दिव्यांगता को मात दे रहे कानपुर के अक्षय, हादसे में एक पैर गंवाने के बाद साइकिलिंग में गढ़ रहे कीर्तिमान
कानपुर में रहने वाले अक्षय ने रेल दुर्घटना में दायां पैर गंवा दिया था लेकिन फिर भी उन्होंने हौसला नहीं हारा और साइिकलिंग के बूते गिनीज बुक इंडिया बुक और एशिया बुक में रिकॉर्ड बनाया। अब कश्मीर से कन्याकुमारी तक का सफर तय कर रहे हैं।

कानपुर, जेएनएन। लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती..। शायद इन पंक्तियों को जीवन का ध्येय मानकर अक्षय ने दिव्यांगता को मात दे चुके हैं। रेल दुर्घटना में एक पैर खोने के बाद भी मंजिल की ओर उनके कदम निरंतर बढ़ रहे हैं। दिव्यांग अक्षय ने साइकिलिंग के बूते नाम गिनीज बुक, इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकार्ड, इंडिया बुक और एशिया बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज कराके शहर का नाम रोशन किया है। साइकिलिस्ट अक्षय इन दिनों कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिलिंग कर रहे हैं। 18 नवंबर को श्रीनगर से 32 दिनों की मैराथन साइकिलिंग की शुरुआत की है, जिसमें लगभग 4250 किमी का सफर तय करना है।
कानपुर शहर के रामादेवी स्थित गांधीग्राम में रहने वाले 25 वर्षीय अक्षय सिंह 2010 में रेल दुर्घटना में दायां पैर गंवा चुके हैं। अक्षय ने एक पैर से एवरेस्ट फतह करने वाली पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा को आदर्श मानकर साइकिलिंग करना शुरू किया। कुछ कर गुजरने की चाह में अक्षय ने साइकिल का हैंडल थामा। शुरुआती दिनों में कड़े परिश्रम के बाद अक्षय को साइकिलिंग में मंच मिलना शुरू हो गया। वे लगभग आधा दर्जन से ज्यादा रिकार्ड कृत्रिम पैर के सहारे साइकिलिंग करके बना चुके हैं। इन दिनों वे देश की सबसे लंबी राइड कर रहे हैं।
अक्षय ने बताया कि दिव्यांगता को अभिशाप मानने से बेहतर है कि कुछ करने से ठान लो और समाज को इसे अपनी ताकत के रूप में दिखाओ। उन्होंने कहा कि जब तक कुछ हासिल करने करोंगे तब तक कोई आपकी ओर ध्यान नहीं देगा। सफलता के लिए स्वयं जुटना पड़ता है, किसी के सहारे से कुछ दिन जीया जा सकता है। पूरे जीवन को बेहतर ढंग से व्यतीत करने के लिए स्वयं सबल बनाना पड़ेगा। उन्होंने दिव्यांगता को सहारे की नहीं सोच की जरूरत बताया। अक्षय ने 31 जनवरी को कानपुर से मुंबई 1500 किमी का सफर 132 घंटों में तय कर चर्चित हुए थे। वे कानपुर से दिल्ली तक 450 किमी की दूरी चार दिनों में पूरी कर गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज करा चुके हैं। हाल ही में उन्होंने एशियन पैरा साइकिलिंग में क्वालीफाई किया है। उनका अगला लक्ष्य एशियन साइकिलिंग में पदक जीतना है।
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