Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लेदर इंडस्ट्री के लिए बड़ा मौका, रूस के बाजार में उतरेंगे कानपुर के डिजाइनर सेफ्टी शूज

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Sun, 19 Jul 2020 11:59 AM (IST)

    इंडो-रूस फुटवियर एंड लेदर प्रोडक्ट्स बायर्स-सेलर मीट-2020 में कानपुर के चर्म उद्यमी अपने उत्पाद ऑनलाइन पेश करेंगे।

    लेदर इंडस्ट्री के लिए बड़ा मौका, रूस के बाजार में उतरेंगे कानपुर के डिजाइनर सेफ्टी शूज

    कानपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस के चलते मंदी की मार झेल रहा शहर का चर्म उद्योग फिर से अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी धाक जमाने को तैयार है। इसकी शुरुआत 'इंडो-रूस फुटवियर एंड लेदर प्रोडक्ट्स बायर्स-सेलर मीट-2020 से होने जा रही है। 20 जुलाई से शुरू हो रही दो दिवसीय प्रदर्शनी में सुपरहाउस, नाज, रहमानग्रुप व जाज संस एक्सपोर्ट्स जैसी बड़ी औद्योगिक इकाइयां अपने नए डिजाइन की ऑनलाइन प्रदर्शनी लगाएंगी। इसके बाद इन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतारा जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फुटवियर मैन्यूफैक्चर जफर इकबाल ने लॉकडाउन के बाद महीने भर के अंदर फैशन व सेफ्टी शूज के 50 डिजाइन तैयार किए हैं। इन्हें प्रदर्शनी में प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जो डिजाइन वह इस प्रदर्शनी में लांच करेंगे उनकी यूरोपीय देशों में बेहद मांग है। चर्म निर्यात परिषद के रीजनल चेयरमैन व नाज एक्सपोर्ट्स के संस्थापक जावेद इकबाल ने बताया कि इस प्रदर्शनी में शहर से शू मैन्यूफैक्चर भाग ले रहे हैं। कई ऐसे डिजाइन ग्राहकों के आकर्षण का केंद्र होंगे जिन्हें पहली बार लांच किया जा रहा है।

    कोरोना वायरस के कारण चर्म उद्योग को तगड़ा झटका लगने के बाद यह पहला मौका है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उद्यमियों को अपने उत्पाद दुनिया के सामने लाने का मौका मिल रहा है। पहले इन प्रदर्शनियों में शहर के उद्यमी जाकर अपने उत्पाद प्रस्तुत करते थे, कोरोना काल में पहली बार यह प्रदर्शनी ऑनलाइन हो रही है। इस सेलर मीट से शहर के उद्यमियों को बहुत आशाएं हैं। इस प्रदर्शनी से रूस में निर्यात के नए अवसर मिलेंगे जिनका लाभ शहर के अन्य चर्म उद्यमियों को भी मिलेगा। कानपुर के अलावा देशभर से 35 बड़े निर्यातक इस प्रदर्शनी में भाग लेंगे।

    यह होंगी खास बातें

    • शहर में सीएलई से पंजीकृत 800 चर्म निर्यात की इकाइयां संचालित हैं।
    • इन इकाइयों से आठ हजार करोड़ का विदेशी कारोबार प्रतिवर्ष होता है।
    • यह औद्योगिक इकाइयां 30 हजार करोड़ का घरेलू निर्यात करती हैं।