Updated: Wed, 08 Oct 2025 05:27 AM (IST)
कानपुर में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बैंक की गलती से परीक्षा छूटने पर 7 लाख रुपये मुआवजे का आदेश दिया। पीड़ित ने एसबीआई में परीक्षा शुल्क जमा किया जो आयोग तक नहीं पहुंचा। आयोग ने बैंक को मुआवजा ब्याज और मुकदमा खर्च देने को कहा। अधिवक्ता अवनीश वर्मा ने 2018 में मुकदमा दर्ज कराया था जिसके बाद यह फैसला आया।
जागरण संवाददाता, कानपुर। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बैंक की गलती से परीक्षा छूटने पर सात लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। पीड़ित ने एपीओ की मुख्य परीक्षा के लिए एसबीआई की कृष्णा नगर शाखा में 255 रुपये जमा किए थे, लेकिन बैंक की गलती से लोक सेवा आयोग के खाते में पैसा जमा नहीं हुआ, जिससे वह परीक्षा नहीं दे सका था।
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बैंकिग लोकपाल से शिकायत पर बैंक ने पत्र भेजकर माफी मांगी थी। आयोग ने मुआवजे के साथ ही मुकदमा दाखिल करने की तारीख से भुगतान तक सात प्रतिशत ब्याज और 10 हजार मुकदमा खर्च भी देने के लिए कहा है।
दहेली सुजानपुर के भवानी नगर निवासी अधिवक्ता अवनीश वर्मा ने चेयरपर्सन स्टेट बैंक आफ इंडिया मुंबई, नोडल अफसर स्टेट बैंक आफ इंडिया प्रशासनिक शाखा मालरोड और शाखा प्रबंधक स्टेट बैंक आफ इंडिया कृष्णा नगर के खिलाफ आयोग में 16 अक्टूबर 2018 को मुकदमा दर्ज कराया था।
कहा था कि उन्होंने लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद एपीओ 2015 की मुख्य परीक्षा देने के लिए सात दिसंबर 2015 को 255 रुपये एसबीआई की कृष्णा नगर शाखा में जमा किए थे।
बैंक ने रसीद जारी कर दी लेकिन लोक सेवा आयोग के खाते में पैसा जमा नहीं किया। शुल्क जमा करने के दो दिन बाद आयोग की वेबसाइट पर बैंक डिटेल को आनलाइन अपडेट का प्रयास किया, किंतु बैंक ने तकनीकी कारणों से विलंब की बात कही।
दो दिन बाद भी बैंक डिटेल आनलाइन पूरा नहीं हो सका। इस कारण वह मुख्य परीक्षा नहीं दे सके। बैंक की तरफ से तकनीकी दिक्कत के कारण शुल्क जमा न होने की बात कही। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग अध्यक्ष विनोद कुमार और सदस्य नीलम यादव ने वादी के पक्ष में फैसला सुनाया।
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