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भाजपा को अपने गढ़ में क्यों बदलना पड़ा प्रत्याशी? इस हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट पर कई दिग्गज नेता कर रहे थे दावेदारी

Lok Sabha Election 2024 यह शहर जहां भाजपा का गढ़ कहा जाता है वहीं भाजपा नेताओं के आपसी विवादों के लिए भी इसे जाना जाता है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में रमेश अवस्थी का चयन भी इन्हीं विवादों की पृष्ठभूमि की उपज है। कानपुर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी के साथ ही बहुत से बड़े नेता टिकट की दावेदारी कर रहे थे।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Published: Mon, 25 Mar 2024 07:43 AM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2024 07:43 AM (IST)
भाजपा को अपने गढ़ में क्यों बदलना पड़ा प्रत्याशी?

जागरण संवाददाता, कानपुर। यह शहर जहां भाजपा का गढ़ कहा जाता है, वहीं भाजपा नेताओं के आपसी विवादों के लिए भी इसे जाना जाता है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में रमेश अवस्थी का चयन भी इन्हीं विवादों की पृष्ठभूमि की उपज है।

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कानपुर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी के साथ ही बहुत से बड़े नेता टिकट की दावेदारी कर रहे थे लेकिन, इनके बीच के आपसी विवादों के चलते पार्टी ने नए चेहरे को टिकट देकर मैदान में उतारा है। वास्तव में इस नाम से पार्टी नेतृत्व ने सभी को चौंका भी दिया है।

कानपुर से सत्यदेव पचौरी का कटा टिकट

कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र के 10 में से नौ सांसदों को दोबारा टिकट देने और सिर्फ कानपुर की टिकट को रोक कर नेतृत्व ने पहले ही संकेत कर दिया था कि कानपुर को लेकर सबकुछ सही तो नहीं है। उनकी घोषणा रुकने के बाद यहां से दावेदारों की संख्या भी अचानक बढ़ गई।

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, विधायक सुरेन्द्र मैथानी, महेश त्रिवेदी, विधान परिषद सदस्य अरुण पाठक के नाम सबसे ज्यादा चर्चा में थे। बात सिर्फ यहीं नहीं रुकी थी। भाजपा नेताओं में इनके साथ उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, राज्यसभा सदस्य डा. दिनेश शर्मा, लोक गायिका मालिनी अवस्थी जैसे नाम भी दावेदारी में माने जा रहे थे।

कानपुर के ज्यादातर दावेदार पिछले काफी दिनों से दिल्ली में अपने-अपने करीबियों से संपर्क कर दावेदारी बढ़ा रहे थे। इस बीच रमेश अवस्थी का नाम भी दिल्ली स्तर पर चर्चा में था। शहर के बड़े नेताओं की खींचतान की चर्चा कानपुर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के नेताओं की जुबान पर हैं। इसके अलावा पार्टी किसी विधायक को अपनी सीट खाली कर लोकसभा चुनाव मैदान में उतरने का मौका नहीं देना चाहती थी।

बगल की अकबरपुर लोकसभा सीट से क्षत्रिय को टिकट देने के बाद इस सीट पर पार्टी किसी ब्राह्मण प्रत्याशी की तलाश में भी थी। भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी 75 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद भी टिकट की दौड़ में थे। उन्होंने पिछले कई माह से पार्टी के सभी कार्यक्रम पूरी ताकत लगाकर किए थे और पार्टी के एप पर उन्हें अच्छी रेटिंग भी मिली थी।

महापौर चुनाव में उनकी बेटी नीतू सिंह को टिकट मिल रहा था लेकिन, अंतिम मौके पर प्रमिला पांडेय को फिर से टिकट मिल गया था जिस पर उन्होंने नाराजगी जताई थी। रविवार शाम को सांसद पचौरी के पत्र के जारी होने के बाद स्थानीय स्तर पर नेताओं ने गणित लगनी शुरू कर दी गई थी कि अब दावेदारों में से किसे टिकट मिलेगा।

पिछले छह माह से रमेश अवस्थी ने कानपुर में कई कार्यक्रम किए थे। जनवरी 2023 में चित्रकूट में हुए भाजपा के प्रशिक्षण वर्ग में भी उनकी काफी सक्रियता दिखी थी। इसके चलते ही आखिरकार उन्हें प्रत्याशी बनने का मौका भी मिल गया।


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