कानपुर में पकड़े गए रोहिंगया मामले में बड़ा अपडेट, सभासद ने आधार बनवाने में की थी मदद; दलाल ने लिए थे रुपये
कानपुर में रोहिंग्या मो. साहिल और उसके परिवार का आधार कार्ड एक सभासद की मदद से बना था जिसने निवास प्रमाण पत्र दिया था। पुलिस पूछताछ में सभासद ने दस्तावेज सत्यापित करने से इनकार किया है। यूआइडीएआइ से जानकारी मांगी गई है। साहिल ने बताया कि वह म्यांमार से बांग्लादेश होकर भारत आया था। सभासद ने आधार कार्ड बनवाने में मदद की थी। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

जागरण संवाददाता, कानपुर। बड़ा चौराहा के पास पकड़े गए रोहिंग्या मो. साहिल और उसके परिवार का आधार कार्ड शुक्लागंज के एक सभासद की मदद से बना था। सभासद ने ही निवास प्रमाण पत्र बनाकर दिया था। हालांकि पुलिस पूछताछ में सभासद ने साफ कहा कि साहिल के कोई भी दस्तावेज सत्यापित नहीं किए।
फिलहाल वह जांच के घेरे में है। शुक्लागंज में रोहिग्यां होने पर जांच के लिए उन्नाव एसपी को पत्राचार किया है। आधार में क्या दस्तावेज लगाए गए थे, इसकी जानकारी के लिए डीसीपी पूर्वी ने यूआइडीएआइ (भारतीय विशिष् पहचान प्राधिकरण) को पत्र भेजा है।
रोहिंग्या पकड़े जाने की जानकारी मिलते ही गुरुवार सुबह इंटेलीजेंस ब्यूरो भी सक्रिय हुई ओर कोतवाली थाने में रोहिंग्या मो. साहिल व उसके परिवार से पूछताछ की। पुलिस ने साहिल को जेल भेज दिया।
रोहिंग्या मो. साहिल ने पुलिस को बताया कि वह मूलरूप से म्यांमार के साइडुय मंगडो शहर के कयंम डेंग सिद्दर फरा गांव का रहने वाला है। वर्ष 2013-14 के बीच वह म्यांमार से पूरे परिवार के साथ नाव से बांग्लादेश पोर्ट के पास काक्सएस बाजार स्थित शरणार्थी कैंप पहुंचा था।
2015 में एक बहन ताहिरा बेगम, बहनोई अमीन एक दलाल के माध्यम से सीमा पार कर भारत आए और यहां शुक्लागंज के मनोहर नगर में रहने लगे। शरणार्थी स्थल पर जब उन लोगों को प्रताड़ित किया जाने लगा तो वर्ष 2017 में उसने मां रोहिमा बेगम, बीमार पिता मो. याहिया, भाई अनवर, हबीउल्लाह, असमत के साथ दलाल की मदद से बांग्लादेश की सीमा से असम में प्रवेश किया।
दलाल ने प्रति व्यक्ति 1200 रुपये लिए थे। इसके बाद गुवाहाटी से ट्रेन से कानपुर आए और बहन ताहिरा के घर रुके। बाद में शक्तिनगर के पास झोपड़ी के बगल में उसने भी झोपड़ी डाल ली। यहां शुक्लागंज के एक सभासद से उसकी मुलाकात हुई। उसने उसका व परिवार का आधार कार्ड बनवाने के लिए अपने लेटरपैड पर लिखा और उन्होंने ही सभी का आधार कार्ड बनवा दिया था।
साहिल ने पुलिस को बताया कि उसका पासपोर्ट भी बना है। पड़ोसी बब्लू ने चमनगंज फहीमाबाद कालोनी निवासी इकबाल हुसैन का आटो उसे चलाने के लिए दिलवाया था। डीसीपी पूर्वी सत्यजीत गुप्ता ने बताया कि सभासद से पूछताछ की गई लेकिन उन्होंने किसी भी दस्तावेज को सत्यापित करने की बात से इन्कार कर दिया।
यूआइडीएआइ से जानकारी मिलने के बाद जहां दस्तावेज बनाए गए होंगे, उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। साहिल के परिवार के सभी सदस्यों के नाम की सूची व अन्य दस्तावेजों को शामिल कर मामले की जांच के लिए एसपी उन्नाव को पत्राचार किया गया है। वहीं, गुरुवार को इंटेलीजेंस ब्यूरो ने भी साहिल से पूछताछ की।
दोबारा बांग्लादेश जाकर शादी करके आया था साहिल
साहिल ने पुलिस को पहले बताया कि यहां आने के बाद दोबारा वह कानपुर से बाहर नहीं गया लेकिन जब उसकी पत्नी अजीदा के बारे में पूछा गया कि वह सिर्फ छह लोग आए थे और उस समय उसकी शादी नहीं हुई थी तो ये कैसे आई।
इस पर वह चुप हो गया। बाद में उसने बताया कि चार साल पहले वह शादी के लिए लड़की लाने बांग्लादेश शरणार्थी स्थल गया था। वहां से वह अजीदा को ला रहा था, तभी दूसरी बहन सेनुआरा बेगम, बहनोई जुनैद व उसके दो बच्चे भी साथ आ गए।
यहां सेनुआरा को एक और बेटा हुआ। अजीदा से भी एक बेटी हुई। इसके बाद भाई अनवर के लिए भी वहीं से नूरकैदा को लाया गया। नूरकैदा गर्भवती है।
छह माह पहले ताहिरा और बहनोई वापस लौट गए
साहिल ने बताया कि करीब छह माह पहले बहन ताहिरा, बहनोई व बच्चे वापस बांग्लादेश लौट गए। ताहिरा ने उसे बताया कि यहां माहौल ठीक नहीं लग रहा है। उसने कहा कि अवैध रूप से सभी रह रहे हैं। आज नहीं तो कल वापस लौटाए जाएंगे।
ऐसे पकड़ा गया था रोहिंग्या
बड़ा चौराहा के पास मंगलवार रात संदिग्ध वाहनों की चेकिंग के दौरान सरसैया घाट चौकी प्रभारी रोहित कुमार शर्मा सड़क पर खड़े आटो को भी हटवा रहे थे। इसी दौरान एक आटो चालक की भाषा बदली नजर आई।
पहले बंगाली भाषा लगी लेकिन शक होने पर चौकी ले जाकर पूछताछ की तो उसने अपना नाम मो. साहिल व म्यांमार का रहने वाला बताया। हालांकि पुलिस जब उसके घर जांच करने पहुंची, तब से साहिल के तीनों भाई भागे हुए हैं।

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