Chhangur Baba Case: कानपुर और आसपास के जिलों से जुड़े हैं छांगुर के तार, गिरफ्तारी से पहले कई बार आया
जलालुद्दीन उर्फ छांगुर का कानपुर और आसपास के जिलों से तार जुड़े हैं। शासन ने मतांतरण से जुड़े पूर्व के मामलों की जानकारी मांगी है। गिरफ्तारी से पहले कई बार कानपुर आया। पुलिस को उसके मददगारों की तलाश है। बताया जा रहा है कि यहां पर भी मतांतरण करवाया है।

जागरण संवाददाता, कानपुर। मतांतरण के मास्टर माइंड और बलरामपुर में एसटीएफ के हत्थे चढ़े जलालुद्दीन उर्फ छांगुर का प्रभाव क्षेत्र बलराम से लखनऊ तक ही नहीं था, बल्कि उसने कानपुर और आसपास के जिलों में भी पांव पसारे हुए थे। इस जानकारी के बाद शासन ने यहां पर पूर्व में हुए मतांतरण के मामलों की पड़ताल शुरू कर दी है।
ऐसा बताया जा रहा है कि पूर्व में छांगुर का कानपुर और आसपास के जनपदों में लगातार आना जाना रहा है और यहां भी उसने मतांतरण का खेल किया है। इस जानकारी के बाद पुलिस अब छांगुर के स्थानीय मददगारों की तलाश में जुटी हुई है।
एटीएस ने छांगुर और उसके गुर्गों से अब तक जो पूछताछ की है, उसमें सभी बड़े मामले बलरामपुर और लखनऊ के बीच के ही सामने आए हैं। मगर, इन खबरों के बीच यह भी जानकारी सामने आई है कि छांगुर और उसके लोग गंगा उन्नाव, कानपुर, फतेहपुर, कानपुर देहात, औरैया में भी सक्रिय थे। यही नहीं खुद छांगुर ने भी इस जिलों में यात्राएं और मतांतरण से जुड़े अपने गिरोह को फैलाने का प्रयास किया।
असल में छांगुर के तार फतेहपुर जेल में निरुद्ध फतेहपुर के अंदौली रोड स्थित पंथुवा मजरे रमवां गांव के मो. उमर उर्फ श्यामप्रताप सिंह से जुड़े सकते हैं, जिसे इसी मामले में उम्रकैद मिली हुई है। श्यामप्रताप सिंह ने 20 साल की उम्र में 1984 में नैनीताल में शिक्षा के दौरान खुद का मतांतरण कराकर अपना नाम मो. उमर रख लिया था।
इसके बाद उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर, कानपुर देहात, फतेहपुर, उन्नाव, हमीरपुर, बांदा, रायबरेली, बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर के साथ नई दिल्ली, आंधप्रदेश, नोएडा, आदि प्रदेशों में भी मतांतरण का जाल बिछाकर करीब एक हजार लोगों को इस्लाम के प्रति प्रेरित कर उनका मतांतरण कराया था । इसके लिए इसके पास मुस्लिम देशों व संगठनों से फंडिंग आती थी। एसटीएफ ने उमर गौतम को 12 सितंबर 2024 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
छांगुर की कार्यशैली भी उमर की तरह ही थी। ऐसे में दोनों को जुड़ा हुआ देखा जा रहा है। कानपुर में उमर ने एक दिव्यांग किशोर को अपने जाल में फंसाया था। किशोर ने उस वक्त बताया था कि उमर के संपर्क में अकेले कानपुर के दर्जन भर से ज्यादा लोग थे, जिनका उसने मतांतरण कराया था। यह भी सामने अ रहा है कि छांगुर कम से कम तीन से चार बार कानपुर आ चुका है।
कानपुर में उसके संपर्क में कौन-कौन थे, इसे लेकर जांच की जा रही है। मुख्यरूप से जाजमऊ और चकेरी से सटे हिस्सों में उसने अपने पांव पसार लिए थे। उसके लोग लगातार यहां से गिरोह का संचालन कर रहे थे। फिलहाल इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई भी अधिकारी बोलने के लिए तैयार नहीं है।
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