लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान के चीफ कार्डियक सर्जन और उनकी टीम को मिली यह बड़ी कामयाबी
40 सेमी क्षतिग्रस्त थी धमनी स्टेंट 20 सेमी होते लंबे इसलिए दो लगाने पड़े। देश के चुनिंदा चिकित्सकीय संस्थानों में साल भर में होते हैं 20-25 ऑपरेशन। हार्ट की मुख्य धमनी क्षतिग्रस्त होने से दोनों कोरोनरी आर्टरी उखड़ सकती हैं।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। दिल की क्षतिग्रस्त मुख्य नस (धमनी) दुरुस्त हुई तो जिंदगी दौड़ पड़ी। मौत के मुंह से मरीज को बाहर खींच लाने की ये कामयाबी लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान के चीफ कार्डियक सर्जन डॉ. राकेश वर्मा और उनकी टीम को दूरबीन विधि से सर्जरी करके मिली है। ये प्रदेश का पहला संस्थान है, जहां ऐसे सर्जरी हुई है। क्षतिग्रस्त धमनी 40 सेंटीमीटर लंबी थी, जबकि स्टेंट 20 सेंटीमीटर से अधिक लंबे नहीं आते हैं। इसलिए दो स्टेंट धमनी के अंदर ही जोडऩे पड़े। इनमें एक जालीदार है, जिससे गले, हाथ, किडनी, पेट और आंतों को रक्त की आपूर्ति बेहतर ढंग से होती रहे। अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ है। इसे इंडियन जर्नल ऑफ थोरेसिक सर्जरी एवं एनल्स ऑफ थोरेसिक सर्जरी में प्रकाशन की स्वीकृति मिली है। देश के चुनिंदा चिकित्सकीय संस्थानों में साल भर में ऐसे 20-25 ऑपरेशन ही होते हैं।
हमीरपुर के राठ निवासी 53 वर्षीय महिला को 16 दिसंबर की रात बेहोशी की स्थिति में स्वजन कार्डियोलॉजी लाए थे। जांच में हृदय से शरीर को रक्त आपूर्ति करने वाली मुख्य धमनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त (एओटा एओटिक डिसेक्शन) मिली थी। इससे धमनी में ट्रू एवं फाल्स ल्यूमन बन गए थे। रक्त हार्ट, पेट और चेस्ट में भरने लगा था।
ऐसे दुरुस्त की गई धमनी
दिल्ली से मंगाई विशेष प्रकार की डिवाइस से जांघ के पास छोटा चीरा लगाकर फिमोरल आर्टरी खोली गई। डिवाइस से कवर्ड माउंटेड स्टेंट को ट्रू ल्यूमन से होकर क्षतिग्रस्त हिस्से में डालकर फिक्स किया गया। बाएं हाथ की रक्त आपूर्ति में रुकावट आने की संभावना को लेकर विशेष तकनीक से स्टेंट में छेद करके रास्ता बनाया गया। सर्जरी के बाद चार दिन तक मरीज को निगरानी में रखने के बाद डिस्चार्ज किया गया। नौ जनवरी को फिर जांच की गई। निदेशक डॉ. विनय कृष्ण व हृदय रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रमेश ठाकुर ने सर्जिकल टीम को बधाई दी है।
सर्जिकल टीम में ये रहे शामिल
डॉ. नीरज प्रकाश, डॉ. नीरज त्रिपाठी, सीनियर रेजीडेंट डॉ. सौरभ, एनस्थेटिक्स डॉ. माधुरी प्रियदर्शी, हार्ट लंग मशीन के डॉ. मुबीन अंसारी व डॉ. अनुज, स्टॉफ नर्स कलावती, राजपूतानी, आकांक्षा और श्वेता कमल।
ये हैं लक्षण
असहनीय दर्द, लकवा का अटैक, हाथ-पैर का रक्त संचार बाधित होने से पीलापन, अचानक दोनों पैरों का काम बंद करना, गुर्दे फेल होना, पेशाब अचानक बंद होना
इन मरीजों में मुख्य धमनी क्षतिग्रस्त होने की अधिक संभावना
- मार्फन सिंड्रोम, एहलर डॉन्सन सिंड्रोम, सिस्टिक मीडियल निक्रोसिस होने पर एओटा की बीच वाली परत गलने लगती है।
- लंबे समय से अनियंत्रित ब्लड प्रेशर और छाती में चोट लगने से
- पैदाइशी हृदय का पाइप सिकुड़ा होना (क्वार्टेशन ऑफ एओटा)।
तत्काल हो सकती मौत
हार्ट की मुख्य धमनी क्षतिग्रस्त होने से दोनों कोरोनरी आर्टरी उखड़ सकती हैं। एओटा के मुहाने पर स्थित एओटिक वाल्व फटने से रक्त उलटा हार्ट में जाने लगता है, जिससे तत्काल मौत हो सकती है। हार्ट और उसकी झिल्ली के बीच रक्त भरने से दबाव बढऩे से हार्ट फेल हो सकता है।
इनका ये है कहना
सर्जरी करके विशेष प्रकार के स्टेंट से क्षतिग्रस्त मुख्य धमनी दुरुस्त की गई। इस प्रक्रिया को इंडो वैस्कुलर ग्राफ्ट रिपेयर कहते हैं। ये प्रदेश व संस्थान की पहली सर्जरी है। - प्रो. राकेश वर्मा, चीफ कार्डियक सर्जन एवं विभागाध्यक्ष, सीवीटीएस, लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान।
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