जुकाम-बुखार और डेंगू-मलेरिया से हैं परेशान तो करें इन छह आयुर्वेदिक काढ़ाें का करें सेवन, बीमारियों से रहेंगे दूर
आयुर्वेदिक काढ़े का प्रयोग करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है साथ ही काढ़े का सेवन मौसमी बीमारियों व बुखार को जड़ से दूर करता है। काढ़ा शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है। काढ़े का सेवन करने से शरीर पर कोई भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।
इटावा, जेएनएन। बदलते मौसम में लोगों को सर्दी, जुकाम व बुखार की समस्या का सामना करना पड़ता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है और अन्य मौसमी बीमारियां भी शरीर पर असर डालती हैं। ऐसे में आयुर्वेदिक काढ़ा मौसमी बीमारियों से जल्दी छुटकारा दिलाने में भी कारगर है। यह कहना है चिकित्सा अधिकारी व वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डा. उमेश भटेले का।
उन्होंने बताया आयुर्वेदिक काढ़े का प्रयोग करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है, साथ ही काढ़े का सेवन मौसमी बीमारियों व बुखार को जड़ से दूर करता है। काढ़ा शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है। काढ़े का सेवन करने से शरीर पर कोई भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है, बशर्ते सही मात्रा में ही सेवन किया जाए क्योंकि काढ़ा गर्म तासीर का होता है, अत्यधिक मात्रा लेने पर सीने में जलन व अन्य समस्या का सामना करना पड़ सकता है। डा. उमेश भटेले ने अलग-अलग काढ़े के बारे में बताया जो बुखार, सर्दी-जुकाम व अन्य मौसमी बीमारियों में बहुत ही लाभदायक है।
अदरक और गुड़ का काढ़ा है मुफीद: बुखार, खांसी, जुकाम में उबलते पानी में बारीक पिसी हुई लौंग, काली मिर्च, इलायची, अदरक और गुड़ डालें। इसे कुछ देर तक उबलने दें और फिर इसमें कुछ तुलसी की पत्तियां भी डाल दें। जब पानी उबलकर आधा हो जाए तो छानकर पीना चाहिए। इसे बिल्कुल ठंडा करके नहीं पीना चाहिए।
अजवायन का काढ़ा: एक गिलास पानी को अच्छी तरह उबाल लें। जब पानी अच्छी तरह उबलने लगे तो इसमें थोड़ा सा गुड़ और आधा चम्मच अजवाइन मिला लें। जब पानी आधा हो जाए तो इसे छानकर पियें। अजवाइन पाचन क्रिया को ठीक करने में काफी मदद करती है, साथ ही गैस या अपच जैसी समस्या भी इससे दूर होती है। इस काढ़े को पीने से खांसी व बुखार और पेट दर्द की समस्या दूर होती है।
काली मिर्च व नींबू का काढ़ा: एक चम्मच काली मिर्च और चार चम्मच नींबू का रस एक कप पानी में मिलाकर गर्म करें। और इसे रोज सुबह पीना चाहिए। इसके ठंडा होने पर शहद भी डालकर पिया जा सकता है। इस काढ़े से सर्दी-जुकाम व बुखार में आराम मिलता है और शरीर में अवांछित वसा भी कम हो जाती है। शरीर में ताजगी व स्फूर्ति महसूस होती है।
दालचीनी का काढ़ा: किचन में आमतौर पर उपयोग में आने वाली दालचीनी एक बड़े काम की औषधि है। इससे भी काढ़ा बनाया जा सकता है। एक गिलास पानी में आधा चम्मच दालचीनी डालकर धीमी आंच पर 10 मिनट तक गर्म करें। ठंडा होने के बाद इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर उपयोग करें। सर्दी, जुकाम, खांसी व बुखार में इससे लाभ तो मिलता ही है साथ ही यह दिल के रोगियों के लिए भी काफी फायदेमंद है। दिल के रोगियों या ऐसे लोग जिनका कालेस्ट्रोल काफी बढ़ा हुआ है, उन्हें दालचीनी का सेवन रोज करना चाहिए।
लौंग-तुलसी और काला नमक का काढ़ा: सर्दी-खांसी व बुखार और ब्रोंकाइटिस के मरीजों में लिए यह काढ़ा बड़े काम का है। इसके सेवन से जोड़ों के दर्द में भी काफी आराम मिलता है। इसे बनाने के लिए धीमी आंच पर दो गिलास पानी में 10-15 तुलसी की पत्तियों को डालकर उबालें साथ ही इसमें 4.5 लौंग भी पीसकर डाल दें। जब यह पानी उबलकर आधा हो जाए तो इसे छानकर पियें। इससे शरीर का इम्यून सिस्टम बढ़ता है।
इलायची व शहद का काढ़ा: सर्दी, जुकाम व बुखार में आमतौर पर लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। सांस की परेशानी होने पर इलायची और शहद मिलाकर भी काढ़ा तैयार किया जा सकता है। इसमें थोड़ी मात्रा में पिसी काली मिर्च भी मिलाई जा सकती है। इस काढ़े में मौजूद एंटी आक्सीडेंट तत्व दिल की बीमारी का खतरा कम करते हैं। इसे बनाने के लिए धीमी आंच पर एक बर्तन में दो कप पानी गर्म करें और उसमें आधा चम्मच इलायची पाउडर मिलाकर 10 मिनट उबालें। फिर इसमें शहद मिलाकर सेवन करें।
गिलोय का काढ़ा: किसी भी तरह के बुखार में कारगर होता है गिलोय का काढ़ा। गिलोय के करीब एक फुट लंबे तने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर इसमें नीम की पत्तियों के 5.7 डंठल, 8-10 तुलसी की पत्तियां और करीब 20 ग्राम काला गुड़ के साथ एक गिलास पानी में खौलाकर कर सेवन करें।