कानपुर के बॉक्सरों काे हॉस्टल का पंच पड़ सकता भारी, रिंग पर मंडरा रहे संकट के बादल
कानपुर के अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम ग्रीनपार्क में वर्ष 2015 में बॉक्सिंग रिंग का निर्माण कराया गया था। अब अत्याधुनिक हॉस्टल का प्रस्ताव आने से रिंग हटाने का खतरा बन जाने से बॉक्सरों काे भविष्य की चिंता सताने लगी है।
कानपुर, जेएनएन। शहर में बॉक्सिंग खिलाड़ियों को मुकाम तक पहुंचाने चसले एकमात्र रिंग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ग्रीनपार्क में अत्याधुनिक हॉस्टल के प्रोजेक्ट में बॉक्सिंग रिंग के आने से खिलाड़ियों व एसोसिएशन के पदाधिकारियों को चिंता सता रही है। खेल विभाग के पदाधिकारी इस पर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं, ऐसे में बॉक्सिंग का भविष्य खतरे में दिख रहा है।
उप्र ऐमच्चोर बॉक्सिंग एसोसिएशन के महासचिव व बीएफआइ के वाइस प्रेसिडेंट अनिल कुमार मिश्रा ने बताया कि 2015 में ग्रीनपार्क में बॉक्सिंग खेल को बढ़ाने की मंशा से रिंग का निर्माण किया गया था। तत्कालीन डीएम कौशल राज शर्मा के कार्यकाल में बने रिंग का उद्घाटन तत्कालीन खेल सचिव अनिता भटनागर जैन ने किया था। उन्होंने बताया कि यह प्रदेश का एकमात्र ऐसा रिंग है, जिसमें सागौन की लकड़ी का सर्वाधिक प्रयोग किया गया है। पिछले पांच वर्षों में इस रिंग में अभ्यास कर शहर के बालक व बालिका वर्ग के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय व प्रदेशस्तरीय स्पर्धाओं में खूब पदक हासिल किए। ग्रीनपार्क के इस रिंग में विश्व चैंपियन मैरीकॉम भी खिलाड़ियों को बॉक्सिंग का ककहरा सिखा चुकीं हैं।
ग्रीनपार्क में पिछले दिनों लगभग चार करोड़ की लागत से 80 बेड के अत्याधुनिक हॉस्टल निर्माण में रिंग के परिक्षेत्र को भी लिया गया था। इसके बाद खिलाड़ियों व एसोसिएशन के अधिकारियों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। उप निदेशक खेल मुद्रिका पाठक ने अभी तक इसके विकल्प को लेकर कोई योजना नहीं बनाई, जिसके कारण खिलाड़ी व पदाधिकारी दुविधा में हैं। एसोसिएशन की ओर से हॉस्टल के भूतल में रिंग को लगाने का प्रस्ताव दिया गया है। इसपर फिलहाल कोई विचार नहीं किया गया। शहर का एकमात्र बॉक्सिंग रिंग पर संकट मंडराने से खिलाड़ियों में चिंता शुरू से ही रही। पूरे रिंग का सामान व एक जर्जर कमरें में रखा जाता है, जिसमें प्रतियोगिताओं के दौरान खिलाड़ी कपड़े बदलते हैं।