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    Gold Jewellery: कानपुर में महिला ग्राहकों से खौफ में हैं सराफा कारोबारी, सच जानकर उड़ जाएंगे आपके भी होश

    By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj Mishra
    Updated: Sat, 26 Aug 2023 02:27 PM (IST)

    Gold Jewellery Fashion कानपुर के सराफा कारोबारी अब मह‍िला ग्राहकों से खौफ खाने लगे हैं। इसके पीछे का सच आपको भी हैरान कर देगा। सराफा कारोबारी मह‍िलाओं ...और पढ़ें

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    Gold Jewellery: कानपुर में महिला ग्राहकों से खौफ में हैं सराफा कारोबारी

    कानपुर, जागरण संवाददाता। कभी महिलाओं को आकर्षित करने के लिए अपने शोरूम को बहुत ही अच्छे से सजाने वाले सराफा कारोबारी अब उन्हीं महिला ग्राहकों से परेशान हैं। इसका कारण महिलाओं का फैशन और नई डिजाइन के लिए बहुत अधिक जागरूक होना है।

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    पहले महिलाएं शोरूम में आकर जो गहने उन्हें नई डिजाइन के लगते थे, वे उन्हें खरीद लेती थीं लेकिन अब बीआइसी के केयर एप में एचयूआइडी (हालमार्क यूनीक आइडेंटीफिकेशन) नंबर डालते ही उन्हें पता चल जाता है कि उस जेवर को हालमार्क किस तारीख को किया गया था। ज्यादा पुराना हालमार्क होने पर पुरानी डिजाइन की बात कह महिलाएं उसे रिजेक्ट कर देती है।

    इसे देखते हुए आल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने भारतीय मानक ब्यूरो को पत्र लिखकर केयर एप में से हालमार्क करने की तारीख हटाने के लिए आग्रह किया है। त्योहार का मौका आने वाला है। इसके साथ ही सहालग भी आ रही है। नवरात्र से दीपावली तक का समय सबसे ज्यादा बिक्री का होता है। शहर के सराफा कारोबारी इस समय त्योहार और सहालग के लिए स्टाक जुटा रहे हैं।

    दिल्ली, मुंबई में आर्डर भी दिए जाने लगे हैं ताकि समय से जेवरों की खेप आ सके। हालांकि इस दौरान कारोबारियों को यह आशंका भी है कि अभी उन्होंने जिन जेवरों के लिए आर्डर दिया है, महिलाएं उन्हें भी पुरानी डिजाइन बताकर रिजेक्ट न करने लगें। इसीलिए आल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हालमार्क एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य पंकज अरोड़ा ने भारतीय मानक ब्यूरो को पत्र लिखकर एप से हालमार्किंग की तारीख हटाने को कहा है।

    उनके मुताबिक कई सराफा कारोबारी इस तरह की शिकायत कर चुके हैं कि महिलाएं जेवर का एचयूआइडी नंबर केयर एप पर देखकर तारीख की वजह से उसे रिजेक्ट करके चली गईं। जेवर दिल्ली, मुंबई में बनने, वहां हालमार्क होने और यहां तक आने में समय लगता है। कई बार महिलाएं इसी दो तीन माह के समय को ज्यादा मानने लगती हैं।