मधुवन में सजा संतों का मेला, सिमौनी धाम पहुंचे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री
बांदा की बबेरू तहसील मुख्यालय के सिमौनी गांव में बाबा मौनी धाम में मेला शुरू हो चुका है यहां मधुवन में साधु-संतों का पहुंचना जारी है वहीं मेले में भक्तों का तांता लगा है। राजनीतिक हस्तियां भी आश्रम में माथा टेकने पहुंच रही हैं।

बांदा, जागरण संवाददाता। श्रद्धा, भक्ति व विश्वास की डोर में बंधे सिमौनी धाम के तीन दिवसीय मेले में भक्तों का तांता लगा ही है, यहां राजनीतिक हस्तियां भी पहुंच रही हैं। गुरुवार की सुबह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. हर्षवर्धन भी पहुंच गए हैं। इससे पहले बुधवार को बुधवार को भाजपा दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष एवं सांसद मनोज तिवारी ने माथा टेका था। राष्ट्रीय मेले में आसपास के जनपदों से ही नहीं, बल्कि दिल्ली समेत कई प्रांतों से भक्तों के आने का सिलसिला जारी है।
विख्यात है सिमौनी का मेला
बबेरू तहसील मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर दूर सिमौनी गांव में बाबा मौनी धाम आस्था का विशेष केंद्र है। यहां बीते साठ वर्षों से अंखड रामनाम कीर्तन अनवरत जारी है तो प्रतिवर्ष लगने वाला मेला देश-दुनिया में विख्यात हो चुका है। बुधवार से यहां तीन दिवसीय राष्ट्रीय मेले की शुरुआत हो चुकी है और बम बम भोले व श्री सीताराम के जयकारे गूंज रहे हैं। पहले दिन स्वामी अवधूत महराज ने हनुमान चालीसा पढ़कर और शंख बजाकर भंडारे का शुभारंभ किया।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने लिया आशीर्वाद
हठयोगी स्वामी अवधूत महाराज जी का आशीर्वाद लेने के लिए आसपास जनपद ही नहीं प्रांतों से भक्तों का तांता लगा है। गुरुवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. हर्षवर्धन और उनकी पत्नी नूतन भी आश्रम पहंचीं। उन्होंने भी स्वामी अवधूत महराज के दर्शन कर अशीर्वाद प्राप्त किया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का हेलीकॉप्टर आश्रम के पास बने हेलीपैड पर उतरा। 30 फुट ऊंचाई पर बने आश्रम में आसन लगाए स्वामी जी पूरे मेले की निगरानी करते हैं। यहां आने वाले भक्त एक कतार में बैठकर भंडारे का प्रसाद ग्रहण करते हैं, मान्यता है कि प्रसाद चखने से शरीर में व्याप्त अवगुण दूर हो जाते हैं। भंडरे में लगे श्रमदानियों का कहना है कि श्रद्धालुओं की सेवा का संकल्प लेकर ही वह राजधानी से स्वामी जी की प्रेरणा से तपोभूमि आए हैं।
साधु-संतों के लिए मधुवन में खास व्यवस्था
गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी साधु-संतों की मंडली सिमौनी धाम पहुंची है। मेला समिति की ओर से साधुओं को धूनी रमाने के लिए परिसर में वृक्षों के नीचे जो स्थान दिया जाता है, उसे मधुवन कहते हैं। मधुवन में पुआल (पयार) बिछाने के साथ साथ ही अलाव के लिए लकडिय़ों की व्यवस्था की गई है। इस बार कोविड-19 का पालन करते हुए साधु-संतों को ठहराने की व्यवस्था की गई है। मेला प्रभारी एसडीएम दिनेश कुमार का कहना है कि मधुवन की साफ सफाई करके साधु-संतों के रहने की व्यवस्था की गई है ।
भक्तों ने यूं जताई आस्था
-सिमौनी की यह माटी पवित्र है। स्वामी जी के आशीर्वाद से ही उनकी इस तपोभूमि में सेवा करने का मौका मिला है।-यशपाल सिंह, दिल्ली
-मैं 28 वर्षों से स्वामी जी से जुड़ा हूं। सिद्ध पुरुष हैं, उनकी सेवा और उनके दर्शन से सब कुछ मिल जाता है।-मास्टर रामनारायण शर्मा, दिल्ली
-स्वामी जी से 1978 से जुड़ा हूं। मेरा सौभाग्य है कि मैं उनकी तपोभूमि में आकर कुछ श्रमदान करने का मौका मिला और उनकी इस तपोभूमि की मिट्टी को माथे में लगाने से सब कष्टों का निवारण हो जाता है। -हरीश अरोरा, दिल्ली
-दिल्ली से चलकर यहां आने का मकसद एक है। उनकी जन्मभूमि की हवाएं शरीर में पडऩे से सब कष्टों का निदान हो जाता है। श्रम दान करने का मौका भी मिलता है। यह सब स्वामी जी की ही कृपा है। -उदय कौशिक, दिल्ली
-मैं 30 वर्षों से अपने परिवार के साथ जुड़ा हूं। उनकी तपोभूमि पर आकर मन को शांति मिलती है। तपोभूमि से टकराकर निकलने वाली हवाएं हम सबको नई प्रेरणा देकर निकलती हैं और मिट्टी को माथे में लगाकर सभी कष्टों का निदान व सब कुछ अपने आप बिना मांगे हासिल हो जाता है। -अजब सिंह, दिल्ली
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