबिक यही स्थिति आम लोगों की भी है। कोविड की नकारात्मक खबरों से जुड़े होने की वजह से नगर के दस फीसद परिवारों में कोई न कोई मनोरोगी पैदा हो गया है। ऐसे लोग अवसाद, ब्लड प्रेशर, अनिद्रा व नशे का शिकार हो रहे हैं। 

    कोरोना के बाद भी दिखाई देगा असर

    डॉ. गणेश शंकर के मुताबिक कोरोना के बाद भी लंबे समय तक इसका असर दिखाई देगा। लोग मनोरोग से पीडि़त होंगे। अनुमान है कि कोरोना के बाद पीपीएसडी (पोस्ट-ट्रैमेटिक स्ट्रेस डिसआर्डर) की बीमारी बढ़ेगी। इसमें रोगी को घबराहट होती है। वह पूर्व की घटना से हर घटना का जोड़कर देखने से तनाव में रहेगा। वहीं डॉ. आलोक बाजपेयी ने बताया, कोविड काल में तीन तरह के मानसिक रोगी सामने आ रहे हैं। ऐसे जो पहले से ही मानसिक रोग से पीडि़त हैं। दूसरा, जिन्हें कोविड हुआ है और तीसरे आम लोग। उन्होंने बताया कि कोरोना के चलते आम लोगों के व्यवहार में परिवर्तन देखा गया है। अगर लंबे समय तक यही व्यवहार चलेगा तो वह स्वभाव का हिस्सा बन जाएगा। इससे आने वाले समय में समस्या पैदा होगी।

    आपदा के असुर भी होंगे शिकार

    डॉ. गणेश की मानें तो आपदा में खाद्य वस्तुओं, मेडिकल उपकरणों व दवाओं की कालाबाजारी करने वाले भी मानसिक रोग का शिकार होंगे। ऐसे लोगों के परिवार में अगर कोरोना ने झपट्टा मारा तो जीवन भर के लिए वह मानसिक रोगी हो जाएंगे।

    ऐसे कर सकते हैं बचाव

    -कोरोना से जुड़ी खबरों से दूरी बनाएं।

    -टीवी पर मनोरंजक कार्यक्रम अधिक से अधिक देखें।

    -फोन पर लोगों से कोरोना के संबंध में बातचीत बंद कर दें।

    -योग और प्राणायाम करें।