कोडीन सीरप कांड के आरोपी अनमोल गुप्ता की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, कानपुर कोर्ट का फैसला
कानपुर में अपर जिला जज 4 आजाद सिंह की कोर्ट ने कोडीन सिरप बिक्री में अभियुक्त अनमोल गुप्ता का अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र खारिज कर दिया। अभियोजन ने कोर ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, कानपुर। अपर जिला जज 4 आजाद सिंह की कोर्ट ने कोडीन सिरप बिक्री में अभियुक्त का अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्र खारिज कर दिया।
अभियोजन ने कोर्ट में जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा था कि कोडीन युक्त सिरप की अवैध बिक्री से कई राज्यों में बच्चों की मौत हो चुकी है। यह गंभीर प्रकृति का अपराधा है। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।
कलक्टरगंज पुलिस ने 24 नवंबर को औषधि निरीक्षक ओमपाल सिंह की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया था। इसमें कहा था कि अनमोल गुप्ता और शिवम अग्रवाल पार्टनर मैसर्स मेडिसीना हेल्थ केयर माल गोदाम कोपरगंज की फर्म कोडीन युक्त औषधि की अवैध रूप से बिक्री कर रही है।
इस पर सहायक आयुक्त औषधि ने 28 जून को अनमोल गुप्ता पार्टनर मेसर्स मेडिसीना हेल्थ केयर की उपस्थिति में फर्म का निरीक्षण किया। फर्म द्वारा दिए गए खरीद फरोख्त के विवरण में भारी मात्रा में कोडीन, ट्रामाडोल और अल्प्राजोलम युक्त औषधि का क्रय विक्रय किया गया था। इस पर फर्म के दोनों पार्टनर के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई थी।
इसी मामले में अभियुक्त अनमोल गुप्ता ने अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र दिया था। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता विनोद त्रिपाठी ने अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए तर्क रखा कि अभियुक्त अनमोल गुप्ता द्वारा कोडीन, ट्रामाडोल तथा अल्प्राजोलम युक्त औषधीय का क्रय विक्रय तथा भंडारण किया गया।
इसका नशे के रूप में दुरुपयोग किया जाता है। इस नशे के प्रयोग से सामान्य जीवन प्रभावित होता है और वर्तमान में कोडीन नामक नशीले पदार्थ के प्रयोग की वजह से कई राज्यों में बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं। अभियुक्त द्वारा गंभीर प्रकृति का अपराध किया गया है।
जमानत दिए जाने योग्य नहीं है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने माना की अभी विवेचना प्रचलित है। विवेचना में ऐसा कोई तत्व संज्ञान में नहीं आया है जिससे पता चले कि अभियुक्त को मात्र उसकी शारीरिक व मानसिक क्षति करने के लिए गिरफ्तार करने प्रयास किया जा रहा है। उपरोक्त प्रकरण में दी गई धाराएं आजीवन कारावास के दंड से दंडनीय है। ऐसी स्थिति में अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र खारिज किया जाता है।

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