CBI Raid : श्री लक्ष्मी काटसिन पर 6833 करोड़ की जालसाजी का मुकदमा, चार बोरी कागजात जब्त
सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के डीजीएम द्वारा दिल्ली शाख में दर्ज कराए मुकदमे पर सीबीआइ की टीम ने कंपनी की कानपुर फतेहपुर रुड़की और नोएडा स्थित कार्यालयों व फैक्ट्रियों में छापा मारकर करीब छह घंटे तक पड़ताल की।

कानपुर, जेएनएन। छह हजार करोड़ से भी ज्यादा की जालसाजी के मामले में सीबीआइ की टीम ने कानपुर में मुख्य कार्यालय और फतेहपुर की मिल में जांच की और छह घंटे की पड़ताल के बाद चार बोरी दस्तावेज व हार्डडिस्क जब्त करके ले गई। सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के डीजीएम ने श्रीलक्ष्मी काटसिन कंपनी के चेयरमैन व निदेशकों पर सीबीआइ की दिल्ली शाखा में जालसाजी, साजिश रचने व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। आरोप है कि कंपनी व उसके अधिकारियों ने विभिन्न बैंकों को करीब 6,833.82 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा कर घोटाला किया है। इसके चलते सीबीआइ टीम ने कंपनी के कानपुर मुख्यालय, फतेहपुर स्थित फैक्ट्रियों, रुड़की व नोएडा में छापेमारी कर तमाम दस्तावेज खंगाले हैं।
चार बोरी कागजात और हार्डडिस्क जब्त : सीबीआइ टीम ने शनिवार को की गई छापेमारी के दौरान करीब छह घंटे कंपनी की संपत्ति और मशीनों को लेकर पड़ताल की। फतेहपुर की रहसूपुर, सौंरा व अभयपुर इकाई में मशीनों के कागजात देखे। बैंकों से लिए गए ऋण व उसके खर्च की पड़ताल की। विदेश में निर्यात किए गए उत्पादों से कंपनी को हुई आमदनी का ब्योरा भी जुटाया है। फतेहपुर की इकाइयों में छापेमारी करने पहुंची सीबीआइ टीम अपने वाहन हाईवे में खड़े कर पैदल ही सौंरा फैक्ट्री पहुंची। कानपुर में मिल के मुख्यालय में छापेमारी इतनी गुप्त थी कि स्थानीय पुलिस को भी भनक नहीं लगी। सीबीआइ के अंदर जाने के बाद किसी भी इकाई व आफिस से आवाजाही पर रोक लगा दी गई। फतेहपुर के चार प्लांटों में छापेमारी के दौरान सीबीआइ टीम चार बोरी से अधिक कागजात और कंप्यूटर की हार्ड डिस्क साथ ले गई।
इन लोगों पर हुआ मुकदमा : श्री लक्ष्मी काटसिन लिमिटेड कंपनी, चेयरमैन कम मैनेजिंग डायरेक्टर व गारंटर माता प्रसाद अग्रवाल, ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर व गारंटर पवन कुमार अग्रवाल, डायरेक्टर व गारंटर शारदा अग्रवाल, डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर देवेश नारायण गुप्ता और अज्ञात पब्लिक सर्वेंट व प्राइवेट पर्सन।
जानिए, क्या है पूरा मामला : नई दिल्ली में पार्लियामेंट स्ट्रीट में जीवन तारा बिल्डिंग स्थित सेंट्रल बैंक की शाखा के डीजीएम राजीव खुराना की तहरीर के मुताबिक श्री लक्ष्मी काटसिन कंपनी ने आर्थिक सहायता के लिए विभिन्न बैंकों से कर्ज लिया था, लेकिन बाद में ऋण खाते एनपीए (नान परफार्मिंग असेट्स यानी बैैंक का वह कर्ज जो डूब गया) हो गए। आरोप है कि विश्वास का हनन करते हुए आरोपितों ने बैंकों की धनराशि अदा नहीं की और बैंकों को नुकसान पहुंचाया। इसमें बैंकों के अज्ञात अधिकारी व कर्मचारियों ने भी उनका साथ दिया। डीजीएम ने सीबीआइ को सभी बैंकों की ओर से दिए गए लोन और बकाया राशि का ब्योरा भी सौंपा है। कंपनी के तत्कालीन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, स्टाक आडीटर, वैल्युअर की भूमिका व कंपनी की ओर से पेश किए गए दस्तावेजों की भी गहराई से जांच कराने की मांग की गई है।
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