त्रिपुरा से मुक्त कराए गए बांदा के 40 बाल एवं बंधुआ मजदूर, आज पहुंच जाएंगे अपने घर
बंधुवा मुक्ति मोर्चा के प्रयास ने त्रिपुरा में ईंट-भट्ठे में बंधुआ मजदूरी कर रहे लोगों को नई सुबह दी है। मोर्चा के पदाधिकारियों ने वहां चार माह से बाल व बंधुवा मजदूरों को मुक्त कराया। गुरुवार को देर रात वह यहां अपने घरों में पहुंच जाएंगे।
बांदा, जागरण संवाददाता। कोरोना काल खत्म होने के बाद जनपद से बड़ी संख्या में मजदूर ईंटा पाथने दिल्ली व अन्य प्रांतों में गए थे। त्रिपुरा में ईंट-भट्ठे में ठेकेदार ने 40 मजदूरों को छोड़ दिया और ठेकेदार से रुपये लेकर भाग गया। जानकारी होने पर बंधुवा मुक्ति मोर्चा के पदाधिकारियों ने वहां चार माह से बाल व बंधुवा मजदूरों को मुक्त कराया। गुरुवार को देर रात वह यहां अपने घरों में पहुंच जाएंगे।
बंधुआ मुक्ति मोर्चा को 15 नवंबर को सूचना मिली कि पश्चिमी त्रिपुरा के जिला-खोवाई, तहसील-तेलियामूरा, गांव मोहरछरा मेे टीबीआइ नामक ईंट भट्टे पर 40 बाल एवं बंधुआ मजदूरों को बंधक बनाकर जबरदस्ती काम कराया जा रहा है। मोर्चा के कार्यकर्ता सोनू तोमर ने वहां के एडीएम टीसीएस सुशांत कुमार से मजदूरों के विषय में बात की। उन्होंने तुरंत एसडीएम मोहम्मद शहजाद और जिला श्रम अधिकारी सुजीत लश्कर को भेजा। वहां जाकर मजदूरों से बात की, जिसमे पाया गया कि मजदूरों को बंधक बनाकर कार्य कराया जा रहा था।
बंधुआ मुक्ति मोर्चा के निशानदेही पर मोहरछरा गांव में टीबीआइ नाम के ईंट भट्टे पर पुलिस के साथ छापा मारकर 40 बाल एवं बंधुआ मजदूरो को परिवार सहित मुक्त कराया गया। बंधुआ मजदूर बांदा जिले के निवासी थे। इनकी हालत बहुत ही दर्दनाक थी। इनके पास कुछ भी खाने की सामग्री मौजूद नहीं थी ना रहने के लिए मकान थे। मुक्त मजदूरों ने बताया कि एक ठेकेदार ने उन्हें ईट भट्टा मालिक से कुछ पैसे लेकर वहा मजदूरी करने के लिए छोड़ दिया था। मोर्चा के सोनू तोमर ने बताया कि मजदूरों को मुक्त कराने के बाद बांदा के लिए रवाना कर दिया गया है। यह शुक्रवार को शाम तक घर पहुंच जाएंगे। ये सब बिसंडा व बबेरू क्षेत्र के रहने वाले बताए जा रहे हैं। उधर, श्रम प्रवर्तन अधिकारी महेंद्र शुक्ला ने बताया कि बंधुवा मजदूरों के मुक्त होने की उनके पास कोई जानकारी नहीं हैं। यहां पहुंचेंगे तो उनका पुनर्वासन कराया जाएगा।