पानी चौपाल व जल यात्रा से नीर की पीर दूर कर रहा ‘वाटर हीरो’ सूखी कोख से निकाल रहे गंगधार
कभी बुंदेलखंड में पानी से जूझ रहे लोगों की तस्वीर सामने आया करती थी। जो मन को पीड़ा तो देती थी। ऐसे में बांदा के शोध छात्र रामबाबू ने बुंदेली धरा की कोख पानी से संतृप्त करने में जुट गए हैं। उन्होंने 31 तालाबों को नया जीवन दिया है।

बांदा, [प्रदीप द्विवेदी] । बीता हुआ एक वो दौर, जब बुंदेलखंड सूखे से जूझ रहा था। जल प्रबंधन और संरक्षण के प्रयासों का अता-पता तक नहीं था। बुंदेलखंड के साथ सूखा शब्द बदहाली का प्रतीक बन जुड़ा रहा। गांवों से पलायन का सिलसिला जारी था। 'हो गई पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए'( दुष्यंत कुमार की पंक्तियां) की वेदना और कामना के बीच यहां आखिरकार उम्मीदों की 'गंगा' निकली। भगीरथ बने शोध छात्र रामबाबू , जो सामूहिक प्रयास से बुंदेली धरा की कोख पानी से संतृप्त करने की मुहिम में जुटे। देखते ही देखते 31 तालाबों को नया जीवन दे दिया। आठ तालाबों से अतिक्रमण हटवाया। वह चौपाल और जल यात्राओं के जरिए गांव-गांव पानी बचाने का मंत्र दे रहे हैं। जल संरक्षण के नायक बन चुके रामबाबू को जल शक्ति मंत्रालय ने वाटर हीरो अवार्ड से सम्मानित किया। उनका मिशन अब भी जारी है।
बबेरू के अधांव गांव निवासी तालाब बचाओ अभियान के संयोजक एवं शोध छात्र रामबाबू तिवारी बुंदेलखंड के तालाबों का सामाजिक , सांस्कृतिक , पर्यावरण एवं आर्थिक महत्व वापस लाने की मुहिम आठ वर्षों से चला रहे हैं। गांव से शुरू हुई जल के प्राकृतिक स्रोत तालाबों व कुओं के संरक्षण-संवर्धन की मुहिम अब बुंदेलखंड ही नहीं , पूरे देश में अपनी पहचान बना चुकी है। बिना किसी सरकारी मदद के ये तालाब पानी से लबालब भरे हैं और खेतों की सिंचाई की जाती है। पशुओं को पानी मिल रहा। रामबाबू बताते हैं , बुंदेलखंड शुरू से सूखे की मार झेलता रहा। करीब आधा सैकड़ा चंदेलकालीन तालाब अभी हैं। जिले के राजस्व अभिलेखों में 3295 तालाब हैं। मौके पर जाकर स्थिति देखी तो आधे भी नहीं बचे हैं।
इस तरह चलाई मुहिम
बकौल रामबाबू , तालाबों की संस्कृति को वापस लाने के लिए तालाब महोत्सव का आयोजन और पूजन किया। तालाब किनारे मानव शृंखला बनाई। स्थानीय गीत-संगीत के साथ नाटक और नृत्य का आयोजन किया। बड़े स्तर पर तीन जल यात्राएं निकालीं। इसमें सामाजिक कार्यकर्ता एवं बुंदेलखंड क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को भी सहयोगी बनाया। 40 ग्राम पंचायतों में पानी चौपाल लगाकर 10 हजार लोगों से संवाद स्थापित किया। 60 किलोमीटर पदयात्रा की। जल साक्षरता अभियान चलाया। गांव व मोहल्ला स्तर पर 350 पानी चौपाल लगाई।
यह मिला सम्मान
- प्रधानमंत्री के मन की बात में हुई सराहना
-20 सितंबर , 2020 में वाटर हीरो अवार्ड
- परमार्थ समाजसेवी संस्थान से जल सेवक अवार्ड
- विशाल संकल्प संस्थान से जल योद्धा सम्मान
- अरुणोदय संस्थान से जल रत्न अवार्ड
- 2021 में पर्यावरण योद्धा सम्मान
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